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    जब सीजफायर... सीजफायर चिल्लाने लगा पाक, IAF वाइस चीफ ने बताया ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने कैसे तोड़ी कमर

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 08:58 AM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया। भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एअर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने बताया कि पाकिस्तान को सीजफायर के लिए मजबूर करने के लिए भारत को 50 से भी कम हथियारों की जरूरत पड़ी। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी एक्टिव है।

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    ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने तोड़ी पाकिस्तान की कमर। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से लॉन्च किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। पाकिस्तान को घुटनों पर लाने के लिए भारत ने सिर्फ 50 या उससे भी कम हथियारों का इस्तेमाल किया था। इस बात की खुलासा भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एअर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने किया।

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    उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को सीजफायर के लिए मजबूर करने के लिए भारत को 50 से भी कम हथियारों की जरूरत पड़ी थी। एअर मार्शल तिवारी ने कहा, "हमने कॉस्ट बेनिफिट, खासकर एअर पावर के बारे में काफी चर्चा की थी। मुझे लगता है कि ऑपरेशन सिंदूर में हमने जो किया, उससे बेहतर कोई उदाहरण नहीं है। 50 से भी कम हथियार दुश्मन को बातचीत की टेबल पर ला सकते हैं। यह एक ऐसा उदाहरण है, जिसका अध्ययन करने की जरूरत है, इसका अध्ययन किया जाएगा।"

    कौन-कौन से हथियार किए गए थे इस्तेमाल?

    हालांकि एअर मार्शल तिवारी ने 7-10 मई की झड़पों के दौरान इस्तेमाल किए गए हथियारों का सटीक विवरण नहीं दिया, लेकिन भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के साथ-साथ क्रिस्टल मेज-2, रैम्पेज और स्कैल्प मिसाइलों का उपयोग करके सटीक हमले करने के लिए सुखोई-30एमकेआई, राफेल और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों को तैनात किया था। इन मिसाइलों ने पाकिस्तानी हवाई अड्डों और रडार स्थलों को निशाना बनाया, जिनमें से कुछ न्यूक्लियर साइट्स, कमांड और कंट्रोल सेंटर्स के पास थे।

    'अभी भी जारी है ऑपरेशन सिंदूर'

    इस बीच, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी एक्टिव है और इस बात पर जोर दिया कि भारत की सैन्य तैयारी 24/7 और साल भर असाधारण रूप से उच्च स्तर पर बनी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्धों में पारंपरिक युद्ध कौशल से कहीं अधिक की जरूरत होगी। सैनिकों को इन्फॉर्मेशन वॉरियर्स, टेक्नोलॉजी वॉरियर्स और स्कॉलर वॉरियर्स के मिक्चर के रूप में विकसित होना होगा।

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