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    अप्रैल में ही रिकॉर्ड तोड़ेगी बिजली की मांग, भीषण गर्मी से परेशान हो रहे लोग; सप्लाई पर कितना पड़ेगा असर?

    अब कुल बिजली उत्पादन में भी रिनीवेबल ऊर्जा सेक्टर की हिस्सेदारी बढ़ेगी। ताप बिजली संयंत्रों पर बोझ कम होगा। वैसे बिजली मंत्रालय का अनुमान है कि इस साल बिजली की अधिकतम मांग पिछले साल की अधिकतम मांग 2.50 लाख मेगावाट से बढ़ कर 2.70 लाख मेगावाट हो सकती है। जिन राज्यों में हीटवेब ज्यादा रही है वहां बिजली की मांग भी बढ़ी है।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Thu, 10 Apr 2025 08:00 PM (IST)
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    पिछले साल मई में बिजली की पीक आवर डिमांड का रिकॉर्ड बना था (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के अधिकांश हिस्सों में बेतहाशा गर्मी ने बिजली की मांग को भी बढ़ा दिया है और अब बिजली मंत्रालय का अनुमान है कि बिजली की मांग अप्रैल महीने के दौरान ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है। पिछले साल मई में बिजली की पीक आवर डिमांड एक समय 2.50 लाख मेगावाट पहुंच कर रिकॉर्ड बना था।

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    ताजी स्थिति यह है कि मार्च, 2025 में बिजली की मांग अधिकतम 2.35 लाख मेगावाट पहुंच चुकी है जो मार्च, 2024 के मुकाबले 6.9 फीसद ज्यादा थी। जबकि मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि मार्च, 2025 में जिस तरह से पिछले तीस वर्षों के औसत से ज्यादा गर्मी रही है, वैसे ही स्थिति अप्रैल, 2025 में रहेगी।

    बिजली की मांग में वृद्धि

    वैसे अभी देश के बिजली संयंत्रों की जो स्थिति है, उसके मुताबिक बढ़ी हुई मांग को पूरा करने में किसी तरह की परेशानी आने की संभावना नहीं है। गुरुवार को जारी क्रिसिल की रिपोर्ट में देश की बिजली की मांग और बिजली उत्पादन की स्थिति की समीक्षा की गई है। मार्च, 2025 में बिजली की मांग में 6.9 फीसद की वृ्द्धि हुई है जो आम तौर पर इस महीने बिजली की मांग में होने वाली वृद्धि से 50 फीसद ज्यादा है।

    जिन राज्यों में हीटवेब ज्यादा रही है, वहां बिजली की मांग भी बढ़ी है। जैसे गुजरात में बिजली की मांग 10 फीसद ज्यादा रही है। मौसम विभाग ने अप्रैल महीने में देश के कई राज्यों में 10 से 11 दिनों के हीट वेव (लू) चलने की आशंका जताई गई है जबकि पिछले महीने औसतन पांच दिनों ही लू चले थे।

    लगातार बढ़ रहा कोयले का स्टॉक

    • वैसे एक कारण यह भी रहा है कि मार्च में देश में औद्योगिक गतिविधियां भी अन्य महीनों के मुकाबले ज्यादा रही है। यह स्थिति मौजूदा महीने में भी बने रहने की संभावना है। जहां तक ताप बिजली संयंत्रों की स्थिति की बात है तो उनके पास कोयले का स्टॉक लगातार बढ़ रहा है। 31 मार्च, 2025 तक की स्थिति के मुताबिक इन संयंत्रों के पास 20 दिनों का औसतन पर्याप्त को कोयला है। फरवरी, 2025 में यह औसत 19 दिनों का था।
    • जबकि एक वर्ष पहले मार्च, 2024 में 18 दिनों का कोयला था। कोयला आपूर्ति बढ़ने की वजह से ही मार्च महीने में मांग को देखते हुए बिजली का उत्पादन आठ फीसद ज्यादा रहा। देश में कुल बिजली उत्पादन का 75 फीसद हिस्सा ताप बिजली संयंत्रों का रहा। दूसरी तरफ, सरकारी आंकड़ें भी बताते हैं कि मार्च, 2024 के मुकाबले मार्च, 2025 में सौर ऊर्जा बिजली संयंत्रों की स्थापित क्षमता 29.13 फीसद बढ़ कर 1.05 लाख मेगावाट और पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापित क्षमता 9 फीसद की वृद्धि के साथ 50 हजार मेगावाट को पार कर गई है।

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