राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर की मांग पर हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और चुनाव आयोग से राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में आरोप है कि ठाकरे ने गैर-मराठी भाषियों पर हमले किए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से नफरत भरे शब्दों को हटाने को कहा और सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

बॉम्बे हाई कोर्ट। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग को एक याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया, जिसमें एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
आरोप है कि ठाकरे ने नागरिकों पर हमला किया क्योंकि वे मराठी में बात नहीं कर रहे थे। अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय की जनहित याचिका में दावा किया गया है कि राज ठाकरे और एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने बार-बार गैर मराठी बोलने वाले लोगों, विशेष रूप से उत्तर भारत के लोगों को निशाना बनाया है।
याचिका में की गई ये मांग
याचिका में चुनाव आयोग द्वारा आवश्यक कार्रवाई की भी प्रार्थना की गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुभाष झा ने तर्क किया कि ठाकरे के नेतृत्व वाली एमएनएस के ऐसे हथकंडे चुनावों के पहले बढ़ जाते हैं। मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंकड़ की पीठ ने सरकार और ईसीआई को चार सप्ताह में याचिका पर अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया।
पीठ ने याचिकाकर्ता से 'उत्तर भारतीय' और 'दक्षिण भारतीय' जैसे शब्दों को याचिका से हटाने के लिए भी कहा कि यह शब्द 'नफरत भरे भाषण' का पर्याय है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि राज ठाकरे ने 5 जुलाई को रैली के दौरान हिंसा को भड़काने था, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि जो लोग मराठी नहीं बोलते, उन्हें ''उनकी कान के नीचे मारा जाना चाहिए''।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।