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    National Highway: अब AI-MC टेक्नॉलजी से बनेंगे नेशनल हाईवे, जानिए किन-किन राज्यों को मिलेगा सबसे अधिक फायदा

    Updated: Mon, 23 Jun 2025 07:41 PM (IST)

    केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में ऑटोमेटेड एंड इंटेलीजेंट मशीन-एडेड कंस्ट्रक्शन (एआई-एमसी) तकनीक का उपयोग करने का निर्णय लिया है। लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे पर सफल पायलट प्रोजेक्ट के बाद, यह तकनीक निर्माण की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ाएगी, सामग्री की बर्बादी रोकेगी और समय बचाएगी। सरकार ने इस तकनीक के लिए ...

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    नेशनल हाईवे पर AI क्रांति, बढ़ेंगी गुणवत्ता और रफ्तार

    जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने निर्णय किया है कि अब नेशनल हाईवे के निर्माण में ऑटोमेटेड एंड इंटेलीजेंट मशीन-एडेड कंस्ट्रक्शन (एआई-एमसी) तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे पर इस तकनीक का प्रयोग पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कर चुका मंत्रालय आश्वस्त है कि इस तकनीक को अपनाए जाने से न सिर्फ निर्माण की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि निर्माण में लगने वाली सामग्री की बर्बादी रुकेगी।

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    साथ ही सामान्य निर्माण प्रक्रिया की तुलना में समय की भी बचत होगी। सभी राज्यों को इसके संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने के साथ ही केंद्र सरकार ने 26 नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट चिन्हित भी कर लिए हैं, जहां एआई-एमसी तकनीक का प्रयोग किए जाना है। वर्तमान में देश में नेशनल हाईवे की लंबाई 1.46 लाख किलोमीटर है।

    वर्ष 2023-24 में 34 किलोमीटर प्रतिदिन के औसत से नेशनल हाईवे का निर्माण किया गया। यदि समग्रता में देखें अभी नेशनल हाईवे का 3000 किलोमीटर भाग हाई स्पीड कॉरिडोर है और वर्ष 2047 तक 45 हजार किलोमीटर हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने का लक्ष्य है। इस बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने निर्णय किया है कि भविष्य की परियोजनाओं को समयबद्ध ढंग से पूरा करने के साथ ही गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नई तकनीक का प्रयोग किया जाए।

    दावा किया गया है कि लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे पर एआई-एमसी तकनीक के प्रयोग का फीडबैक स्टेकहोल्डर्स ने अच्छा दिया है। इसलिए तय किया गया है कि इसे अन्य परियोजनाओं में भी प्रयोग किया जाए। इसमें मशीन आटोमेटेड होगी। डिजिटल डाटा एकत्र होगा। डिजाइन का पूरी तरह पालन होगा। दावा है कि समय की बचत होगी और निर्माण की गुणवत्ता से कोई समझौता संभव नहीं होगा।

    चूंकि पेमेंट, लेयर आदि का काम सड़क की आयु को तय करता है, इसलिए नई तकनीक इसे सबसे अधिक सुनिश्चित करेगी। इस तकनीक में मिट्टी संबंधी कार्य- बेस, सब-बेस बनाने के लिए जीपीएस एडेड मोटर ग्रेडर, इंटेलीजेंट कॉम्पेक्शन रोलर और कॉम्पेक्शन  मीटर वैल्यू आदि शामिल होगा।

    एआई-एमसी के लिए चिन्हित स्वीकृत परियोजनाएं

    • मध्य प्रदेश में पश्चिमी ग्वालियर बाईपास- 29 किलोमीटर
    • ओडिशा में नया संबलपुर बाईपास- 35 किलोमीटर
    • छह लेन ग्रीनफील्ड दक्षिणी लुधियाना बाईपास- 25 किलोमीटर
    • चार लेन ग्रीनफील्ड उत्तरी पटियाला बाईपास- 29 किलोमीटर
    • देवघर बाईपास, झारखंड- 49 किलोमीटर
    • दक्षिणी बरेली बाईपास- 30 किलोमीटर
    • सागर बाईपास- 25 किलोमीटर
    • राहतगढ़ से बरखेड़ी एनएच- 10 किलोमीटर
    • एयरोसिटी रोड- रामगढ़ (जिरकपुर बाईपास)- 19 किलोमीटर
    • शिलांग-सिलचर कॉरिडोर- 167 किलोमीटर
    • पटना-आरा-सासाराम एनएच- 125 किलोमीटर
    • पगोटे-चौक एनएच, महाराष्ट्र- 29 किलोमीटर
    • बेंदोदे-कनकौन बाईपास, एनएच-66- 22.1 किलोमीटर
    • गुजरात में एनएच- 927डी के पैकेज-2 का उच्चीकरण- 47.6 किलोमीटर
    • वृंदावन बाईपास- 15 किलोमीटर
    • कर्नलगंज बाईपास, एनएच- 330बी- 14 किलोमीटर

     

    कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजे गए प्रोजेक्ट

    • सैटेलाइट टाउनशिप रिंग रोड, बेंगलुरु- 144 किलोमीटर
    • बड़वेल-नेल्लोर, आंध्र प्रदेश- 108 किलोमीटर
    • चार लेन एक्सेस कंट्रोल्ड सरहिंद-सेहना सेक्शन, एनएच- 205एजी- 107 किलोमीटर
    • कैपिटल रिंगरोड, भुवनेश्वर- 111 किलोमीटर
    • परमकुड़ी-रामनाथपुरम नेशनल हाईवे- 47 किलोमीटर
    • रामेश्वरम-पारादीप कोस्टल हाईवे- 163 किलोमीटर
    • आंध्र प्रदेश-कर्नाटक-रायचूर और गुडबेल्लूर-मरिकल- 155 किलोमीटर
    • महाबलीपुरम-पुडुचेरी पैकेज-तीन- 46 किलोमीटर- साहिबगंज-अरेराज-बेतिया- 103 किलोमीटर
    • सूरत-चेन्नई एक्सप्रेसवे का नाशिक-अहमदनगर-सोलापुर-अक्कलकोट सेगमेंट- 374 किलोमीटर

     

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