'देश कैसे प्रगति करेगा, अगर सभी प्रोजेक्ट का विरोध होगा', सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा?
सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए जयाक्वाणी बांध के एनटीपीसी के टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के नवीकरणीय ऊर्जा की परियोजना का विरोध करने पर एक एनजीओ को जमकर फटकार लगाई है। SC ने एनजीटी के फैसले में दखल देने से इनकार करते हुए एनजीओ की अपील खारिज कर दी। इसके साथ ही अदालत ने एनजीओ की मंशा पर भी सवाल खड़े किए।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन को महाराष्ट्र के जयाक्वाणी बांध के एनटीपीसी के टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के नवीकरणीय ऊर्जा की परियोजना का विरोध करने पर जमकर फटकारा है।
बांध के इस क्षेत्र को बर्ड सेंचुअरी घोषित किया जा चुका है और यह इको-सेंसटिव जोन है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह देश प्रगति कैसे करेगा अगर हरेक प्रोजेक्ट का विरोध किया जाएगा।
क्या है मामला?
जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिस्वर सिंह की खंडपीठ ने गैर सरकारी संगठन 'कहर समाज पंच समिति' की मूल मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपको किसने यहां भेजा है और आपकी फंडिंग कौन कर रहा है? पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में आपका पूर्ववर्ती योगदान क्या है? सर्वोच्च अदालत ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नौ सितंबर, 2024 के फैसले को चुनौती देने वाली एनजीओ की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एनजीटी ने प्रोजेक्ट की सराहना की है।
देश कैसे करेगा प्रगति?
अदालत ने एनजीटी के फैसले में दखल देने की कोई वजह नहीं पाते हुए एनजीओ से कहा कि आप एक भी परियोजना को काम नहीं करने दे रहे हैं। आखिर देश कैसे प्रगति करेगा जब हरेक परियोजना का ऐसे ही विरोध किया जाता रहेगा और काम को बाधा पहुंचाई जाएगी। आपको तो सौर ऊर्जा परियोजना से भी परेशानी है।
एनजीओ की फंडिंग पर भी एससी ने की टिप्पणी
इसके जवाब में गैर सरकारी संगठन के वकील ने कहा कि यह क्षेत्र इको-सेंसटिव जोन और प्रोजेक्ट है जिससे जैव-विविधता प्रभावित होगी। इस पर अदालत ने कहा, 'ऐसा लगता है कि जिस कंपनी का टेंडर खारिज हो गया वही एनजीओ की फंडिंग कर रही है। और अब वह कंपनी अपनी खीझ मिटाने के लिए परियोजना के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर इसे ठप करने की कोशिश कर रही है।'
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