'हम इस युद्ध में शामिल...', GST Reforms को लेकर क्या है देश के दिग्गजों का मूड, आनंद महिंद्रा ने रखी दिल की बात
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में केंद्र सरकार के सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी और विकास दर 8% से अधिक बनी रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। जीएसटी दरों में कमी से घरेलू उत्पादों की मांग बढ़ेगी जिससे आर्थिक विकास तेज होगा। आनंद महिंद्रा ने...

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक अनिश्चतता के दौर में वस्तु व सेवा शुल्क (जीएसटी) में बड़े सुधार करने के केंद्र सरकार के फैसले का ना सिर्फ भारतीय इकोनॉमी को मौजूदा झंझावातों से बाहर निकालने में मदद करेगा बल्कि यह अगले दो-तीन वर्षों तक भारत की आर्थिक विकास दर की रफ्तार को 8 फीसद या इससे ज्यादा बनाए रखने का आधार तैयार करेगा।
कुछ विशेषज्ञों ने इसे देश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ (कारोबार करने में सहूलियत) की दिशा में सबसे अहम कदम बताया है। दो स्तर की जीएसटी दरों को अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात में कमी की भरपाई भी होने की बात कही जा रही है।
वजह यह है कि घरेलू जरूरत के सामानों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों, कारों, दोपहिया वाहन और सब कुछ कम जीएसटी दिए जाने की वजह से सस्ते होंगे, लिहाजा इनकी मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। वहीं, कुछ उद्यमियों ने आर्थिक सुधारों की गति को और तेज करने की भी बात कही है।
घरेलू मांग में वृद्धि यानी तेज विकास
भारत की आर्थिक विकास दर में निर्यात की भूमिका बहुत ही कम होती है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था अभी भी 60 फीसद तक घरेलू मांग से प्रभावित होती है। ऐसे में वित्तीय उत्पादों से लेकर घरेलू उपकरणों, इलेक्ट्रिक उपकरणों आदि की मांग में वृद्धि होने को सीधे तौर पर चालू वित्त वर्ष में विकास दर के तेज होने से जोड़ कर देखा जा रहा है।
साथ ही भारत की कुल आबादी का 65 फीसद गांवों में रहती है और इनकी क्रय क्षमता में जब भी वृद्धि होती है तो विकास दर तेज होती है। जानकारों का मानना है कि जिस तरह से बड़े पैमाने पर उपभोग होने वाले उत्पादों पर अमूमन 5 फीसद का जीएसटी लगाया गया है, वह ग्रामीण क्षेत्रों में कई तरह की मांगों को बढ़ाएगा।
उद्योग चैंबर फिक्की महासचिव क्या बोले?
उद्योग चैंबर फिक्की महासचिव ज्योंति विज का कहना है कि जीएसटी ढांचे का पुनर्गठन और सरलीकरण भारत के सुधार यात्रा में एक प्रमुख मील का पत्थर है। कर स्लैब की संख्या में कमी और अनेक वस्तुओं व सेवाओं को पांच फीसद की दर में स्थानांतरित करने से आने वाले दिनों में उपभोग मांग में वृद्धि की उम्मीद है। इन घोषणाओं से यह सुनिश्चित होगा कि भारत लंबे समय तक उच्च विकास वाली अर्थव्यवस्था के पथ पर आगे बढ़ता रहेगा।
सीआईआई के आर्थिक नीतियों के परिषद के चेयरमैन आर दिनेश का कहना है कि अब पूरी कर व्यवस्था पारदर्शी होने जा रही है। टैक्स से जुड़े झंझट कम हो जाएंगे। यह आम जनता व उद्योग जगत में एक समान आत्मविश्वास का संचार करेगा। यह किसी भी देश की आर्थिक विकास को मजबूत करने के लिए सबसे आधारभूत मांग है। जिस तरह से बड़े पैमाने पर खपत होने वाले उत्पादों पर टैक्स कम किया गया है, उसका बहुआयामी सकारात्मक असर होगा।
आनंद महिंद्रा ने रफ्तार देने वाला कदम
उधर, महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ाने की मांग की है। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है कि हम अब इस युद्ध में शामिल हो चुके हैं… अधिक और तेज सुधार उपभोग और निवेश को बढ़ाने का सबसे निश्चित तरीका हैं। इससे अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा और विश्व में भारत की आवाज और बुलंद होगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।