कोक-पेप्सी जैसी ड्रिंक्स पर तगड़ा GST, सरकार ऐसे करेगी राजस्व में कमी की भरपाई
जीएसटी काउंसिल ने पेप्सी कोक जैसे गैर-अल्कोहलिक पेय पदार्थों पर 40% टैक्स लगाने का फैसला किया है क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं। 2500 रुपये से अधिक के फुटवियर और गारमेंट पर 18% जीएसटी लगेगा। सरकार का लक्ष्य जीएसटी से 22 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करना है जिसमें से अप्रैल से अगस्त तक 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हो चुका है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल ने पेप्सी, कोक व अन्य प्रकार के गैर-अल्कोहलिक पेय पदार्थों पर आगामी 22 सितंबर से 40 प्रतिशत टैक्स लगाने का फैसला किया है। अभी इस प्रकार के कई पेय पदार्थों पर 12-18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
जानकारों का कहना है कि गुटखा, जर्दा, तंबाकू की तरह कई गैर-अल्कोहलिक पेय पदार्थ भी शरीर के लिए नुकसानदेह है। इसे ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने इन्हें भी 40 प्रतिशत के स्लैब में शामिल करने का फैसला किया है। इसका दूसरा फायदा यह होगा कि जीएसटी दरों में कटौती से राजस्व संग्रह में थोड़ी बहुत जो कमी होगी, उसकी भरपाई में मदद मिलेगी। क्योंकि ये सारी वस्तुएं गैर जरूरी है और इसकी खपत में आदत या शौक का इस्तेमाल होता है। इन वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी से इनकी मांग पर फर्क नहीं पड़ता है। बड़ी गाडि़यों के मामले में भी कमोबेश यह गणित काम करता है।
फुटवियर और गारमेंट पर कितना जीएएसटी?
सरकार ने राजस्व की भरपाई के लिए 2500 रुपये से अधिक कीमत वाले फुटवियर व शर्ट-पैंट जैसे कपड़ों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया है। अभी 1000 रुपये से कम कीमत वाले फुटवियर और शर्ट-पैंट जैसे गारमेंट पर पांच प्रतिशत तो 1000 रुपये से अधिक कीमत वाले फुटवियर व गारमेंट पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पहले वर्ष 2019 में कई उत्पादों पर जीएसटी में कटौती की गई थी। लेकिन इससे सरकार के राजस्व पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उल्टा जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज की गई। जीएसटी का औसतन मासिक संग्रह 1.8 लाख करोड़ रुपये तक चला गया है, जबकि वर्ष 2017 के जुलाई में जीएसटी के लागू होने पर औसत मासिक संग्रह एक लाख करोड़ से भी कम था।
सरकार ने कितना रखा था टारगेट और क्या हासिल हुआ?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राजस्व सचिव अभिषेक श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा था कि जीएसटी दरों में कटौती से वस्तुओं की खरीदारी बढ़ेगी और राजस्व में इतनी कमी नहीं आएगी कि इससे कोई दिक्कत हो। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में सरकार ने जीएसटी से 22 लाख करोड़ की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा है। अप्रैल से लेकर अगस्त तक 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त हो चुका है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में जीएसटी संग्रह के प्रभावित होने की कोई आशंका नहीं है।
गैर-भाजपा शासित राज्यों ने उठाया ये मुद्दा
जीएसटी काउंसिल की बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों ने जीएसटी कटौती से राजस्व संग्रह में होने वाले नुकसान का मुद्दा उठाया। कर्नाटक व अन्य विपक्ष के राज्यों ने कहा कि राजस्व की इस भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति सेस को किसी अन्य रूप में जारी रखना चाहिए। लेकिन केंद्र इसके लिए तैयार नहीं हुआ और अंत में सबकी सहमति से जीएसटी में कटौती की गई। राजस्व संग्रह में राज्यों की इस आशंका से विशेषज्ञ सहमत नहीं दिख रहे हैं।
ग्राहकों को लाभ देने का दिया निर्देश
सरकार ने सभी औद्योगिक संगठन व एसोसिएशन से जीएसटी दरों में कटौती का लाभ आम ग्राहकों को देने के लिए कहा है। इंश्योरेंस कंपनियों से भी सरकार ने बात की है और उन्होंने भी जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों को देने का वादा किया है।
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि इस बात की सख्ती से निगरानी की जाएगी कि जीएसटी कटौती का फायदा आम जनता को मिल रहा है या नहीं। प्रतिस्पर्धा आयोग इस बात की निगरानी करेगा कि कंपनियां जीएसटी कटौती का लाभ ग्राहकों को दे रही हैं या नहीं।
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