TV देखने और रेडियो सुनने के लिए जब लेना पड़ता था लाइसेंस, कितना आता था खर्च जानकर रह जाएंगे दंग
आज के दौर में मनोरंजन के कई साधन हैं, लेकिन 1980 के दशक में टीवी और रेडियो ही मुख्य थे। उस समय, भारत में टीवी देखने और रेडियो सुनने के लिए लाइसेंस लेन ...और पढ़ें

रेडियो और टीवी के लिए लाइसेंस।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज के दौर में दुनिया कई मायनों में बदल गई है और लोगों के पास मनोरंजन के कई साधन हैं। वह चाहे टीवी, रेडियो, यूट्यूब, सोशल मीडिया या फिर ऑनलाइन प्लेफॉर्म जहां पर फिल्मों और गानों को देखा और सुना जा सकता है। लेकिन एक वह भी दौर था जब मनोरंजन के दो ही साधन हुआ करते थे एक टीवी, दूसरा रेडियो।
मौजूदा दौर में कई प्लेफॉर्म ऐसे हैं जहां पर आप चीजों को फ्री में देख और सुन सकते हैं लेकिन 1980 के दशक में ऐसा नहीं था। उस वक्त आपको टीवी देखने और रेडियो सुनने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता था और पैसे खर्च करने पड़ते थे।
1980 के दशक का वो दौर
आज के बच्चे और युवा शायद इस बात पर यकीन न करें लेकिन आज से करीब 45 साल पहले यानी कि 1980 के दशक में भारत के लोगों के पास टीवी या रेडियो है और उसे देखना और सुनना है तो इसके लिए सरकार से लाइसेंस लेना बेहद जरूरी होता था। उस समय एक साल का रेडियो-टीवी लाइसेंस लेना होता था और हर साल 100 रुपये खर्च करके उसे रिन्यू कराना होता था।
गांव में तो टीवी या रेडियो होना तो एक बड़े सपने जैसा था तो वहीं शहरों में भी अगर किसी के घर में टीवी या रेडियो है तो वह बड़ी बात मानी जाती थी। उस वक्त आस-पड़ोस के लोग उसी घर में इकट्ठा होकर टीवी देखा करते थे या फिर रेडियो सुना करते थे।
कैसे मिलता था लाइसेंस?
उस दौर के एक व्यक्ति ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि टीवी खरीदना तो मुश्किल नहीं था लेकिन उसे चलाने के लिए परमिशन लेना बेहद चुनौतीपूर्ण था।
टीवी चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती थी और वह पोस्ट ऑफिस के जरिए जारी किया जाता था। एक बार लाइसेंस मिल गया तो हर साल उसे रिन्यू कराना होता था और इसके लिए 100 रुपये का भुगतान करना होता था।

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