दूरदराज के क्षेत्रों में बीमारियों की पहचान करना अब होगा आसान, आइआइटी प्रोफेसर ने विकसित की किफायती तकनीक
दूरदराज क्षेत्रों में बीमारियों की पहचान करना अब आसान होगा। आइआइटी के प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने संक्रामक बीमारियों हीमोग्लोविन ओरल कैंसर लिपिड प्रोफाइल जैसे टेस्ट के लिए किफायती तकनीक विकसित की है। तीन कंपनियां उत्पादन के लिए आगे आईं हैं।

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। दूरदराज और संसाधनों की कमी का सामना करने वाले क्षेत्रों में अब बीमारियों की पहचान के लिए लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। आइआइटी खड़गपुर के प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने तकनीक की सहायता से जांच का एक किफायती माडल पेश किया है। इसकी मदद से लैब और क्लीनिक के बिना कई तरह के टेस्ट आन स्पाट किए जा सकते हैं। दावा है कि ऐसे टेस्ट की सटीकता भी सामान्य टेस्ट की तरह है और इसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता है।
अगले माह तक बाजार में आ जाएगी डिवाइस
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पहल पर विकसित इस तकनीक को आइसीएमआर ने भी मंजूरी दे दी है और तीन कंपनियां इसे बाजार में लाने के लिए आगे आई हैं। अगले माह तक कई डिवाइस बाजार में आ जाएंगी।
इस तरह काम करेगी डिवाइस
प्रो. सुमन चक्रवर्ती के मुताबिक, संक्रामक बीमारियों की पहचान के लिए आधारित रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट कोविरैप आरटीपीसीआर का विकल्प है। इस तकनीक के जरिये डिवाइस की रिप्रोग्रामिंग करके किसी भी संक्रामक बीमारी की जांच की जा सकती है। इसी तरह तमाम गैरसंचारी बीमारियो को एक पेपर स्टि्रप पर उंगली से ली गई खून की एक छोटी सी बूंद से चेक किया जा सकता है। इसमें पेपर स्टि्रप को स्मार्ट फोन आधारित एप से कनेक्ट कर दिया जाता है। जिस तरह एक क्रेडिट कार्ड को कार्ड रीडर से कनेक्ट कर डाटा लिया जाता है, ठीक उसी तरह एक हैंड हेल्ड डिवाइस हीमोग्लोविन, क्रिएटिनाइन और लिपिड प्रोफाइल के रिजल्ट बता देती है।
बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में डिवाइस का परीक्षण
दैनिक जागरण से बातचीत में चक्रवर्ती और उनके 12 सहयोगियों ने बंगाल में अपनी डिवाइस का ग्रामीण क्षेत्रों में परीक्षण भी किया। उनकी टीम ने ओरल कैंसर की जांच के लिए भी कम लागत वाली हैंड हेल्ड इमेजिंग डिवाइस बनाई है, जो थर्मल इमेजिंग से टिश्य़ू में खून के प्रवाह की दर के आधार पर कैंसर की जांच करती है। इसके लिए किसी क्लीनिकल ढांचे की जरूरत नहीं है।
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कैंसर का स्टेज भी बताएगा डिवाइस
डिवाइस कैंसर के स्टेज भी बताने में सक्षम है। इस टीम ने खून की एक बूंद से सीबीसी सरीखे कई टेस्ट का सस्ता माडल भी तैयार किया है। एक पेपर किट यह भी बता देती है कि एंटीबायोटिक से प्रतिरोध शक्ति कितनी है।
ग्रामीण महिलाओं को किया गया प्रशिक्षित
साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड में जेसी बोस नेशनल फेलो प्रो. चक्रवर्ती ने अपनी टीम के साथ मरीज, रिमोट डाक्टर और डायग्नोस्टिक तकनीक के बीच कड़ी के रूप में काम करने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित भी किया है। यह तकनीक कितनी किफायती है, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मौजूदा दर की बात करें तो लोगों को मुश्किल दस प्रतिशत पैसा देना पड़ेगा।

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