मनरेगा में जल संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा, जल संकट से निपटने के लिए 35 हजार करोड़ होंगे खर्च
केंद्र सरकार ने जल संचयन और प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए मनरेगा में संशोधन किया है। अब अति जल संकटग्रस्त प्रखंडों में जल प्रबंधन कार्यों पर न्यूनतम 65% राशि खर्च होगी। अर्ध-संकटग्रस्त प्रखंडों में यह 40% और सुरक्षित प्रखंडों में कम से कम 30% राशि खर्च होगी। इससे लगभग 35 हजार करोड़ रुपये जल से संबंधित परियोजनाओं के लिए उपलब्ध होंगे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जल संचयन और प्रबंधन को स्थायी समाधान देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में ऐतिहासिक संशोधन किया गया है। इसके तहत ग्रामीण प्रखंडों में जल संरक्षण और संचयन कार्यों पर न्यूनतम व्यय अनिवार्य कर दिया गया है।
इस पहल की शुरुआत केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल के साथ की। शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब ‘अति जल संकटग्रस्त’ और ‘संकटग्रस्त’ प्रखंडों में जल प्रबंधन कार्यों पर न्यूनतम 65 प्रतिशत राशि खर्च होगी। ‘अर्ध-संकटग्रस्त’ प्रखंडों में यह 40 प्रतिशत और सुरक्षित प्रखंडों में कम से कम 30 प्रतिशत राशि खर्च होगी। इससे लगभग 35 हजार करोड़ रुपये जल से संबंधित परियोजनाओं के लिए उपलब्ध होंगे।
जल प्रबंधन की दिशा में केंद्र सरकार का बड़ा कदम
केंद्र सरकार की यह पहल सिर्फ तत्काल उपाय नहीं बल्कि दीर्घकालिक जल प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम है। देश के कुल प्रखंडों में 11.13 प्रतिशत अति संकटग्रस्त, 3.05 प्रतिशत संकटग्रस्त, 10.54 प्रतिशत अर्ध-संकटग्रस्त और 73.39 प्रतिशत सुरक्षित श्रेणी में आते हैं। संशोधन के बाद अब संसाधन उन्हीं क्षेत्रों में पहुंचेंगे, जहां भूजल दोहन अधिक है और जल संकट गंभीर है।
मनरेगा योजना ने दिया महत्वपूर्ण योगदान
मनरेगा योजना ने पिछले 11 वर्षों में ग्रामीण विकास और जल संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस दौरान 8.4 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए और 3,000 करोड़ से अधिक मानव-दिवस रोजगार सृजित हुए। महिलाओं की भागीदारी 48 प्रतिशत से बढ़कर 58 प्रतिशत हो गई है। इस योजना के तहत 1.25 करोड़ से अधिक जल परिसंपत्तियां, जैसे कि कृषि तालाब, चेकडैम और सामुदायिक तालाब बनाए गए।
मिशन अमृत सरोवर के तहत जलाशयों का निर्माण
मिशन अमृत सरोवर के तहत 68 हजार से अधिक जलाशयों का निर्माण या पुनरुद्धार किया गया। सरकार के नए नियम से भूजल स्तर में सुधार होगा, नदियों और तालाबों का पुनर्जीवन होगा, कृषि उत्पादन में स्थिरता आएगी और ग्रामीण जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
इसके साथ ही यह पहल आने वाली पीढ़ियों, पशुपालन, जीव-जंतु और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लाभकारी साबित होगी। मनरेगा में जल-संबंधी कार्यों पर न्यूनतम व्यय का यह प्रावधान न केवल जल सुरक्षा की दिशा में राष्ट्रीय पहल है, बल्कि ग्रामीण विकास और सतत कृषि के लिए भी मील का पत्थर है।
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