Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    GuruPurab 2022: गुरुनानक ने दिया था मरजाना को मरदाना का नाम, बख्‍शा था तार का गुण, जानें- पूरी कहानी

    By Jagran NewsEdited By: Kamal Verma
    Updated: Tue, 08 Nov 2022 04:09 PM (IST)

    GuruPurab 2022 गुरु नानक देव का जब भी नाम लिया जाता है तो उसमें मरदाना का जिक्र न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। मरदाना जिनको गुरु नानक देव जी ने ही ये नाम द ...और पढ़ें

    Hero Image
    गुरु नानक देव की परछाई थे मरदाना, अंतिम सांस तक रहे करीब

    नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। आज जब हम गुरुनानक जयंति मना रहे हैं तो हमारे लिए इसके महत्‍व को जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है। गुरुनानक देव, जो सिखों के प्रथम गुरू थे का जन्‍म ननकाना के तलवंडी गांव में, जो अब पाकिस्‍तान में है, हुआ था। गुरुनानक देव के सबसे करीबी रहने वालों में मरदाना का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वो गुरुनानक देव के बेहद प्रिय भी थे। हालांकि उनके प्रिय भाई लहना, बाला और रामदास भी थे, लेकिन क्‍योंकि मरदाना हमेशा उनके साथ रहे इसलिए वो कुछ अधिक प्रिय थे। भाई मरदाना को लेकर एक कथा बेहद प्रचलित है, जिसको जानना हम सभी के लिए बेहद जरूरी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मरजाना नहीं मरदाना होगा नाम 

    गुरू नानक देव जब करीब 9-10 वर्ष के थे तब मरदाना को लेकर उनके माता पिता गुरु नानक देव के घर आए थे। गुरु नानक देव के माता पिता ने जब उनके साथ में एक बच्‍चे को देखा तो उन्‍होंने उसका नाम जानना चाहा। इस पर जवाब मिला कि इसका नाम मरजाना है। गुरु नानक देव के माता पिता इस नाम को सुनकर हैरान हुए और बोले की ऐसा नाम भी कोई अपने बच्‍चों का रखता है। तब मरदाना के पिता ने कहा कि उनके कई संतान हुईं, लेकिन कोई भी नहीं बची। ऐसे में ये भी कितने दिन रहेगा, इसलिए इसका नाम मरजाना रखा है।

    उस वक्‍त गुरु नानक देव वहीं पर मौजूद थे। उन्‍होंने कहा कि इसका नाम मरजाना नहीं मरदाना होगा। बस तभी से उनका नाम मरदाना हो गया। मरदाना एक मुस्लिम थे लेकिन गुरु नानक देव के वो न सिर्फ करीबी थे बल्कि सच्‍चे भक्‍त भी थे। कहा जाता है जहां गुरु नानक देव पैदा हुए थे वहीं मरदाना भी पैदा हुए थे। कुछ जगहों पर मरदाना के गुरु नानक देव से बड़ा होने की भी बात सामने आती है।

    पत्‍थर के समान थी गुरु नानक देव की वाणी 

    बड़े होकर मरदाना गुरु नानक देव के पास आ गए। गुरु नानक देव जी का कहा वचन उनके लिए पत्‍थर के समान था। एक बार गुरु नानक देव ने पूछा कि मरदाना तूने मेरी इतनी सेवा की है, मेरा हर कहा माना है, मांग क्‍या मांगता है। आज तेरी इच्‍छा पूरी होगी। इस पर मरदाना कुछ सोचकर बोले मुझे आप अपने करीब रखो इससे ज्‍यादा कुछ नहीं मांगता हूं। इस पर गुरु नानक देव हंसे और बोले मरदाना मैं तुझे आज तार का गुण बख्‍शता हूं। पहले पहले मरदाना को ये सुनकर अजीब लगा, लेकिन उन्‍होंने कुछ नहीं कहा।

    रबाब की स्‍वर लहरी 

    बाद में गुरु नानक देव ने उन्‍हें रबाब दिया और कहा इसको बजा मरदाना और दुनिया वालों को जीवन की राह दिखा। इसके बाद मरदाना ने उस तार के गुण को शब्‍दों और संगीत में पिरो दिया और जहां-जहां गुरु नानक देव जी गए मरदाना ने उनके कहे मुताबिक लोगों को राह दिखाई। मरदाना कहते थे आप भगवान के भेजे हुए हैं जो उसका संदेश देते हैं और मैं आपका संदेश देता हूं।

    जब त्‍यागे मरदाना ने प्राण 

    गुरु नानक देव के साथ मरदाना ने मक्का, कश्मीर, तिब्बत, मणिपुर, बंगाल समेत कई जगहों की यात्राएं की। कहा जाता है कि जब गुरु नानक देव के साथ मरदाना बगदाद गए तो वहां पर वो बीमार पड़ गए। उनके बचने की कोई उम्‍मीद नहीं थी। निधन से पहले गुरु नानक देव ने उनसे पूछा कि तुम्‍हारा अंतिम संस्‍कार किस तौर -तरीके से किया जाए। तब मरदाना ने कहा जैसे आप चाहें वैसे मेरा अंतिम संस्‍कार कर देना। 1534 में का निधन हो गया। गुरु नानक देव ने उनका अंतिम संस्‍कार मुस्लिम रीति रिवाज से किया। बगदाद रेलवे स्टेशन के पास आज भी मरदाना का स्‍मारक है।  

    हमारे सौर मंडल में मौजूद ग्रहों के अलावा एस्‍ट्रायड के भी हैं अपने Moon, कुछ पर लगभग हर रोज होता है ग्रहण

    आखिर कब लगता है चंद्रग्रहण क्‍या है इसका पीछे का विज्ञान, आइये जानें इसकी कुछ खास बातें जो आपको अब तक नहीं पता