ACB ने की कड़ी कार्रवाई, मनरेगा योजना में रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए दो जेई
भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (एसीबी) धनबाद की टीम ने कसमार प्रखंड में मनरेगा के दो कनीय अभियंता आशीष कुमार और राजीव रंजन को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। हलीमा खातून नामक महिला से मजदूरी भुगतान के लिए रिश्वत मांगी गई थी। एसीबी ने शिकायत के बाद जाल बिछाकर दोनों को रंगे हाथ पकड़ा।

संवाद सहयोगी, बोकारो। भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (एसीबी) धनबाद की टीम ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए कसमार प्रखंड में पदस्थापित मनरेगा और 15वें वित्त के दो कनीय अभियंता आशीष कुमार और राजीव रंजन को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।
मामला गर्री पंचायत की बनकनारी निवासी हबीब अंसारी की पत्नी हलीमा खातून से जुड़ा है, जिन्हें वर्ष 2024 में आम बागवानी योजना का लाभ मिला था। योजना के तहत एक एकड़ जमीन पर आम का बाग लगाया गया, जिसमें मजदूरी भुगतान के लिए कुल 1,38,688 रुपये की स्वीकृति मिली थी।
मजदूरी की राशि निकालने के एवज में अभियंताओं ने बार-बार रिश्वत की मांग की और भुगतान रोककर दबाव बनाया। परेशान होकर हलीमा खातून ने एसीबी में लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद कार्रवाई की गई।
गिरफ्तारी के बाद एसीबी की टीम ने दोनों अभियंताओं को लेकर धनबाद रवाना हो गई, जहां आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। दोनों अभियंता अनुबंध पर कसमार प्रखंड में कार्यरत थे। इस घटना से पूरे प्रखंड कार्यालय और मनरेगा महकमे में हड़कंप मच गया है।
शिकायत पर हुई कार्रवाई, सत्यापन में आरोप साबित
एसीबी की जांच टीम ने पहले शिकायत का सत्यापन कराया। जांच के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि मजदूरों को समय पर भुगतान रोककर लाभुकों से जबरन वसूली की जा रही थी। आशीष कुमार द्वारा हलीमा खातून से पांच हजार रुपये की रिश्वत की मांग का आरोप सही पाया गया।
इसके बाद एसीबी ने जाल बिछाया और शिकायतकर्ता को रसायन लगे नोट सौंपे गए। शुक्रवार को जैसे ही शिकायतकर्ता ने पांच हजार रुपये अभियंता आशीष कुमार को सौंपे, उसने रकम अपने वरिष्ठ जेई राजीव रंजन को देने की बात कही।
इसी बीच पहले से घात लगाए एसीबी की टीम ने दोनों अभियंताओं को घूस लेते रंगे हाथ धर दबोचा। जब राजीव रंजन का हाथ धुलवाया गया तो पानी रंगीन हो गया, जिससे रिश्वत लेने का पुख्ता सबूत मिला।
आम बागवानी मजदूर भी होते रहे शिकार
लाभुक हलीमा खातून ने बताया कि आम बागवानी योजना में उनके साथ चार अन्य मजदूर भी कार्यरत हैं। मजदूरी भुगतान के लिए हर बार अधिकारियों की ओर से कमीशन मांगा जाता था। पैसा नहीं देने पर भुगतान रोक दिया जाता था, जिससे मजदूरों को समय पर मेहनताना नहीं मिल पाता था।
यह सिर्फ हलीमा का ही मामला नहीं था, बल्कि प्रखंड के अन्य लाभुकों ने भी ऐसी शिकायतें की हैं कि बिना पैसे दिए योजना का कोई भुगतान नहीं होता। एसीबी की टीम ने माना कि पहले भी मजदूरी भुगतान रोककर वसूली करने की शिकायतें मिलती रही थीं, लेकिन इस बार ठोस सबूत के आधार पर छापामारी कर रिश्वतखोर अभियंताओं को गिरफ्तार किया गया।
लोग खुलेआम चर्चा कर रहे हैं कि वर्षों से मजदूरी भुगतान में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है और यह कार्रवाई भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए बड़ी पहल है। एसीबी की इस छापेमारी के बाद मजदूरों और लाभुक परिवारों में राहत की भावना है कि अब बिना रिश्वत दिए भी उनका हक मिलने की उम्मीद जगी है।
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