पत्नी के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा है कि कानूनी तौर पर विवाहित पत्नी के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है।

बिलासपुर, एजेंसी। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कानूनी तौर पर विवाहित पत्नी के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध को दुष्कर्म मानने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एन के चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने कानूनी तौर पर विवाहित पत्नी के साथ बलपूर्वक अथवा उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाने या यौन क्रिया को दुष्कर्म नहीं माना है।
एडवोकेट वाई सी शर्मा ने बताया कि राज्य के बेमेतरा जिले के एक प्रकरण में शिकायतकर्ता पत्नी ने अपने पति पर दुष्कर्म और अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था। पति ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक दुष्कर्म के अलावा अन्य आरोपों में यह प्रकरण जारी रहेगा।
Chhattisgarh HC ordered that charges against a man u/s 376 won't be considered crime if the complainant is his wife. She should be legally married & above 18yrs. Marital relation is an offence in other countries but no such provision in India: YC Sharma, Advocate pic.twitter.com/ALzSenRWR7
— ANI (@ANI) August 26, 2021
शर्मा ने बताया कि बेमेतरा जिले में पति-पत्नी के बीच विवाह के बाद मनमुटाव चल रहा था। पत्नी ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनका विवाह जून 2017 में हुआ था। शादी के कुछ दिनों बाद उसके पति और ससुराल पक्ष ने दहेज़ की मांग करते हुए उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उसके पति उसके साथ गाली-गलौज और मारपीट भी किया करते थे। पत्नी ने यह आरोप भी लगाया कि उसके पति ने कई बार उसके साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध और अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाया था।
अधिवक्ता ने बताया कि जांच के बाद थाने में पति और अन्य के खिलाफ धारा 498-ए तथा पति के खिलाफ 377, 376 के तहत मामला दर्ज किया गया था। स्थानीय अदालत में चालान पेश करने के बाद निचली अदालत ने धाराओं के तहत आरोप तय कर दिया था।
महिला के पति ने दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पति की तरफ से तर्क दिया गया था कि कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ पति द्वारा शारीरिक संबंध या कोई भी यौन कृत्य दुष्कर्म नहीं है, भले ही वह बलपूर्वक अथवा पत्नी की इच्छा के खिलाफ किया गया हो। इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला भी दिया था।
हाई कोर्ट में इस मामले पर 12 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई थी। जस्टिस चंद्रवंशी ने 23 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए कानूनी तौर पर विवाहित पत्नी के साथ बलपूर्वक या उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं माना है।
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