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असम: NRC का पहला ड्राफ्ट जारी, सिर्फ 1.9 करोड़ लोग भारत के वैध नागरिक

31 दिसंबर को मध्यरात्रि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का पहला मसौदा जारी हुआ।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 01 Jan 2018 11:49 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jan 2018 01:43 PM (IST)
असम: NRC का पहला ड्राफ्ट जारी, सिर्फ 1.9 करोड़ लोग भारत के वैध नागरिक
असम: NRC का पहला ड्राफ्ट जारी, सिर्फ 1.9 करोड़ लोग भारत के वैध नागरिक

गुवाहाटी (एएनआइ)। असम में रविवार मध्य रात्रि को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का पहला मसौदा जारी किया गया। इस मसौदे में सिर्फ 1.9 करोड़ लोगों को ही अबतक भारत का वैध नागरिक माना गया है, बाकि के नाम सत्यापन के विभिन्न चरणों में हैं। इसकी जानकारी भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। उन्होंने बताया यह मसौदा वर्ष 2018 को पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो जाएगा।

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एनआरसी है क्या?

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी भारतीय नागरिकों के नाम वाला रजिस्टर है, जो केवल वर्ष 1951 में तैयार किया गया था, जो अब असम में अवैध प्रवासियों को ढूंढ निकालने के लिए अपडेट किया जा रहा है। संगठन ने सत्यापन के लिए कुल 3.2 9 करोड़ आवेदन प्राप्त किए थे और शेष नाम पूरी तरह से जांच के बाद बाहर हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार अगले ड्राफ्ट में जांच की पूरी प्रक्रिया खत्म होने के बाद ये नाम उजागर किए जाएंगे।


अगले मसौदे का जिक्र करते हुए जिस्ट्रार जनरल शैलेश कुमार ने कहा, 'हम इसे सर्वोच्च न्यायालय में ले जाएंगे क्योंकि उन्होंने हमें निर्देशित किया है। इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय में पिछले तीन साल में 40 से ज्यादा सुनवाई हो चुकी हैं। अगले माह फरवरी में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है, जहां हम सम्माननीय अदालत के समक्ष सभी तथ्यों को रखेंगे और हमें प्राप्त होने वाले निर्देशों के आधार पर हम मसौदा प्रकाशित होने के बाद कोई फैसला लेंगे।'

इन साइटों पर मिलेगी पूरी जानकारी

उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया दिसंबर 2013 में शुरू हुई और 2015 में असम राज्य के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। ऑनलाइन रिलीज हुए एनआरसी को viz.,nrcassam.nic.in, assam.mygov.in and assam.gov.in. पर देखा जा सकता है। यहां आवेदक अपने आवेदन रसीद संख्या दर्ज करके उनके नाम की जांच कर सकते हैं।

 

क्यों NRC की जरूरत पड़ी?
बता दें कि असम में बांग्लादेशियों की बढ़ती जनसंख्या के संकट के मद्देनजर नागरिक सत्यापन के आवेदन लेने की प्रक्रिया वर्ष 2015 से शुरू की गई। असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या वर्षों पुरानी है। सबसे पहले मौजूदा प्रक्रिया वर्ष 2005 में कांग्रेस शासनकाल में शुरू हुई थी। भाजपा के सत्ता आने पर इसे हवा मिली। भाजपा के घोषणा पत्र में भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के मसले का जिक्र था। फिलहाल 31 दिसंबर, 2017 को इसका पहला मसौदा प्रकाशित हो गया है, उम्मीद जताई जा रही है कि वर्ष 2018 में इसकी पूरी प्रक्रिया खत्म हो जाएगी।

पहले ड्राफ्ट में नाम न आने वाले चिंता नहीं करें

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) में नाम शामिल कराने के लिए भारतीय नागरिकों को अभी मौका मिलेगा। जिनके नाम पहले ड्राफ्ट में नहीं आए हैं, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। अधिकारी का कहना है कि सभी नागरिकों के साथ एक समान बर्ताव किया जा रहा है। पहले ड्राफ्ट के प्रकाशन के बाद दूसरे व तीसरे ड्राफ्ट को भी तैयार किया जाना है। उसके बाद अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।


शांति बहाली के लिए तैनात रहे 45 हजार सुरक्षाकर्मी

NRC के प्रथम मसौदे के प्रकाशन के दौरान सेना के साथ लगभग 45 हजार सुरक्षाकर्मी राज्य में तैनात रहे। केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा पिछले सप्ताह दो दिनों तक राज्य में ही थे। उन्होंने इसकी तमाम तैयारियों का जायजा लिया था। 2005 के फैसले के बाद एनआरसी का प्रकाशन किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट खुद इसकी निगरानी कर रहा है। असम पहला राज्य है, जहां एनआरसी को पहले 1951 में तैयार किया गया था और अब फिर से तैयार किया जा रहा है।

गौरतलब है कि बांग्लादेश के लोगों की घुसपैठ को देखते हुए सरकार एनआरसी तैयार करवा रही है। इसका उद्देश्य भारत के मूल नागरिकों की पहचान करना है, जिससे अवैध तौर पर रह रहे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए।

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