बीमा को टैक्स छूट से आयुष्मान भारत को मिलेगी मजबूती, लेकिन होगा इतना नुकसान
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने से आयुष्मान भारत को बढ़ावा मिलेगा। इससे निजी बीमा कवरेज बढ़ेगा और लोगों को अपनी जेब से कम खर्च करना होगा। सरकार दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को सस्ता करके स्वास्थ्य सेवाओं को और भी सुलभ बनाने की दिशा में काम कर रही है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से मुक्त करने के निर्णय ने आयुष्मान भारत को मजबूती प्रदान की है। यह निर्णय निजी कवरेज का विस्तार, जेब से होने वाले खर्च को कम करने और सभी के लिए स्वास्थ्य मिशन को आगे बढ़ाने में सहायक होगा। इस निर्णय से मध्यवर्गीय परिवारों के लिए प्रीमियम अधिक सस्ते होंगे, जिससे बीमा के व्यापक अपनाने को प्रोत्साहन मिलेगा।
मंत्रालय ने बताया कि जीएसटी का यह समायोजन नागरिक-केंद्रित कराधान के प्रति संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है। मंत्रालय ने कहा कि दवाओं, चिकित्सा उपकरणों, पोषण और बीमा पर बोझ को कम करते हुए सरकार ने स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ और सस्ती बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
जीएसटी सुधारों से होगा मामूली नुकसान: बर्नस्टीन
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा कि जीएसटी सुधारों से सार्वजनिक वित्त पर मामूली प्रभाव पड़ सकता है। केंद्र पर राजकोषीय बोझ केवल 18,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के अनुमानित जीडीपी का केवल 0.05 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सुधारों से राजस्व में अल्पकालिक कमी आएगी, लेकिन अर्थव्यवस्था पर समग्र प्रभाव सीमित रहेगा। इस बीच, एचएसबीसी ने एक अलग रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के उपभोग आधार के आधार पर कर कटौती से सकल राजस्व हानि लगभग 10.8 अरब डालर हो सकती है।
नए जीएसटी स्लैब में सुचारू बदलाव को लेकर आश्वस्त: सीबीआईसी
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने भरोसा जताया है कि अगली पीढ़ी के जीएसटी में सुचारू बदलाव के लिए 22 सितंबर तक उसकी बैकएंड तकनीक तैयार हो जाएगी। वह रिटर्न दाखिल करने के लिए साफ्टवेयर अपग्रेडेशन पर उद्योग के साथ बातचीत कर रहा है।
एक साक्षात्कार में सीबीआईसी के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि कर की दर और स्लैब में बदलाव 'योग्यता' और 'मानक' के आधार पर वस्तुओं और सेवाओं के वर्गीकरण पर आधारित है। 2017 में यह राजस्व तटस्थता के आधार पर था।
उन्होंने कहा कि हमारे पास लगभग दो सप्ताह का समय है और हम नए करों के लिए पूरी तरह तैयार होंगे। उद्योग जगत को पहले ही सूचित कर दिया है कि वे इन (दरों और स्लैब) बदलावों को अपने ईआरपी सिस्टम में भी शामिल कर सकते हैं, ताकि पूरी प्रक्रिया सुचारू रूप से चले और इसमें कोई गड़बड़ी न हो।
उन्होंने कहा कि नई दरें लागू होने के बाद भी उद्योग जगत इन्वेंट्री को लेकर अपने पूरे आइटीसी दावों का उपयोग करके जीएसटी बकाया का भुगतान कर सकता है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई और आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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