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    'केंद्र अगर सुविधाएं नहीं दे सकता, तो न्यायाधिकरणों को समाप्त कर दें', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Tue, 16 Sep 2025 09:58 PM (IST)

    सेवानिवृत्ति के बाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों के न्यायाधिकरणों (ट्रिब्युनल) में सेवाएं देने की प्रति अनिच्छा का कारण सुप्रीम कोर्ट ने उचित सुविधा ...और पढ़ें

    केंद्र अगर सुविधाएं नहीं दे सकता, तो न्यायाधिकरणों को समाप्त कर दें : सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

     पीटीआई, नई दिल्ली। सेवानिवृत्ति के बाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों के न्यायाधिकरणों (ट्रिब्युनल) में सेवाएं देने की प्रति अनिच्छा का कारण सुप्रीम कोर्ट ने उचित सुविधाओं की कमी को बताया है।

    कोर्ट ने केंद्र से कही ये बात

    कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार सुविधाएं प्रदान करने में असमर्थ है, तो उसे ऐसे सभी न्यायाधिकरणों को खत्म कर देना चाहिए और सभी मामलों को हाई कोर्टों को भेज देना चाहिए।

    पीठ ने कही ये बात

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने एएसजी विक्रमजीत बनर्जी से कहा, ''क्या कारण है कि वे आवेदन कर रहे हैं, साक्षात्कार दे रहे हैं और फिर कार्यभार नहीं संभाल रहे?

    एक वजह है कि उन्हें न्यायाधिकरण के सदस्य होने की वास्तविकता पता चल जाती है। उनमें से कुछ अगर अध्यक्ष हैं, तो वे हाई कोर्टों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं।

    उन्हें कोई सुविधा और कोई खर्च नहीं दिया जाता। उन्हें भीख मांगते रहना पड़ता है- हमें स्टेशनरी दो, हमें आवास दो, हमें यह दो, हमें कार दो। आपके विभाग की सबसे जर्जर कार न्यायाधिकरण के अध्यक्ष को दी जाती है। आप न्यायाधिकरणों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं?

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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोष आपका (केंद्र सरकार का) है। आपने ही न्यायाधिकरण बनाए हैं। कृपया आपके पद स्वीकार करने वाले हाई कोर्टों के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और पूर्व न्यायाधीशों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार करें। नियुक्ति स्वीकार नहीं करने में हमें उनका कोई दोष नहीं नजर आता। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग सहित विभिन्न मंत्रालयों की एक समिति गठित करें जो यह देखे कि क्या खामियां हैं।''

    मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी

    बनर्जी ने पीठ को आश्वासन दिया कि वह केंद्र तक यह संदेश पहुंचा देंगे। शीर्ष अदालत न्यायाधिकरणों में रिक्तियों से संबंधित एनजीटी बार एसोसिएशन पश्चिमी क्षेत्र द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।