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    हिंदी बोलने में शर्म आती है? स्वामी विवेकानंद का ये किस्सा पढ़कर आप भी मातृभाषा पर करेंगे गर्व

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Wed, 14 Sep 2022 01:57 PM (IST)

    Hindi Diwas देश में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 1949 में इसे राजभाषा का दर्जा मिला था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था क ...और पढ़ें

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    हिंदी दिवस पर पढ़िए स्वामी विवेकानंद का रोचक किस्सा

    Hindi Diwas 2022: देश ही नहीं दुनिया में भी हिंदी का वर्चस्व तेजी से बढ़ रहा है। हिंदी को जनमानस की भाषा कहा जाता है। देश की लगभग आधी आबादी हिंदी भाषा ही बोलती है। हिंदी भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में भी काफी लोकप्रिय है। विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी तीसरे नंबर पर है।

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    1949 में मिला राजभाषा का दर्जा

    हिंदी को साल 1949 में 14 सितंबर को राजभाषा का दर्जा मिला था। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि 14 सितंबर के महत्व को देखते हुए इसी दिन हर साल हिंदी दिवस मनाया जाएगा।

    हिंदी दिवस पर देशभर में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यक्रम होते रहे हैं। हिंदी दिवस के मौके पर हम स्वामी विवेकानंद से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपको भी हिंदी पर गर्व होगा।

    स्वामी जी ने जीत लिया था दिल

    ये बात 1899 की है, उस साल स्वामी विवेकानंद अमेरिका पहुंचे थे। वहां, पहुंचने पर एक अमेरिकन स्वामी विवेकानंद से पूछा- How are you Swami Ji? स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए कहा, 'मैं अच्छा हूं।' उस अमेरिकन शख्स को लगा स्वामी जी को अंग्रेजी नहीं आती है। फिर उसने अगला सवाल हिंदू में पूछा, 'आपको अमेरिका आकर कैसा लग रहा है? स्वामी जी ने इसका जवाब अंग्रेजी में दिया और कहा, 'I am feeling good, your country is very beautiful' ये सुनकर अमेरिकी शख्स चौंक गया। उसने कहा कि जब मैंने आप से अंग्रेजी में सवाल किया तो आपने हिंदी में जवाब दिया और जब मैंने हिंदी में पूछा तो आप अंग्रेजी में जवाब दे रहे हैं, मैं कुछ समझा नहीं।

    अमेरिकी शख्स के सवाल का जवाब देते हुए स्वामी जी बोले, 'जब तुमने अपनी मातृ भाषा में सवाल किया तो मैंने अपनी मातृ भाषा का सम्मान किया।' स्वामी जी ने आगे कहा कि लेकिन जब तुमने मेरी मातृ भाषा का सम्मान किया और हिंदी में सवाल किया तो मैंने तुम्हारी मातृ भाषा का सम्मान किया और अंग्रेजी में जवाब दिया।

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