दैनिक वेतनभोगियों और विशिष्ट जरूरत वाले बच्चों के लिए सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अधिकारियों को भी लगाई फटकार
दैनिक वेतनभोगियों के मामले में एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इन अधिकारियों को पटकार लगाई है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम यह मानने के लिए बाध्य हैं कि वर्तमान मामला राज्य के अधिकारियों/प्राधिकारियों द्वारा प्रदर्शित हठधर्मिता का एक स्पष्ट और पाठ्यपुस्तक वाला उदाहरण है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक वेतनभोगियों को नियमित किए जाने के मामले में हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करने पर जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने इसे हठ का स्पष्ट एवं पाठ्यपुस्तक वाला उदाहरण बताया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग में 14-19 साल तक काम करने वाले दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने के लिए हाईकोर्ट के 2007 के आदेश का पालन करने के बजाय, राज्य के अधिकारी उन्हें परेशान करने के लिए गुप्त आदेश पारित करते रहे।
पीठ ने क्या कहा?
- पीठ ने सात मार्च को अपने आदेश में कहा कि हम यह मानने के लिए बाध्य हैं कि वर्तमान मामला राज्य के अधिकारियों/प्राधिकारियों द्वारा प्रदर्शित हठधर्मिता का एक स्पष्ट और पाठ्यपुस्तक वाला उदाहरण है। वे खुद को कानून की पहुंच से ऊपर और परे मानते हैं। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने तीन मई, 2007 के हाईकोर्ट के सरल आदेश का पालन करने में लगभग 16 साल लगा दिए।
- उनकी यह निष्कि्रयता चौंकाने वाली और प्रथम ²ष्टया अवमाननापूर्ण थी। इसलिए, पीठ ने हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा लगाए गए 25,000 रुपये के जुर्माने में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि अधिकारियों के साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
- कोर्ट ने कहा कि हमें जिस बात की चिंता है, वह केवल वर्षों की देरी नहीं है, बल्कि यह अकाट्य तथ्य भी है कि बेचारे जो दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी हैं उनको याचिकाकर्ताओं द्वारा बार-बार रहस्यमय आदेश पारित करके परेशान किया गया है।
- इससे एकल जज द्वारा तीन मई, 2007 को पारित आदेश के वास्तविक महत्व और भावना की अनदेखी की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने महसूस किया कि हाईकोर्ट द्वारा 25,000 रुपये के प्रतीकात्मक जुर्माने में किसी भी हस्तक्षेप का औचित्य नहीं है।
विशिष्ट जरूरतों वाले बच्चों के लिए अध्यापकों की भर्ती का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया है कि 28 मार्च तक विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के शिक्षण के लिए अध्यापकों के पदों को भरने के लिए अधिसूचित करें। जस्टिस सुधांशु धूलिया और के.विनोद चंद्रन ने पाया कि वर्ष 2021 के फैसले के बावजूद किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने निर्देशित पदों पर अभी तक नियुक्तियां नहीं की हैं। असल में ज्यादातर राज्यों ने तो ऐसे पदों को चिन्हित तक नहीं किया है।
अदालत ने कहा कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को इन पदों की संख्या को लेकर अधिसूचना जारी करनी होगी और फिर विशेष बच्चों की जरूरतों के अनुरूप ही अधिसूचित पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी।
कोर्ट ने तीन हफ्तों का दिया समय
विगत सात मार्च के इस आदेश में कहा गया है कि इन पदों को मंजूर और अधिसूचित तीन हफ्तों के अंदर किया जाना है। साथ ही इस विषय में दो बड़े सकुर्लेशन वाले दो अखबारों में इसका विज्ञापन देना होगा। खंडपीठ ने अधिवक्ता प्रशांत शुक्ला के जरिये रजनीश कुमार पांडेय की याचिका पर सुनवाई की है।
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