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    HAL 156 हेलीकॉप्टरों के कुछ हिस्से निजी कंपनियों से बनवाएगा, इस वजह से लिया गया फैसला

    Updated: Sun, 06 Apr 2025 11:29 PM (IST)

    एचएएल विदेशी कंपनियों से अपने अव्यय विदेश में बनवाने के बजाय अब और आत्मनिर्भर बनने के लिए अपनी परियोजनाओं में विदेशी कंपनियों पर अपनी निर्भरता कम करने का फैसला लिया है। एचएएल को रक्षा मंत्रालय से 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों (एलसीएच) की खरीद के लिए रक्षा सौदा किया है। 156 एलसीएच की खरीद में से 90 हेलीकॉप्टर थल सेना के लिए और 66 वायुसेना के लिए हैं।

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    निजी कंपनियों को काम का कुछ हिस्सा आउटसोर्स होगा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    नई दिल्ली, एएनआई। भारतीय सेना और वायुसेना के लिए 156 हल्के युद्धक हेलीकॉप्टरों एलसीएच का ऑर्डर हासिल करने के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) अब अब इस बड़े रक्षा सौदे को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का कार्यभार निजी क्षेत्रों की कंपनियों से साझा करना चाहता है। यानी वह अपने 156 हेलीकॉप्टर बनाने के लक्ष्य को युद्धस्तर पर पूरा करने के लिए देश की निजी कंपनियों को काम का कुछ हिस्सा आउटसोर्स करेगा।

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    विगत शुक्रवार को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 62,500 करोड़ रुपये के रक्षा सौदे को मंजूर करते हुए इस संबंध में रक्षा मंत्रालय और एचएएल ने इस सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि एचएएल अब लाइट कांबैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) के लिए जल्द ही बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र को इसमें शामिल करेगा। इसके लिए वह टेंडर भी निकालेगा। करीब 62,500 करोड़ की परियोजना में करीब 40 प्रतिशत का काम निजी उद्योगों से कराने की योजना है।

    देश की सबसे बड़े एयरोस्पेस कंपनी HAL

    एलसीएच को प्रचंड के नाम से भी जानते हैं। यह दुनिया का ऐसा पहला लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जो 16,400 फुट की ऊंचाई पर लैंड करने के साथ ही उड़ान भर सकता है। इस खूबी के चलते सियाचिन और पूर्वी लद्दाख के लिए इसे बहुत अहम माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि एलसीए प्रोजेक्ट में भी विमान के विभिन्न हिस्सों जैसे फ्यूजलेज, विंग्स आदि को बनाने का काम देश की बड़ी निजी कंपनियों जैसे लार्सन एंड टूब्रो और वेम टेक्नोलाजी आदि को सौंपा है। इससे देश में रक्षा सौदों के लिए सभी स्तरों पर इकोसिस्टम बेहतर होगा।

    एचएएल इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण कर्नाटक स्थित अपने बेंगलुरु और तुमकुर स्थित प्लांटों में करेगा। उल्लेखनीय है कि एचएएल देश की सबसे बड़ी एयरोस्पेस कंपनी है और उसके पास विभिन्न परियोजनाओं के फिलहाल 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कार्डर है। इनमें से 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक के आर्डर निकट भविष्य में उसे और मिल सकते हैं। इसमें 12 एसयू-30 युद्धक विमानों के साथ ही 12 एलसीए जेट विमानों की भी आपूर्ति शामिल है।

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