ट्रैवल इंश्योरेंस में सिर्फ मेडिकल ही नहीं, यात्रा संबंधी इंश्योरेंस का भी रखें ख्याल
घरेलू इंश्योरेंस में मेडिकल खर्च पर जोर नहीं होता है क्योंकि अमूमन यात्रियों के पास पहले से अपना हेल्थ इंश्योरेंस होता है जो देश के किसी भाग में काम कर जाता है। विदेश जाने पर खासकर अमेरिका, कनाडा और यूरोप के विकसित देशों में यात्रा करने के दौरान हमेशा 2.5 लाख डालर से अधिक का मेडिकल इंश्योरेंस लेना चाहिए।

तस्वीर का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अहमदाबाद में एयर इंडिया हादसे के बाद फ्लाइट के रद होने का सिलसिला लगातार चल रहा है। इनमें घरेलू फ्लाइट के साथ अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट भी शामिल है। दूसरी तरफ ईरान और इजराइल युद्ध की वजह से भू-राजानीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है और दूसरे मुल्क से भारत आने वाली फ्लाइट के रद होने की खबरें आ रही है।
ट्रैवल इंश्योरेंस से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान हालात को देखते हुए ट्रैवल इंश्योरेंस में सिर्फ मेडिकल और बैगेज सुविधा ही नहीं बल्कि अपनी यात्रा संबंधी इंश्योरेंस का खास ख्याल रखना चाहिए। ग्राहकों को देखना चाहिए कि इंश्योरेंस में अचानक फ्लाइट रद होने के साथ फ्लाइट में कोई दुर्घटना होने पर या तकनीकी खराबी से फ्लाइट के नहीं जाने पर होने वाले नुकसान का कवरेज शामिल है या नहीं। यहां तक कि दुर्घटना की स्थिति में अगर आपको एयरलिफ्ट करने की जरूरत पड़ती है तो क्या ऐसी चीजें आपके ट्रैवल इंश्योरेंस में है या नहीं। विमान दुर्घटना से अगर सदा के लिए अपंगता की स्थिति आ जाती है तो वह इंश्योरेंस में कवर है या नहीं, जैसी बातें ध्यान में रखना चाहिए।
पालिसी बाजार के मीत कपाड़िया ने क्या कहा?
पालिसी बाजार के ट्रैवल इंश्योरेंस प्रमुख मीत कपाडि़या ने बताया कि अब तक ट्रैवल इंश्योरेंस में मेडिकल, बैगेज व ट्रिप को कवर किया जाता था, लेकिन अब के हालात में ग्राहक को ट्रैवल इंश्योरेंस लेने के दौरान कंपनियों से इन सभी चीजों को पूछना चाहिए और उसे खरीदना भी चाहिए। उन्होंने बताया कि केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसी जगहों पर फ्लाइट फंस सकती है या कोई हादसा हो सकता है जहां से यात्री को इलाज के लिए या निकालने के लिए एयरलिफ्ट करने की जरूरत पड़ सकती है। ऐसी जगहों पर यात्रा के दौरान अपने इंश्योरेंस में इन चीजों को जरूर शामिल करवाएं।
इन बातों का रखें ध्यान
उन्होंने बताया कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों जगहों के लिए ट्रैवल इंश्योरेंस होता है और दोनों में सुविधाएं लगभग समान होती है। घरेलू इंश्योरेंस में मेडिकल खर्च पर जोर नहीं होता है क्योंकि अमूमन यात्रियों के पास पहले से अपना हेल्थ इंश्योरेंस होता है जो देश के किसी भाग में काम कर जाता है। विदेश जाने पर खासकर अमेरिका, कनाडा और यूरोप के विकसित देशों में यात्रा करने के दौरान हमेशा 2.5 लाख डालर से अधिक का मेडिकल इंश्योरेंस लेना चाहिए। क्योंकि इन देशों में दुर्भाग्यवश अगर यात्री बीमार पड़ जाता है तो दो-तीन दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर ही दो-ढाई लाख डालर खर्च हो सकते हैं। कई बार बहुत ही मामूली रकम अधिक देकर यात्री अपने मेडिकल इंश्योरेंस का दायरा बढ़ा सकते हैं और ट्रैवल इंश्योरेंस की खरीदारी में इनका भी ध्यान रखना चाहिए। जैसे अगर 480 रुपए में यात्री को एक लाख डालर का मेडिकल इंश्योरेंस मिल रहा है और 600 रुपए में 2.5 लाख डालर का तो खरीदारी 2.5 लाख डालर वाले इंश्योरेंस की ही करनी चाहिए। अगर इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड जैसे देश की यात्रा पर जा रहे हैं तो वहां आपका इलाज सस्ते में हो जाएगा।

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