New GST Rates: अब दुकानदारों और कंपनियों पर होगा एक्शन, जीएसटी का लाभ नहीं देने वालों के लिए नए नियम
जीएसटी दरों में कटौती के बाद ग्राहकों तक इसका लाभ पहुँचाना सरकार के लिए एक चुनौती है। उपभोक्ता मंत्रालय ने निगरानी तंत्र बनाया है। ब्रांड कंपनियों के खिलाफ शिकायत आने पर सामूहिक कार्रवाई की जाएगी। खुदरा बाजार में मूल्य कटौती न होने पर सरकार ने शिकायतों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में व्यापक कटौती के लागू होने के बाद सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती ग्राहकों तक इसका लाभ पहुंचाने की है। इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय स्तर पर निगरानी तंत्र बनाया गया है। उपभोक्ताओं की ओर से ब्रांड कंपनियों के खिलाफ शिकायत आने पर इसे अनुचित प्रथा मानते हुए क्लास एक्शन (सामूहिक कार्रवाई) लिया जाएगा।
खुदरा बाजार में पूर्व से पैक उत्पादों के मूल्य में कटौती नहीं करने की शिकायतें आने के बाद सरकार ने उपभोक्ताओं को आश्वस्त किया है कि उनकी सारी शिकायतें सुनी जाएंगी और उन पर तत्परता से कार्रवाई भी होगी। अगर कोई दुकानदार नई दरों पर सामान नहीं देता है तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिकायत करें। हालांकि सरकार ने उद्योग जगत की समस्याओं का भी ख्याल रखा है और मौजूदा स्टाक पर नया एमआरपी लगाने को थोड़ा लचीला बनाया है।
नया स्टीकर लगाना संभव नहीं
संशोधित कीमतों के साथ पुरानी पैक का उपयोग मार्च 2026 तक किया जा सकता है। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने स्वीकार किया कि कई उत्पाद पहले से बाजार की सप्लाई चेन में हैं और उन पर नया स्टिकर लगाना संभव नहीं है। इसे स्वैच्छिक किया गया है, मगर इसका यह मतलब नहीं कि ग्राहकों को इसका लाभ नहीं मिले। पहले से पैक उत्पादों पर नई दरों का लाभ देना सुनिश्चित करने की जिम्मेवारी कंपनियों और वितरकों को उठाना ही पड़ेगी।
संशोधित दरें लागू करने के पहले सरकार के स्तर पर दो-दो बार बैठक कर सबको सख्त चेतावनी दी जा चुकी है। फिर भी यदि कंपनियां और विक्रेता ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पहले दिन की उपलब्धि से उत्साहित निधि खरे ने बताया कि बड़ी संख्या में ग्राहकों से शिकायतें आ रही हैं। साथ ही सलाह-सुझाव भी मांगे जा रहे हैं।
स्वैच्छिक सूचना प्रणाली
सरकार ने निर्माताओं, पैकर्स और आयातकों को अनुमति दी है कि वे उपभोक्ताओं को संशोधित एमआरपी की जानकारी स्वेच्छा से प्रदान करें। यह जानकारी डिजिटल माध्यमों, तुलनात्मक दर चार्ट या अन्य नवाचारी तरीकों से दी जा सकती है। कंपनियों को हिदायत दी गई है कि नई जीएसटी दरों के बारे में उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए विज्ञापनों, मोबाइल ऐप्स, इंटरनेट मीडिया और अन्य संचार माध्यमों का सहारा लिया जा सकता है।
कैसे करें शिकायत?
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी की नई दरें लागू कराने की जिम्मेवारी निर्माता कंपनियों की है। अगर किसी कंपनी का कोई उत्पाद पूर्व में प्रिंट कीमत से कम पर ग्राहकों को नहीं दिया जा रहा है और खुदरा दुकानदार किसी तरह के बहाने कर रहा है तो प्रमाण के तौर पर उसकी आवाज को रिकार्ड कर शिकायत की जा सकती है।
टोल फ्री नंबर 1915 के अतिरिक्त वॉट्सएप, मोबाइल एप्स और ई-पोर्टल की भी सुविधा है। हाल ही में मंत्रालय ने इनग्राम पोर्टल पर जीएसटी के लिए अलग कैटेगरी बना दी है, ताकि इस तरह की शिकायतें जल्दी और प्रभावी तरीके से निपटाई जा सकें। ग्राहक सीधे शिकायत दर्ज कर सकते हैं और स्टेटस ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। शिकायत मिलने के बाद इसे मंत्रालय की टीम ट्रैक करती है और संबंधित कंपनी को नोटिस भेजा जाता है।
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