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    36 साल बाद गुजरात फिर बना टाइगर स्टेट, रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में बाघ की स्थायी मौजूदगी

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 07:29 PM (IST)

    गुजरात 36 साल बाद फिर से टाइगर स्टेट बन गया है। दाहोद के रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में बाघ की स्थायी मौजूदगी की पुष्टि के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्रा ...और पढ़ें

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    रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में बाघ की स्थायी मौजूदगी। (फाइल )

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात ने तीन दशक से ज्यादा समय बाद एक बार फिर भारत के टाइगर स्टेट में अपनी जगह बना ली है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने गुजरात को 2026 के राष्ट्रीय बाघ गणना अभियान में शामिल करने का फैसला किया है। यह फैसला दाहोद जिले के रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में बाघ की स्थायी मौजूदगी के बाद लिया गया।

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    उपमुख्यमंत्री हर्ष संघवी ने शुक्रवार को बताया कि एनटीसीए द्वारा राज्य में बाघ की उपस्थिति की पुष्टि के बाद गुजरात ने बाघ-प्रभुत्व वाले राज्य का दर्जा पुन: प्राप्त कर लिया है। मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही गुजरात अब शेर, तेंदुआ और बाघ का निवास स्थान बन गया है। वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार, गुजरात में बाघ 36 साल पहले 1989 में विलुप्त हो गए थे।

    उन्होंने आगे कहा कि संरक्षण, सतर्क वन टीमों और गुजरात के समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के लिए यह एक गौरवपूर्ण क्षण है। प्रकृति सही तरीके से संरक्षित होने पर अपना रास्ता खोज ही लेती है। गुजरात के वन एवं पर्यावरण मंत्री अर्जुन मोडवाडिया ने बताया कि एनटीसीए की एक टीम ने हाल ही में राज्य का दौरा किया था और अध्ययन के बाद अभयारण्य में बाघ की उपस्थिति की पुष्टि की।

    उन्होंने कहा कि एक समय था जब गुजरात के जंगलों में बाघ घूमते थे। लेकिन लगभग तीन दशक पहले वे विलुप्त हो गए। लगभग आठ महीने पहले हमारे कर्मचारियों ने रतनमहल वन्यजीव अभयारण्य में एक बाघ को देखा और बाद में यह पुष्टि हुई कि बाघ उस जंगल में बस गए है। दशकों तक गुजरात की पहचान दुनिया भर में केवल एशियाई शेरों के इकलौते घर के रूप में थी, लेकिन अब यहां के जंगलों में बाघ की दहाड़ भी गूंजेगी।

    दाहोद के रतनमहल अभयारण्य में करीब चार साल के एक बाघ ने अपना ठिकाना बना लिया है। अधिकारियों के अनुसार, यह बाघ मध्य फरवरी में गुजरात-मध्य प्रदेश सीमा के रास्ते यहां दाखिल हुआ था। शुरुआत में इसे एक भटकता हुआ बाघ माना जा रहा था, लेकिन पिछले 10 महीनों से लगातार रतनमहल में मौजूदगी ने इसे गुजरात का स्थायी निवासी साबित कर दिया है।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)