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    बिस्किट-चिप्स, तेल-साबुन जैसे सामानों पर क्यों नहीं मिल रहा जीएसटी का लाभ, दुकानदार की मनमानी या कुछ और वजह?

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 10:00 PM (IST)

    जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद भी छोटे दुकानदार बिस्कुट चिप्स और साबुन जैसी वस्तुओं पर जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। जीएसटी विशेषज्ञों के अनुसार यह समस्या 22 सितंबर के बाद पुरानी दरों पर जीएसटी रिफंड नहीं मिलने के कारण हो रही है।

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    जीएसटी रिफंड नहीं मिलने की वजह से हो रही परेशानी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। गत सोमवार से जीएसटी की नई दरें लागू हो गईं, लेकिन छोटे दुकानदार बिस्कुट, चिप्स, साबुन, तेल जैसे आइटम पर जीएसटी में कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। वे इन आइटम पर छपे अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर ही इस प्रकार की रोजमर्रा की वस्तुओं की बिक्री कर रहे हैं जिन पर सरकार ने जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत या शून्य कर दिया है।

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    जीएसटी विशेषज्ञों के मुताबिक यह सारी परेशानी 22 सितंबर के बाद पुरानी दरों के मुताबिक जीएसटी रिफंड नहीं मिलने की वजह से हो रही है। हालांकि इस प्रकार की रोजमर्रा के आइटम की निर्माता कंपनियों ने अपने डीलर और छोटे दुकानदारों को साफ तौर पर कहा है कि कंपनी उनके नुकसान की भरपाई करेगी और वे 22 सितंबर से ही नई दर पर सामान की बिक्री करे। क्योंकि सरकार ने 22 सितंबर से ही नई दरों पर बिक्री का आदेश दिया है और इसका कोई विकल्प नहीं है।

    ग्राहक से वसूला जाता है जीएसटी

    बाजार में पैक्ड आइटम जो बेचे जाते हैं, उनके एमआरपी में जीएसटी शामिल होता है। जैसे 20 रुपए के एमआरपी वाले चिप्स की कीमत में 12 प्रतिशत जीएसटी शामिल होता है। निर्माता कंपनी के यहां से डीलर जब चिप्स का पैकेट लेता है तो वह उस चिप्स पर लगने वाला 12 प्रतिशत जीएसटी चुका कर उसे बिक्री के लिए लाता है। डीलर दुकानदार को देता है जो 20 रुपए में चिप्स को बेचकर ग्राहक से वह 12 प्रतिशत जीएसटी वसूलता है।

    जीएसटी पूरी तरह से ग्राहक से वसूला जाता है, इससे दुकानदार या डीलर का कोई लेना-देना नहीं होता है। डेलायट के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) एम.एस. मनी कहते हैं कि चूंकि डीलर व दुकानदार 12 प्रतिशत का जीएसटी दे चुका है जो उस 20 रुपए के एमआरपी में शामिल है, इसलिए अब वह 20 रुपए के चिप्स पैकेट को कम दाम में बेचता है तो उसे घाटा होगा। क्योंकि सरकार 22 सितंबर से पहले निर्मित वस्तुओं पर पुरानी दरों से ही जीएसटी वसूलेगी।

    22 सितंबर से नई दर लागू

    मनी ने बताया कि उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली कंपनियां अपने डीलर को कह चुकी है कि वह 22 सितंबर से ग्राहकों को नई जीएसटी दर के हिसाब से वस्तुओं की बिक्री करें और इससे कीमत में जो अंतर आएगा, उसकी भरपाई निर्माता कंपनी कर देगी। यही आश्वासन एसी, कार, स्कूटर व बाइक कंपनियों ने भी अपने डीलर को दिया है और वे 22 सितंबर से कम दाम पर बेच रहे हैं। सरकार भी कंपनियों के साथ बैठक करने के बाद ही 22 सितंबर से नई दर के हिसाब से बिक्री की अधिसूचना जारी की है।

    विशेषज्ञों के मुताबिक 22 सितंबर से जो माल फैक्ट्री से बन कर निकलेगा, उस पर नई दरों के हिसाब से एमआरपी होगा। फिर छोटे-दुकानदार या कोई भी पुरानी जीएसटी दरों के हिसाब से वस्तुओं की बिक्री नहीं कर सकेगा। मनी कहते हैं कि सभी प्रकार की कंपनियों को जीएसटी की दरों में कटौती से आने वाले महीनों में बंपर बिक्री की उम्मीद है, इस वजह से ही निर्माता कंपनियां पुराने माल को कम दर पर बेचने से होने वाले घाटे की भरपाई करने के लिए तैयार है।

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