क्या जानलेवा है HMPV वायरस? भारत को है कितना खतरा; IMA ने बताई हकीकत
HMPV Virus Outbreak चीन ने एक बार फिर दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। पिछले कुछ दिनों से चीन में ह्मयूमन मेटा न्यूमोवायरस (HMPV) नाम के एक वायरस से लोग संक्रमित हो रहे हैं। चीन में बढ़ते मामले को देखते हुए भारत सरकार अलर्ट हो गई है। केरल सरकार भी चीन में बढ़ते HMPV मामलों पर नजर रख रही है।
आईएएनएस, नई दिल्ली। चीन में ह्यूमन मेटानिमोवायरस (HMPV) के हालिया प्रकोप के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के एक विशेषज्ञ ने शनिवार को कहा कि यह वायरस कोविड-19 की तरह जानलेवा या घातक नहीं है। हां, ये जरूर है कि कुछ व्यक्तियों में फेफड़ों के संक्रमण का कारण बन सकता है।
बता दें कि चीन में यह वायरस तेजी से फैल रहा है और इसे लेकर चिंता बढ़ी है। आइएमए की केरल इकाई के अनुसंधान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा. राजीव जयदेवन ने कहा कि छोटे बच्चों में एचएमपीवी बहुत आम है और इसके लिए कोई टीका या एंटीवायरल उपचार की सिफारिश नहीं की गई है।
काफी आम है यह वायरस
उन्होंने कहा,''एचएमपीवी कोई जानलेवा वायरस नहीं है। यह ऐसा वायरस नहीं है जो गंभीर निमोनिया का कारण बनता है या कोविड महामारी के शुरुआती दौर की तरह मौतों की वजह बनता है। वास्तव में यह वायरस छोटे बच्चों में इतना आम है कि लगभग 100 प्रतिशत छोटे बच्चे चार या पांच साल की उम्र तक संक्रमित हो जाते हैं।"
विशेषज्ञ ने कहा कि अधिकांश लोगों में एचएमपीवी हल्के लक्षण पैदा करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि यह कुछ व्यक्तियों में ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में संक्रमण) और अस्थमा के बिगड़ने का कारण बनता है। यह उन लोगों को भी प्रभावित कर सकता है जिन्हें क्रानिक आब्सट्रक्टिव लंग डिजीज जैसी फेफड़ों की बीमारियां हैं।
एचएमपीवी से जुड़े ये हैं लक्षण
एचएमपीवी की पहली बार 2001 में खोज की गई थी और यह रेस्पिरेटरी संकाइटियल वायरस (आरएसवी) के साथ न्यूमोविरिडे का हिस्सा है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, एचएमपीवी से जुड़े लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ होना शामिल हैं।
जयदेवन ने कहा कि एचएमपीवी कई वायरस में से एक है जो छोटे बच्चों में हल्के श्वसन संक्रमण का कारण बनता है।
HMPV वायरस से निपटने के लिए भारत है तैयार
चीन में ह्यूमन मेटानिमोवायरस (एचएमपीवी) के हालिया प्रकोप के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि भारत स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और इससे निपटने को पूरी तरह तैयार है। अभी तक श्वसन संबंधी बीमारियों में असामान्य बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है।
साथ ही कहा कि डब्ल्यूएचओ से भी समय पर अपडेट साझा करने का अनुरोध किया गया है। एहतियाती कदम के रूप में एचएमपीवी मामलों की जांच करने वाली प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई जाएगी और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) पूरे साल एचएमपीवी के मामलों की निगरानी करेगी।
स्थिति पर चर्चा के लिए शनिवार को यहां स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) की अध्यक्षता में संयुक्त निगरानी समूह (जेएमजी) की बैठक हुई। इसमें डब्ल्यूएचओ, आपदा प्रबंधन (डीएम) सेल, एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आइडीएसपी), राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर), आपातकालीन चिकित्सा राहत (ईएमआर) और एम्स-दिल्ली सहित अस्पतालों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
मंत्रालय ने कहा कि विस्तृत चर्चा के बाद और वर्तमान में उपलब्ध जानकारी के आधार पर इस बात पर सहमति बनी कि चीन में चल रहे फ्लू के मौसम को देखते हुए स्थिति असामान्य नहीं है।
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