तेलुगु भाषी होकर हिंदी साहित्य को समर्पित कर दिया जीवन, छह दशकों की साहित्यिक यात्रा में रमे सत्यनारायण राव
Hindi Diwas 2025 हिंदी दिवस पर जमशेदपुर के आर सत्यनारायण राव एक प्रेरणा हैं। तेलुगु भाषी होते हुए भी उन्होंने हिंदी साहित्य की सेवा में जीवन समर्पित किया। 12 साल की उम्र में शुरू हुई उनकी हिंदी लेखन यात्रा 76 साल की उम्र में भी जारी है। उन्हें ‘आशीर्वाद अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है। उनकी लेखनी सामाजिक विसंगतियों पर तीखा प्रहार करती है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाषाएं जोड़ती हैं, दिलों को एक करती हैं और जब कोई अपनी मातृभाषा से इतर किसी दूसरी भाषा को अभिव्यक्ति का माध्यम बना ले, तो यह उस भाषा की विजय का उत्सव होता है। हिंदी दिवस के विशेष अवसर पर जमशेदपुर के आर सत्यनारायण राव एक जीवंत प्रेरणा के रूप में उभरते हैं।
तेलुगु भाषी होते हुए भी उन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य की सेवा में समर्पित कर दिया। 12 वर्ष की कोमल आयु में हिंदी लेखन की जो यात्रा उन्होंने शुरू की थी, वह 76 वर्ष की आयु में भी अनवरत जारी है।
तेलुगु माध्यम से की पढ़ाई
सत्यनारायण राव की साहित्यिक साधना का ही प्रतिफल है कि उन्हें अहिंदी भाषी रचनाकार के तौर पर मुंबई में विख्यात शायर व गीतकार रहे कैफी आजमी के हाथों प्रतिष्ठित ‘आशीर्वाद अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। सत्यनारायण राव की मातृभाषा तेलुगु है और उन्होंने जमशेदपुर के प्रतिष्ठित एडीएल स्कूल से इसी भाषा में शिक्षा ग्रहण की। कक्षा नौ तक तेलुगु माध्यम से पढ़ाई करने के बाद आसपास के हिंदी भाषी माहौल ने उन्हें इस भाषा की ओर आकर्षित किया।
आर.सत्यनारायण राव। फाइल फोटो
महज 12 साल की उम्र से ही उन्होंने कहानी, कविता और व्यंग्य लेखन प्रारंभ कर दिया। जनता कालेज, बाराद्वारी से स्नातक करने वाले राव कहते हैं, मैं जन्म से तेलुगु भाषी अवश्य हूं, लेकिन हिंदी के लिए ही जीता हूं। पुरस्कारों से सुशोभित साहित्यिक यात्रा: राव की छह दशकों की साहित्यिक यात्रा कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सुशोभित रही है।
मिले कई पुरस्कार
उन्हें एक दर्जन से अधिक पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। वर्ष 1979 में उनकी कविता ‘सूर्योदय की प्रतीक्षा’ के लिए उन्हें ‘आशीर्वाद अवार्ड’ प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त डा. श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान द्वारा वर्ष 2000 में उन्हें ‘व्यंग्य सम्राट’ की मानद उपाधि से विभूषित किया गया।
सत्यनारायण राव ने व्यंग्य की धार से बनाई अलग पहचान
सत्यनारायण राव ने साहित्य की कई विधाओं में लेखन किया, लेकिन उनकी विशेष पहचान सिद्धहस्त कथाकार और व्यंग्यकार के रूप में स्थापित हुई। उनकी लेखनी सामाजिक विसंगतियों पर तीखा प्रहार करती है। वर्ष 2018 में उनका पहला व्यंग्य संकलन ‘चरणस्पर्श का सुख’ प्रकाशित हुआ।
इसके बाद ‘हाय रे दिल’ और ‘कुत्तों की खोज में भीड़ तंत्र’ जैसे व्यंग्य संकलनों ने उन्हें साहित्यिक जगत में खूब वाहवाही दिलाई। बच्चों के लिए भी उनका लेखन उल्लेखनीय रहा, जिसमें ‘आहना की वापसी’ नामक कहानी संग्रह प्रमुख है। अब तक उनकी कुल 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो हिंदी साहित्य के भंडार को समृद्ध कर रही हैं।
(जमशेदपुर से वेंकटेश्वर राव)
यह भी पढ़ें- Hindi Diwas 2025: दोहे से लेकर कहानी लिखने तक, हिंदी में कैसे महारथ हासिल कर रहा है AI?
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।