Saradha Case: राजीव कुमार पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार लेकिन मिली सात दिनों की मोहलत
Saradha chit fund case सुप्रीम कोर्ट ने सारधा चिट फंड केस में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान करने वाला अपना आदेश वापस ले लिया है।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। Saradha chit fund case सारधा चिटफंड घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ आइपीएस और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा दी है और सीबीआइ को कानून के मुताबिक, कार्रवाई की छूट दे दी है। इससे राजीव कुमार पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। हालांकि कोर्ट ने गिरफ्तारी पर फिलहाल सात दिनों तक रोक जारी रखी है ताकि राजीव कुमार राहत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटा सकें।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले राजीव कुमार के लिए यह पिछले दो दिनों में दूसरा झटका है। गत 15 मई को चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में हिंसा पर सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें दिल्ली बुला लिया था और गृह मंत्रालय से संबद्ध कर दिया था। सीबीआइ ने कुमार पर सारधा घोटाले में बड़े लोगों और नेताओं को बचाने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत बताई थी। जांच एजेंसी ने गत पांच फरवरी को रोक का आदेश हटाने की मांग की थी। मामले में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सुनवाई की थी।
शुक्रवार को जस्टिस संजीव खन्ना ने पीठ की ओर से फैसला सुनाया। कोर्ट ने पांच फरवरी के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि तीन फरवरी को सीबीआइ और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच हुए टकराव के बाद कोर्ट ने यह आदेश इस उद्देश्य से दिया था कि सीबीआइ की ओर से कुमार पर लगाए जा रहे आरोपों में पूछताछ सुनिश्चित हो सके और साथ ही उनकी गिरफ्तारी रोकी जाए। लेकिन यह उपाय काम नहीं आया। कुमार और राज्य सरकार का कहना है कि सारी जानकारी सीबीआइ को दी गई है और जांच एजेंसी धारा 201-202 के तहत उन पर साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोप लगा रही है। लेकिन उन पर इस बारे में कोई एफआइआर दर्ज नहीं है। जबकि सीबीआइ का कहना था कि यह जांच सारधा चिटफंड घोटाले में दर्ज एफआइआर में ही हो रही है।
कोर्ट ने कहा है कि वह इस पर फैसला नहीं दे रहा है कि सीबीआइ को कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करनी चाहिए या नहीं। कोर्ट गिरफ्तारी पर रोक का आदेश वापस लेता है और सीबीआइ को कानून के मुताबिक कार्रवाई की छूट होगी। हालांकि रोक का आदेश सात दिनों तक लागू रहेगा ताकि कुमार राहत के लिए सक्षम अदालत जा सकें। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश 1988 में एआर अंतुले केस मे दी गई व्यवस्था के अनुकूल है जिसमें कहा गया था कि कानून में तय प्रक्रिया का कड़ाई से पालन होना चाहिए और प्रक्रिया किसी के लिए भी हानिकारक नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने साफ किया है कि वह मामले की मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है।
अगर हिरासत में लेकर पूछताछ करने या गिरफ्तारी से राहत की अर्जी दाखिल होती है तो यह आदेश उसे तय करने का आधार नहीं होगा। कोर्ट ने सीबीआइ की अर्जी निपटा दी और अवमानना याचिका बाद मे लगाने को कहा है।कोर्ट ने पांच फरवरी को कुमार की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, लेकिन उन्हें जांच में सहयोग करने को कहा था। पूछताछ के लिए उन्हें शिलांग में सीबीआइ के सामने पेश होने का आदेश दिया था। सीबीआइ ने कहा था कि पूछताछ में कुमार का रवैया अडि़यल रहा। उन्होंने जांच में सहयोग नहीं दिया। जबकि कुमार और राज्य सरकार का कहना था कि पूरा सहयोग दिया गया। उन्हें राजनीतिक उद्देश्य से परेशान किया जा रहा है। हिरासत में लेने की मांग उनकी छवि खराब करने के लिए है।
सीबीआइ और राज्य पुलिस के टकराव पर कोर्ट ने जताई चिंता
कोर्ट ने सीबीआइ और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच टकराव पर चिंता जताते हुए कहा कि दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। ये भूल गये हैं कि पुलिस की महती जिम्मेदारी अपराध की जांच करना साक्ष्य एकत्रित करना और अपराधी पर मुकदमा चलाना है। स्थिति दुखद है दोनों अपने अपने स्टैंड पर अड़े हैं और कोई भी ऐसा प्रशासनिक तंत्र नहीं है जो देश की इन दो पुलिस फोर्स का झगड़ा निपटा सके। इसमें वे लाखों कस्बों और गांवों के छोटे निवेशक प्रताडि़त हो रहे हैं जिनकी बचत का पैसा लूट लिया गया है।
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