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    New GST Rates List: बीड़ी से हेल्थ इंश्योरेंस तक क्या होगा सस्ता और महंगा? ये रही अपडेट लिस्ट

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 07:25 PM (IST)

    जीएसटी काउंसिल की बैठक में लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18% जीएसटी को खत्म कर दिया गया है लेकिन ग्राहकों को इसका पूरा लाभ शायद न मिले। विशेषज्ञ मानते हैं कि ग्राहकों को 14-15% तक का लाभ मिल सकता है। कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट न मिलने से पूरी ...

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    जीएसटी घटने के बाद ग्राहकों को कितना होगा फायदा, बीमा प्रीमियम से लेकर चिप्स तक पर असर।

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की बैठक में लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी को समाप्त तो कर दिया गया है, लेकिन इसका पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं मिलेगा। वहीं बिना जीएसटी के इंश्योरेंस उत्पाद बेचने के लिए कंपनियों को नए सिरे से भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) की मंजूरी लेनी पड़ेगी।

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    कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इंश्योरेंस प्रीमियम में 18 प्रतिशत की जगह ग्राहकों को 14-15 प्रतिशत तक का लाभ मिल सकता है या फिर इंश्योरेंस उत्पाद में कंपनियां अतिरिक्त लाभ दे सकती है। कंपनियां भी इसे लेकर माथा-पच्ची कर रही हैं और आगामी सप्ताह में वे सार्वजनिक रूप से अपनी कटौती और नए उत्पाद की घोषणा कर देंगी। आगामी 22 सितंबर से उन्हें बिना जीएसटी के लाइफ व हेल्थ इंश्योरेंस के उत्पाद को बेचना होगा।

    इंश्योरेंस की कीमत कौन तय करता है?

    डेलायट के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) एम.एस. मनी ने बताया कि इंश्योरेंस रेगुलेटेड सेक्टर है और इंश्योरेंस बेचने वाली कंपनियां अपनी मर्जी से उत्पाद की कीमत तय नहीं कर सकती है। उन्हें इंश्योरेंस कवरेज के हिसाब से प्रीमियम जारी करना पड़ता है और उसकी मंजूरी भारतीय इरडा से लेनी होती है।

    मनी ने बताया कि अब हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी को बिल्कुल समाप्त कर देने से कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा, जिससे उन्हें मामूली नुकसान होगा। ऐसे में वे पूरी तरह से 18 प्रतिशत का लाभ ग्राहकों को नहीं देंगी।

    प्रीमियम कीमत में 18 प्रतिशत की जगह ग्राहकों को 14-15 प्रतिशत तक का लाभ मिल सकता है। कुछ कंपनियां प्रीमियम पहले की तरह ही रख सकती है और कवरेज में कुछ और सुविधा जोड़ सकती है।

    अप्रत्यक्ष कर विभाग के मुख्य आयुक्त (मेरठ) संजय मंगल का भी मानना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलने के कारण ग्राहकों को 18 प्रतिशत की कटौती का पूरा लाभ नहीं मिलेगा।

    इफको टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के एमडी व सीईओ सुब्रत मोंडल ने बताया कि सरकार के इस फैसले से हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस के प्रति अधिक लोग आकर्षित होंगे और बिक्री बढ़ने से कंपनियों को भी लाभ मिलेगा।

    कीमत घटने से चिप्स, कुरकुरे का बढ़ सकता है वजन

    जीएसटी काउंसिल की बैठक में पैकेट में आने वाले चिप्स, कुरकुरे जैसे प्रोसेस्ड फूड पर लगने वाले 12 प्रतिशत जीएसटी को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। इस प्रकार के उत्पाद बनाने वाली कंपनियां गुरुवार सुबह से ग्राहकों को इसका लाभ देने की कवायद में जुट गई है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियां इन आइटम के दाम कम करने की जगह उत्पाद के वजन को बढ़ा कर ग्राहकों को दरों में कटौती का लाभ दे सकती है।

    मनी ने बताया कि अभी कुरकुरे का पैकेट 10 रुपए में मिलता है। 12 प्रतिशत के हिसाब से इनमें 1.20 रुपए जीएसटी शामिल हैं। अब इसमें सात प्रतिशत की राहत मिल गई तो इस हिसाब से 10 रुपए में बिकने वाला कुरकुरे का पैकेट अब 9.30 रुपए में मिलना चाहिए।

    चिप्स, कुरकुरे जैसे उत्पाद बहुराष्ट्रीय कंपनियां बनाती है और उन्हें इसे 9.30 रुपए में बेचने पर कोई आपत्ति भी नहीं है, लेकिन दुकानदारों को खरीदारी के बाद खुदरा रूप में 70 पैसे को लौटाने में दिक्कत होगी। इसलिए कंपनियां कीमत कम करने की जगह उस राशि के बराबर खाद्य आइटम की मात्रा में बढ़ोतरी कर देंगी।

    किसको मिलेगा लाभ?

    अप्रत्यक्ष कर विभाग के मुख्य आयुक्त संजय मंगल ने बताया कि आदर्श स्थिति तो यही है कि जीएसटी कम होने पर कीमत में कटौती की जाए। जीएसटी में कटौती से सरकार का उद्देश्य ग्राहकों को लाभ दिलाना है। अगर मात्रा बढ़ाकर ग्राहकों को लाभ मिल जाता है तो इसमें सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी। लेकिन कंपनियां मात्रा भी नहीं बढ़ाती है और दाम भी नहीं घटाती है तो उन पर कार्रवाई होगी।

    एसी और बड़े साइट के टीवी, बाइक पर कटौती का पूरा लाभ दूसरी तरफ ग्राहकों को बाइक, कार, एसी व 32 इंच से अधिक आकार वाले टेलीविजन की खरीदारी पर 10 प्रतिशत की कटौती का पूरा लाभ मिलेगा। अभी ये आइटम 28 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब में है, जिन्हें अब 18 प्रतिशत में शामिल कर दिया गया है।

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