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भारतीय विदेश मंत्री ने चीन को दिया कड़ा संदेश, हमला सुनियोजित, द्विपक्षीय रिश्तों पर होगा गहरा असर

चीनी विदेश मंत्रालय का कहना है कि वह जितनी जल्दी संभव हो पीछे हटने और तनाव कम करने की कोशिश करेगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 04:36 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 08:14 PM (IST)
भारतीय विदेश मंत्री ने चीन को दिया कड़ा संदेश, हमला सुनियोजित, द्विपक्षीय रिश्तों पर होगा गहरा असर
भारतीय विदेश मंत्री ने चीन को दिया कड़ा संदेश, हमला सुनियोजित, द्विपक्षीय रिश्तों पर होगा गहरा असर

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। सोमवार को गलवन घाटी के घटनाक्रम ने भारत व चीन के रिश्तों में चल रहे गहरे तनाव को बाहर ला दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि यह तनाव लंबा खिंचेगा और दिखेगा भी। बुधवार को दोनो देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में भी साफ दिखाई दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी को दो टूक बता दिया कि गलवन घाटी में चीनी पक्ष ने सुनियोजित तरीके से भारतीय सैनिकों पर अप्रत्याशित हमला किया है जिसका दोनो देशों के द्विपक्षीय रिश्तों पर काफी गहरा असर होगा।

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दूसरी तरफ विदेश मंत्री यी का रुख भी काफी तल्खी भरा रहा है और उन्होंने धमकी भरे स्वर में कहा है कि भारत मौजूदा हालात का सही आकलन करे। उम्मीद की बात बस यह है कि दोनो तरफ से जारी बयान में अंत में यह कहा गया है कि वे हालात को संभालेंगे व शांति बहाली के लिए 6 जून, 2020 को दोनो देशों के बीच सैन्य स्तरीय बातचीत में बनी सहमति का पालन करेंगे।जयशंकर व वांग यी दो ऐसे विदेश मंत्री है जो वर्षो से एक दूसरे को जानते हैं और लगातार संपर्क में भी रहते हैं। इसके बावजूद इनके बीच जिस तरह से गरमा-गरम बातचीत हुई है वह द्विपक्षीय रिश्तों में आ गये नए मोड़ को बताता है।

गलवन में 20 भारतीय सैनिकों की मौत ने दोनो देशों के रिश्ते के सारे समीकरण को बदल दिया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि भारतीय विदेश मंत्री ने बेहद कड़े शब्दों में अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि 6 जून सीनियर कमांडर स्तर की वार्ता में बनी सहमति को लागू करने के लिए लगातार दोनो तरफ के स्थानीय अधिकारियों के बीच वार्ता भी हो रही थी। हालात में सुधार हो रहे थे कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय क्षेत्र (गलवन) में एक ढांचा लगाने की कोशिश की।

चीन ने सुनियोजित तरीके से कुछ ऐसे कदम उठाये जिसकी वजह से हिंसा हुई और लोगों को जान गंवाना पड़ा। यह चीन की तरफ से यथास्थिति बनाये रखने की बनी सहमति का उल्लंघन करने की कोशिश है। जयशंकर ने वांग यी को बताया कि अब यह चीन की जिम्मेदारी है कि वह हालात सुधारने के लिए कदम उठाये ताकि जो सहमति बनी है उसका पालन किया जा सके।

दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि विदेश मंत्री यी ने जयशंकर को बताया कि भारतीय सैनिकों ने ही पूर्व में बनी सहमति का उल्लंघन किया है। भारतीय सैनिकों ने चीन की तरफ से विमर्श करने गये सैनिकों व अधिकारियों पर हमला किया। भारत को जांच कर पता लगाना चाहिए और सहमति का उल्लंघन करने वाले सैनिकों को कड़ी सजा देनी चाहिए। अपना प्रतिरोध जताते हुए उन्होंने कहा है कि भारत को मौजूदा हालात को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि चीन अपनी भौगोलिक संप्रभुता की सुरक्षा करने को तैयार है।

इस बयान में आगे चीन के नरम पक्ष को रखा गया है कि किस तरह से दोनो देशो में एक अरब से ज्यादा की आबादी रहती है और इनके विकास पर ध्यान देने की जरुरत है। एक दूसरे की मदद करना ही सही रास्ता है। दोनो देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बनी सहमति के आधार पर सीमा पर शांति बहाली के लिए सामूहिक कदम उठाये जाने चाहिए। सीमा विवाद सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत को भी आगे गंभीरता से बढ़ाने की जरुरत है।

दोनो देशों की तरफ से जारी बयान के अंत में कहा गया है कि गलवन घाटी में जो गंभीर हालात पैदा हुए हैं, उनका आपसी सहमति से समाधान किया जाएगा। घटनास्थल पर हालात को जल्द से जल्द सामान्य किया जाएगा। 6 जून को बनी सहमति को लागू किया जाएगा और हालात को बिगाड़ने की कोशिश नहीं की जाएगी।

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