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    कुप्रथा से बचने के लिए 12 साल पहले पलायन कर गए थे आदिवासी, गुजरात सरकार ने की पुनर्वास की पहल

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 08:45 PM (IST)

    गुजरात के बनासकांठा जिले के 300 आदिवासी परिवारों ने 12 साल पहले चडोतरु नामक कुप्रथा से बचने के लिए गांव छोड़ दिया था। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी की पहल से पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाकर इस प्रथा को खत्म करने का आश्वासन दिलाया। अब ये परिवार सूरत से अपने गांव पीपोदरा लौटेंगे।

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    इन परिवारों को पुलिस सूरत से पीपोदरा गांव लेकर जाएगी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। आदिवासी समुदाय में प्रचलित कुप्रथा 'चडोतरु' से बचने के लिए 12 वर्ष पहले गुजरात के बनासकांठा के 300 आदिवासी गांव छोडकर सूरत जा बसे थे। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी की पहल पर पुलिस दोनों पक्षों को समझाकर 'चडोतरु' की प्रथा को पूरा न करने का भरोसा लेकर इन परिवारों का गांव में पुनर्वास कराएगी।

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    गुरुवार को इन परिवारों को पुलिस सूरत से पीपोदरा गांव लेकर जाएगी। आदिवासी समुदाय में आज भी सदियों पुरानी कुप्रथाएं चल रही हैं। ऐसी ही एक प्रथा 'चडोतरु' यानी किसी बात को लेकर कोई विवाद हो जाए तो उसका बदला लेने के लिए परिवार दशकों तक इंतजार करते हैं।

    12 साल पहले हुआ था पलायन

    बनासकांठा की दांता तहसील के गांव पीपोदरा से करीब 12 वर्ष पहले कोदार्वी में रहने वाले आदिवासियों ने चडोतरु से बचने के लिए अपने गांव व खेत खलिहान को छोड़कर रातों रात पलायन कर दिया था। वे सूरत व पालनपुर चले गए थे। इसके बाद इनके घर खंडहर हो गए थे।

    खेत-खलिहान भी बंजर हो गए। राज्य के गृह राज्य मंत्री संघवी ने इस मामले में मध्यस्थता करते हुए पुलिस के माध्यम से आदिवासी समुदाय की इन जातियों के बीच समझौता कराकर चडोतरु जैसी कुप्रथा को छोड़ने के लिए राजी किया।

    इसके बाद 300 कोदार्वी आदिवासी परिवार अपने गांव में पुनर्वास के लिए राजी हुए। प्रशासन ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनके आवास बनवाए। इसके साथ ही उनकी जमीन को खेती लायक बनाया गया ताकि ये परिवार अपने गांव में फिर से सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें।

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