बंगाल SIR में नहीं चलेगा 'स्वास्थ्य साथी कार्ड', चुनाव आयोग ने कर दिया साफ
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि पश्चिम बंगाल सरकार का स्वास्थ्य साथी कार्ड मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए नागरिकता प्रमाण के रूप में मान्य नहीं होगा। आयोग ने यह निर्णय बंगाल के सीईओ के प्रश्न के उत्तर में दिया। आयोग के अनुसार एसआईआर के लिए केवल नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेजों पर ही विचार किया जाएगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ममता सरकार के स्वास्थ्य साथी कार्ड (पांच लाख के स्वास्थ्य बीमा वाला कार्ड) का इस्तेमाल मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए दस्तावेज के रूप में नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग ने इसकी जानकारी बंगाल के सीईओ को दी है।
सूत्रों के अनुसार, राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) ने आयोग की बैठक में पूछा था कि क्या स्वास्थ्य साथी कार्ड को एसआइआर के लिए दस्तावेज माना जा सकता है या नहीं। इस पर आयोग ने कहा कि नागरिकता प्रमाण वाले दस्तावेजों पर विचार किया जाएगा। स्वास्थ्य साथी कार्ड उस सूची में शामिल नहीं है।
आयोग ने चुनाव अधिकारियों के साथ की थी बैठक
दरअसल, चुनाव आयोग ने बुधवार को सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक की थी। सूत्रों के अनुसार, उस बैठक में आयोग ने मुख्य चुनाव अधिकारियों से कहा कि अगर एसआईआर के लिए निर्दिष्ट 11 दस्तावेजों (बारहवां दस्तावेज आधार, जो वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार केवल बिहार के लिए है) के अलावा कोई अन्य दस्तावेज नागरिकता प्रमाण है, तो वे आयोग को सूचित कर सकते हैं।
ममता सरकार ने दिया था प्रस्ताव
सूत्रों का दावा है कि ममता सरकार ने बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी को प्रस्ताव दिया था कि क्या स्वास्थ्य साथी कार्ड को एसआइआर दस्तावेज के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सीईओ ने बैठक में ममता सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव रखा। इस पर आयोग ने बंगाल के सीईओ से पूछा कि क्या यह हेल्थ कार्ड नागरिकता का प्रमाण है।
सीईओ ने कहा कि हेल्थ कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह राज्य के लोगों को मुफ्त चिकित्सा के लिए दिया जाता है। आयोग ने तब बताया कि केवल नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेजों को ही एसआइआर दस्तावेज माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, यह नियम अभी केवल बिहार के लिए है। शीर्ष अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि आधार कार्ड कभी भी नागरिकता का प्रमाण नहीं है। आधार कार्ड का उपयोग केवल मतदाता सूची में नाम दर्ज करने के लिए किया जा सकता है।
बंगाल में कब शुरू होगा एसआईआर?
अगर सब कुछ ठीक रहा, तो एसआईआर अगले महीने, यानी अक्टूबर में पूजा के बाद, बंगाल सहित पूरे देश में शुरू हो सकता है। चुनाव आयोग के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। आयोग ने पहले संकेत दिया था कि बिहार के बाद अन्य राज्यों में भी एसआईआर शुरू किया जा सकता है।
हालांकि, तारीख की पुष्टि नहीं की। बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। मतदाता सूची में संशोधन के लिए राष्ट्रीय चुनाव आयोग की यह पहल काफी महत्वपूर्ण है। बंगाल में आखिरी एसआइआर 2002 में हुआ था।
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