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    क्या है ट्राइबल जीनोम प्रोजेक्ट? गुजरात से हो रही शुरुआत, जानिए किसे मिलेगा सबसे अधिक फायदा

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 05:47 PM (IST)

    गुजरात सरकार ने आदिवासी समुदायों की आनुवंशिक स्वास्थ्य जरूरतों को समझने के लिए देश के पहले ट्राइबल जीनोम सीक्वेंसिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर द्वारा लागू इस परियोजना का उद्देश्य जनजातीय आबादी में आनुवंशिक जोखिमों की पहचान करना और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा में सुधार करना है। इसके तहत 17 जिलों के 2000 आदिवासी लोगों का जीनोम सीक्वेंस किया जाएगा।

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    गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर इस प्रोजेक्ट को लागू करेगा। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात में आदिवासियों की आनुवंशिक स्वास्थ्य जरूरतों (Genetic Health Needs) को वैज्ञानिक तरीके समझने के लिए प्रभावी कदम उठाया है। गुजरात ने देश के पहले ट्राइबल जीनोम सीक्वेंसिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर इस प्रोजेक्ट को लागू करेगा।

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    जनजातीय विकास मंत्री डॉ. कुबेर डिंडोर ने गांधीनगर में आयोजित एक उच्च स्तरीय संवाद में इस प्रोजेक्ट की घोषणा की। इस पहल का मकसद जनजातीय आबादी के भीतर आनुवंशिक स्वास्थ्य जोखिमों की समझ को बढ़ाना और व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवा समाधानों तक पहुंच में सुधार करना है।

    क्या है ट्राइबल जीनोम प्रोजेक्ट?

    इस प्रोजेक्ट में गुजरात के 17 जिलों के 2000 आदिवासी लोगों का जीनोम सीक्वेंस किया जाएगा। इसका मकसद इन समुदायों में आनुवंशिक बीमारियों की पहचान और उपचार के लिए एक रेफरेंस डाटाबेस तैयार करना है।

    इसके बाद जल्द ही जमीनी स्तर पर सैंपल कलेक्शन शुरू किया जाएगा। जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए अत्याधुनिक लैब, डेटा एनालिसिस और विशेषज्ञ टीम काम करेगी।

    दरअसल, देश की आदिवासी आबादी के लिए अब तक कोई व्यापक जीनोमिक डाटाबेस नहीं था। यह परियोजना इस खाई को भरने का काम करेगी और आगे नीति निर्माण व अनुसंधान के लिए अहम आधार बनेगी।

    आदिवासी समुदायों को कैसे मिलेगा लाभ मिलेगा?

    इससे आनुवंशिक बीमारियों जैसे सिकल सेल बीमारी, थैलेसीमिया और कुछ कैंसर की पहले पहचान संभव होगी। इसके अलावा, प्राकृतिक रोग प्रतिरोधकता वाले जीन की भी पहचान होगी और इलाज को व्यक्ति विशेष के हिसाब से अनुकूल बनाया जा सकेगा।

    इस प्रोजेक्ट की सफलता पर निर्भर करेगा कि इसकी स्वीकार्यता कितनी है। कामयाबी मिलने पर अन्य राज्यों और केंद्र सरकार की ओर से अपनाया जा सकता है। इसके पूरे देश के आदिवासी समुदायों को फायदा मिल सकता है।

    (एएनआई इनपुट्स के साथ)

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