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    GST 2.0 आज से लागू: क्या हुए बदलाव, दुकानदारों पर पड़ेगा कोई असर? यहां जानिए हर सवाल का जवाब

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 12:04 AM (IST)

    आज से जीएसटी की नई दरें लागू होने के साथ रोजमर्रा की चीजों के दाम कम होंगे। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह सुधार छठ पूजा और दिवाली से ठीक पहले आया है जिसे पीएम मोदी ने खुशियों का डबल धमाका करार दिया है। नवरात्रि में मां दुर्गा की मूर्तियां और छठ पूजा के लिए सूप दउरा सस्ती होने की संभावना है।

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    जीएसटी की नई दरें रोजमर्रा की चीजों पर भारी गिरावट (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जीएसटी की नई दरें कल 22 सितंबर से लागू होने वाली है, जिसके तहत रोजमर्रा की चीजों के दामों में भारी गिरावट देखने को मिलेगी। इसका असर बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। जीएसटी सुधार का असर बिहार से सबसे प्रसिद्ध धार्मिक त्योहार छठ पूजा और दिवाली से ठीक पहले आया है।

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    इन जीएसटी सुधारों को पीएम मोदी ने 'खुशियों का डबल धमाका' करार दिया है। नए जीएसटी दरों से नवरात्रि पर मां दुर्गा की मूर्तियों और छठ पूजा के लिए अन्य सामग्री जैसे सूप, दउरा और पूजन सामग्री सस्ती होने की पूरी संभावना है।

    दिवाली और छठ पूजा से पहले सरकार का उपहार

    दिवाली और छठ पूजा से पहले जीएसटी दरें कम होने से लोगों को अधिक खरीदारी करने का मौका मिलेगा, जिससे त्योहारी सीजन में बाजारों में रौनक बढ़ेगी। रोजमर्रा और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में कमी से बिहार में आम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।

    पीएम मोदी ने क्या कहा?

    अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जीएसटी 2.0 न केवल आम लोगों की जेब पर बोझ कम करेगा, बल्कि यह छठ और दिवाली जैसे पवित्र त्योहारों को और खास बनाएगा। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम है।

    बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस सुधार को लागू करना भाजपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि यह कदम बिहार के मतदाताओं को लुभाने में मदद करेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहां छठ पूजा का व्यापक प्रभाव है।

    जीएसटी क्या है?

    जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) पूरे भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एकल अप्रत्यक्ष कर है। यह उत्पाद शुल्क, वीएटी और सेवा कर जैसे कई करों की जगह लेता है, जिससे एक एकीकृत बाजार का निर्माण होता है।

    संशोधित जीएसटी दरें कब से लागू होंगी?

    जीएसटी परिषद् की सिफारिश के अनुसार, नई जीएसटी दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी।

    22 सितंबर, 2025 से जीएसटी में क्या बदलाव हुए हैं?

    इस तारीख से, जीएसटी परिषद के निर्णयों के आधार पर, कई वस्तुओं और सेवाओं पर संशोधित जीएसटी दरें लागू होंगी। इन बदलावों का उद्देश्य दरों को सरल बनाना, विसंगतियां दूर करना और व्यवसायों व उपभोक्ताओं दोनों के लिए प्रणाली को आसान बनाना है।

    क्या 22 सितंबर 2025 से जीएसटी पंजीकरण नियम बदल जाएंगे?

    नहीं। जीएसटी पंजीकरण की सीमाएं वही रहेंगी। केवल कुछ आपूर्तियों पर टैक्स की दरों में संशोधन किया जा रहा है।

    क्या नई जीएसटी दरें लागू होने पर ट्रांजिट में माल के लिए ई-वे बिल रद करके पुनः जारी करने होंगे?

    नहीं। दरों में बदलाव से पहले जारी किए गए ई-वे बिल अपनी पूरी अवधि के लिए वैध रहते हैं। वैध ई-वे बिल के साथ पहले से ही चल रहे माल के लिए 22 सितंबर के बाद नए बिल की जरूरत नहीं है।

    यदि दरों में बदलाव की तारीख पर मेरे पास पहले से ही स्टॉक है, तो क्या मुझे आपूर्ति पर संशोधित दर लागू करनी चाहिए?

    हां। जीएसटी आपूर्ति की तिथि पर लगाया जाता है, खरीद की तिथि पर नहीं। इसलिए, भले ही स्टॉक पहले खरीदा गया हो, 22 सितंबर को या उसके बाद की गई किसी भी आपूर्ति पर नई दरें लागू होंगी।

    कौन सी जीवन बीमा पॉलिसी जीएसटी छूट के अंतर्गत आती हैं?

    यह छूट सभी व्यक्तिगत जीवन बीमा पॉलिसी पर लागू होती है, जिनमें टर्म प्लान, एंडोमेंट पॉलिसी और यूएलआईपी शामिल हैं। इन निजी पॉलिसियों का पुनर्बीमा भी छूट के दायरे में आता है।

    कौन सी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी जीएसटी छूट के अंतर्गत आती हैं?

    निजी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी, जिनमें फैमिली फ्लोटर और वरिष्ठ नागरिक योजनाएं शामिल हैं, जीएसटी से मुक्त हैं। ऐसी निजी पॉलिसी का पुनर्बीमा भी इस निर्णय के अंतर्गत छूट के दायरे में आता है।

    क्या यात्री परिवहन सेवाओं पर 18% टैक्स लगेगा?

    नहीं। सड़क मार्ग से यात्री परिवहन पर बिना आईटीसी के 5% टैक्स जारी रहेगा, हालांकि ऑपरेटर आईटीसी के साथ 18% का विकल्प चुन सकते हैं। हवाई यात्रा के मामले में, इकोनॉमी क्लास पर 5% टैक्स लगता है, जबकि अन्य श्रेणियों पर 18% टैक्स लागू रहता है।

    सभी दवाओं को जीएसटी से पूरी तरह छूट क्यों नहीं दी गई है?

    दवाओं को छूट देने से निर्माता कच्चे माल और इनपुट पर आईटीसी का दावा नहीं कर पाएंगे, जिससे उनकी उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। ये लागत आखिरकार उपभोक्ताओं पर डाल दी जाएगी। दवाओं को रियायती 5% दर (शून्य दर पर निर्दिष्ट दवाओं को छोड़कर) पर रखने से उनकी सामर्थ्य सुनिश्चित होती है और साथ ही आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से आईटीसी का प्रवाह बना रहता है।

    जीएसटी पर अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

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