श्री श्री के कार्यक्रम के खिलाफ NGT में सुनवाई, पूछा अंदाजा है पर्यावरण को कितना होगा नुकसान?
यमुना के तट पर 11 से 13 मार्च तक होने वाले श्री श्री रविशंकर के वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को लेकर उठे सवालों से जुड़ी याचिका पर आज एनजीटी में सुनवाई हुई।

दिल्ली। यमुना के तट पर 11 से 13 मार्च तक होने वाले श्री श्री रविशंकर के वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को लेकर उठे सवालों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कई सवाल उठाए हैं
एनजीटी की बैंच ने सवाल उठाया कि इस मामले पर इतनी देर से याचिका क्यों डाली गई?
जब यमुना में कूड़ा डालने के तस्वीरें सामने आईं उस वक्त क्विक रेस्पांस टीम क्या कर रही थी? फोटो देखने के बाद तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रशासन से भी सवाल पूछा है कि किस अधिकार के तहत उन्होंने इस कार्यक्रम के पार्किंग की इजाजत दी?
इसके अलावा यूपी सरकार से ये भी सवाल पूछा गया है कि क्या कार्यक्रम के लिए जितनी जगह की इजाजत दी गई थी उससे ज्यादा जगह का इस्तेमाल किया गया है? साथ ही साथ एनजीटी ने ये भी पूछा है कि कूड़ा साफ करने में कितने पैसे खर्च होंगे?
एनजीटी ने पर्यावरण मंत्री से भी सवाल पूछा है कि अगर कोई बाढ़ के मैदानी हिस्सों में बदलाव करता है तो क्या आपको नहीं लगता कि उसे इसके लिए आपकी अनुमति लेनी चाहिए?
एनजीटी की बेंच ने डीडीए, दिल्ली सरकार, पर्यावरण मंत्रालय, आर्ट ऑफ लीविंग और यूपी सरकार से सवाल पूछा है कि क्या उन्होंने इस बात का अनुमान लगाया है कि इस कार्यक्रम का पर्यावरण और जैव विविधता पर क्या असर पड़ेगा और इससे कितना प्रदुषण पैदा होगा?
एनजीटी की बेंच ने ये भी सवाल उठाया कि आर्ट ऑफ लीविंग फाउंडेशन ने कहा था कि वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल में दो से तीन लाख लोग आएंगे लेकिन उन्होंने जो विज्ञापन दिए हैं उसके मुताबिक करीब 35 लाख लोग इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे?
इससे पहले दिल्ली सरकार ने एनजीटी की बैंच के सामने रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल के आयोजकों ने दिल्ली पुलिस और अग्नि श्रमन विभाग से इस कार्यक्रम के लिए कोई अनुमति नहीं ली है।
इस पूरे विवाद पर श्री श्री रविशंकर ने कहा कि वो यमुना को साफ रखना चाहते हैं और वो वहां एक खूबसूरत जैव विविधता वाला पार्क छोड़कर जाएंगे। श्री श्री ने ये भी दावा किया कि इस कार्यक्रम की तैयारियों के दौरान एक भी पेड़ को नहीं काटा गया है। उन्होंने कहा कि जहां तक उनकी जानकारी है सिर्फ चार पेड़ों की छटाई की गई है लेकिन एक भी पेड़ को काटा नहीं गया है।
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यमुना किनारे होने वाले इस कार्यक्रम के चलते पर्यावरण के नुकसान को लेकर आनंद आर्या और मनोज मिश्रा नाम के दो व्यक्तियों ने एनजीटी में याचिका दायर कर कहा कि डीडीए मान रहा है कि वहां नियमों की अनदेखी हो रही है तो क्यों ना आयोजन की अनुमति को रद किया जाए।
इस मामले में याचिकाकर्ता अानंद अार्या ने बताया कि श्री श्री रविशंकर का कार्यक्रम एेसे जगह पर अायोजित हो रहा है जहां किसी भी प्रकार का स्थायी तथा अस्थायी निर्माण की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि श्री श्री रविशंकर के यमुना किनारे भव्य कार्यक्रम से वहां के पर्यावरण और जैव विविधता पर असर पड़ेगा, हमारी आपत्ति केवल इसी पर है।
हम पॉजिटिव लेकर अाएंगेः श्रीश्री रविशंकर
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आर्ट ऑफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर ने कहा है कि सब कुछ कानून के मुताबिक ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका मकसद यमुना को गंदा करना नहीं बल्कि यमुना की सफ़ाई है। आर्ट ऑफ लिविंग यमुना नदी को साफ करने में सबसे आगे है। कार्यक्रम का मकसद नदी को साफ करना है, गंदा करना नहीं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को निगेटिव बोलने की अादत है।
हम पॉजिटिव लेकर अाएंगे। हम यमुना को स्वच्छ रखना चाहते हैं। जहां तक हमें जानकारी है इस कार्यक्रम में एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। हम पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के बाद हम यहां पर एक खूबसूरत जैव-विविधता पार्क को छोड़कर जाएंगे।

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