'पोर्न देखती है, मास्टरबेट करती है', पत्नी की शिकायत लेकर कोर्ट पहुंचा पति; जज बोले- ये तलाक का आधार नहीं
मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि पत्नी द्वारा पोर्न देखना या मास्टरबेट करना गलत नहीं है और इसे पति पर क्रूरता नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि पत्नी के पोर्न देखने से और मास्टरबेट करने से वैवाहिक जीवन पर असर नहीं पड़ता है। अगर पार्टनर को देखने के लिए मजबूर किया जाता है तो फिर ये गलत है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम और बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर कोई महिला अकेले में पोर्न देखती है और मास्टरबेट करती है, तो ये पति के लिए क्रूरता नहीं है। दरअसल, एक फैमिली कोर्ट ने एक शख्स की तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट ने सही ठहराया है।
'पुरुषों का मास्टरबेट करना आम तो महिलाओं का क्यों नहीं'
जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन और जस्टिस आर. पूर्णिमा की बेंच ने फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा, जब पुरुषों का मास्टरबेट करना आम बात है तो फिर महिलाओं को गलत कैसे ठहराया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा, पुरुष मास्टरबेट करने के बाद तुरंत सेक्स नहीं कर सकते हैं, लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है। तो ऐसे में ये साबित नहीं हुआ है कि मास्टरबेट करने की आदत से पति-पत्नी के रिश्ते पर बुरा असर पड़ेगा।
महिला के पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी मास्टरबेट करती है। इस पर कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा कि महिला को इस बारे में जवाब देने के लिए कहना ही उसकी स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा। अगर शादी के बाद महिला किसी और के साथ यौन संबंध बनाती है, तो ये तलाक का आधार हो सकता है। लेकिन सिर्फ खुद को खुश करना तलाक का कारण नहीं हो सकता है।
कोर्ट ने कहा- ये क्रूरता नहीं
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, "सिर्फ पोर्न देखना अपने आप में पति के साथ क्रूरता नहीं है। इसे देखने वाले की मानसिक सेहत पर असर पड़ सकता है, लेकिन, सिर्फ इतना ही काफी नहीं है। अगर पोर्न देखने वाला अपने साथी को भी इसे देखने के लिए मजबूर करता है, तो फिर वो क्रूरता होगी। अगर ये दिखाया जाता है कि इस लत की वजह से किसी के वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है, तो यह तलाक का कारण हो सकता है।"
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