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    Indian Railways: 45 मिनट में दिल्ली से पटना पहुंचा सकती है ये ट्रेन! रेल मंत्री बोले- जल्द करेंगे कमर्शियल टेस्टिंग

    Updated: Wed, 26 Feb 2025 09:50 PM (IST)

    आईआईटी मद्रास और भारतीय रेलवे ने मिलकर भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक विकसित किया है जो भविष्य में हवाई जहाज से भी तेज यात्रा की सुविधा दे सकता है। इस तकनीक में हाई-स्पीड पॉड्स कम दबाव वाली ट्यूब में 1200 किमी/घंटा तक की गति से दौड़ेंगे। रेल मंत्री ने आईआईटी मद्रास के लिए अतिरिक्त 1 मिलियन डॉलर की फंडिंग का ऐलान किया।

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    इस तकनीक के जरिए ट्रेन लो प्रेशर हाई-स्पीड पॉड में 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईआईटी मद्रास और भारतीय रेलवे ने मिलकर भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक विकसित किया है। इसके जरिए सफर का वक्त हवाई जहाज से भी काफी कम हो जाएगा। हालांकि रेलवे और आईआईटी मद्रास ने फिलहाल ट्रैक टेस्ट सिर्फ 422 मीटर के हाई-स्पीड पॉड में किया गया है।

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    हाइपरलूप तकनीक शहरों के बीच यात्रा के समय को काफी कम कर सकती है, जो पारंपरिक रेल और हवाई परिवहन का एक नया क्रांतिकारी विकल्प के तौर पर काम कर सकता है। इस तकनीक के जरिए ट्रेन लो प्रेशर हाई-स्पीड पॉड में 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। यानी अगर ये तकनीक कामयाब रही तो दिल्ली से पटना का सफर सिर्फ 45-50 मिनट में तय किया जा सकेगा।

    क्या बोले रेल मंत्री?

    रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने परिवहन नवाचार में सहयोग की भूमिका पर जोर दिया। एक्स पर अपडेट साझा करते हुए उन्होंने कहा, "आईआईटी और रेलवे के बीच का सहयोग परिवहन क्षेत्र में नवाचार को आगे बढ़ा रहा है।"

    वैष्णव ने भविष्य के शोध को समर्थन देने के लिए आईआईटी मद्रास के लिए अतिरिक्त 1 मिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा की। इस फंडिंग का मकसद हाइपरलूप तकनीक को वास्तविक दुनिया में इस्तेमाल के लिए आगे बढ़ाना है।

    कर्मिशियल हाइपरलूप तैनाती की योजना

    भारतीय रेलवे टेस्ट पूरा होने के बाद कर्मिशियल तरीके से इस तकनीक को अमल में लाने की योजना बना रहा है।

    "हम एक मुफीद जगह (रूट) तलाशेंगे, जहां इस तकनीक का व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल किया जा सके, जो लगभग 40-50 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगा।" रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव

    कैसे काम करती है हाइपरलूप तकनीक?

    हाइपरलूप एक हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट सिस्टम है, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रूप से लेविटेटेड पॉड्स कम दबाव वाली वैक्यूम ट्यूब के अंदर सफर करते हैं। यह सेटअप हवा के प्रतिरोध और घर्षण (Friction) को खत्म करता है, जिससे मैक 1 (समुद्र तल पर लगभग 1,225 किमी/घंटा) तक की गति हासिल होती है।

    रिपोर्ट के अनुसार हाइपरलूप यात्रा विमान की तुलना में दुगुनी गति हासिल कर सकती है। मौजूदा वक्त में, दुनिया भर में आठ हाइपरलूप प्रोजेक्ट विकसित किए जा रहे हैं।

    • वर्जिन हाइपरलूप अमेरिका के नेवादा में सक्रिय तौर पर इस तकनीक का परीक्षण कर रही हैं।
    • कनाडाई फ़र्म ट्रांसपॉड फिलहाल टेस्ट ट्रैक का निर्माण कर रही है।
    • हाइपरलूप अवधारणा को सबसे पहले 1970 के दशक में स्विस प्रोफेसर मार्सेल जुफ़र ने पेश किया था।
    • स्विसमेट्रो एसए ने 2009 में हाइपरलूप को विकास की पहली कोशिश की थी।

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