माइनस 60 डिग्री तापमान में भी सैनिकों को गर्म रखेगा 'हिमकवच'; 2024 रहा सबसे गर्म साल
डीआरडीओं ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया कि 20 डिग्री सेल्सियस से माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेलने के लिए डिजाइन किए गए हिमकवच ने हाल ही में सभी टेस्ट को पास कर लिया है जो भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। हिमालयी क्षेत्र में ठंडे मौसम की स्थिति में सैन्य अभियानों में बहुत उपयोगी होगी।

एएनआई, नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 'हिमकवच' नाम से मल्टीलेयर क्लोथिंग सिस्टम को सफलतापूर्वक विकसित किया है, जिसे अत्यधिक ठंडे वातावरण में काम करने वाले सैन्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है।
ठंडे मौसम की स्थिति में सैन्य अभियानों में बहुत उपयोगी होगी
डीआरडीओं ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया कि 20 डिग्री सेल्सियस से माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेलने के लिए डिजाइन किए गए हिमकवच ने हाल ही में सभी टेस्ट को पास कर लिया है, जो भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
हिमकवच प्रणाली में कई परतें शामिल हैं। यह वस्त्र प्रणाली हिमालयी क्षेत्र में ठंडे मौसम की स्थिति में सैन्य अभियानों में बहुत उपयोगी होगी, जहां तापमान में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे कर्मियों के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।
2024 रहा सबसे गर्म वर्ष
चाहे कैलिफोर्निया के जंगल में लगी आग हो या पिछले वर्ष भारत में पड़ी रिकार्ड गर्मी, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव साफ दिख रहा है। सामने आई रिपोर्ट और भी चिंता बढ़ाने वाली है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2024 अबतक का सबसे गर्म वर्ष रहा। यह पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक वैश्विक औसत तापमान वाला पहला वर्ष था। इसकी पुष्टि शुक्रवार को यूरोपीय जलवायु एजेंसी कापरनिकस ने की है।
जनवरी से जून 2024 तक हर महीना अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया। अगस्त को छोड़कर जुलाई से दिसंबर तक हर महीना 2023 के बाद रिकार्ड दूसरा सबसे गर्म महीना था।
कापरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के विज्ञानियों ने कहा कि 1850 में वैश्विक तापमान ट्रैकिंग शुरू होने के बाद से 2024 सबसे गर्म वर्ष रहा। औसत वैश्विक तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस था। यह 1991-2020 के औसत से 0.72 डिग्री अधिक और 2023 में पिछले रिकार्ड की तुलना में 0.12 डिग्री अधिक था। विज्ञानियों ने पाया कि 2024 में औसत तापमान 1850-1900 बेसलाइन से 1.60 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
तापमान लगातार इस सीमा से ऊपर रहेगा
साथ ही पहली बार है कि पूरे कैलेंडर वर्ष के लिए औसत वैश्विक तापमान 1850-1900 के औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। हालांकि, पेरिस समझौते में निर्दिष्ट 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का स्थायी उल्लंघन 20 या 30 साल की अवधि में दीर्घकालिक सीमा उल्लंघन को संदर्भित करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया अब एक ऐसे चरण में प्रवेश कर रही है, जहां तापमान लगातार इस सीमा से ऊपर रहेगा।
2025 के शीर्ष सबसे तीन गर्म वर्षों में शामिल होने की आशंका
अमेरिकी गैर-लाभकारी बर्कले अर्थ के एक शोध विज्ञानी जेके हासफादर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 2025 सबसे गर्म वर्षों में से एक होगा, लेकिन संभवत: रैंकिंग में शीर्ष पर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह अब भी शीर्ष तीन सबसे गर्म वर्षों में रहेगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जलवायु को गर्म करने वाला सबसे बड़ा कारक मानव-जनित उत्सर्जन है।
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