जीएसटी में कटौती से किसानों को फायदा ही फायदा, ट्रैक्टर के पुर्जों से लेकर उर्वरक तक होंगे सस्ते
जीएसटी परिषद ने कृषि डेयरी और मत्स्य पालन से जुड़े उपकरणों पर टैक्स घटाया है जिससे किसानों को राहत मिलेगी। कृषि ड्रोन पर टैक्स 18% से घटकर 5% हो गया है। ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों पर भी टैक्स कम होने से किसानों की लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा। डेयरी उत्पादों पर कर घटने से ग्रामीण परिवारों को फायदा होगा।

अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। कृषि, डेयरी और मत्स्य पालन से जुड़े उपकरणों और उत्पादों पर जीएसटी परिषद ने टैक्स घटा कर किसानों को बड़ी राहत दी है। इससे कृषि कार्य की आधार लागत में लगभग एक तिहाई कमी आ सकती है। उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आमदनी में सुधार होगा। ट्रैक्टर के पुर्जों से लेकर उर्वरक तक सस्ते होने से किसानों की जेब पर बोझ घटेगा, वहीं बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
टैक्स स्लैब में यह बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बनाने की रणनीतिक पहल माना जा रहा है।प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी हाईपावर एमएसपी कमेटी के सदस्य डॉ. बिनोद आनंद का आकलन है कि जीएसटी स्लैब में बदलाव से खेती एवं इससे जुड़े क्षेत्र की बेसिक उत्पादन लागत में 30 से 40 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। इसका असर केवल महंगाई पर नहीं, बल्कि खेती की लागत, नक़दी प्रवाह और ग्रामीण मांग पर भी पड़ेगा।
कृषि ड्रोन पर अब केवल पांच प्रतिशत टैक्स
उन्होंने उदाहरण दिया कि कृषि ड्रोन पर अब केवल पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा, जबकि अभी तक 18 प्रतिशत था। इसकी बैटरी और कुछ पुर्जों पर 28 प्रतिशत जीएसटी था। छोटे ट्रैक्टरों (1800 सीसी से कम) पर 18 प्रतिशत और उनके टायर-ट्यूब, हाइड्रोलिक पंप जैसे उपकरणों पर 40 प्रतिशत तक टैक्स था, जिसे घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। बिनोद आनंद कहते हैं कि खेती के लिए ट्रैक्टर सबसे अहम साधन है, जिसका इस्तेमाल सालों भर होता है।
टैक्स कटौती का सीधा असर इसकी कीमतों में दिखेगा। उदाहरण के लिए मान लें कि सात लाख रुपये के ट्रैक्टर पर पहले 12 प्रतिशत जीएसटी के हिसाब से 84 हजार रुपये देना पड़ता था। अब पांच प्रतिशत पर यह घटकर 35 हजार रह जाएगा, यानी 49 हजार रुपये की बचत। इसी तरह दो लाख रुपये के रीपर या रोटावेटर पर 14 हजार रुपये तक की राहत मिलेगी। यदि डीलर पूरा लाभ किसानों तक पहुंचाते हैं तो उपकरणों की ऑन-रोड कीमत सीधे घटेगी।
आधुनिक मशीनरी पर भी टैक्स घटा
इसी तरह थ्रेशर, ड्रिप इरिगेशन सिस्टम और आधुनिक मशीनरी पर भी टैक्स घटा दिया गया है। 15 एचपी से कम वाले डीजल इंजन, कटाई मशीन और कंपोस्टिंग मशीन अब सस्ती हो जाएंगी। नई दरों के बाद छोटे किसान भी आसानी से ट्रैक्टर व अन्य उपकरण खरीद सकेंगे। लागत में कमी का असर फसलों की प्रति-एकड़ लागत पर दिखेगा। ड्रिप-स्पि्रंकलर, बायोपेस्टीसाइड्स और अन्य इनपुट सस्ते होने से मौसम की मार का सामना करने की क्षमता बढ़ेगी। नक़दी प्रवाह सुधरेगा और वर्किंग कैपिटल पर दबाव घटेगा।
बीजाई और कटाई के महीनों में किसानों के पास अधिक नक़दी बचेगी, जिससे उत्पादन चक्र मजबूत होगा।डेयरी उत्पादों पर कर घटने से ग्रामीण परिवारों को सीधा फायदा होगा। दूध, पनीर, घी, मक्खन और आइसक्रीम अब या तो करमुक्त होंगे या केवल पांच प्रतिशत कर के दायरे में आएंगे। इससे उपभोक्ताओं को राहत और डेयरी उद्योग को मजबूती मिलेगी। लाखों परिवार जो दुधारू पशुओं पर निर्भर हैं, उन्हें स्थायी आय का सहारा मिलेगा। मत्स्य पालन पर भी टैक्स में बड़ी कटौती की गई है।
मछली पकड़ने का गियर सस्ता होगा
मछली का तेल, झींगा उत्पाद, पंप, एरेटर, जल गुणवत्ता सुधारक और मछली पकड़ने का गियर सस्ते होंगे। इससे प्रसंस्करण इकाइयों की लागत घटेगी और रोजगार के नए मौके बनेंगे। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और सबसे बड़ा झींगा निर्यातक देश है, ऐसे में यह राहत उद्योग को और प्रतिस्पर्धी बनाएगी। किसानों की सबसे बड़ी चिंता उर्वरकों की कीमत है। इनके उत्पादन में लगने वाले अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड जैसे कच्चे माल पर कर 18 से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।
इससे कंपनियों की लागत कम होगी और किसानों को खाद भी सस्ती दरों पर मिलेगी। नई दरें लागू होने के बाद खेती-किसानी के पूरे परि²श्य में बदलाव की उम्मीद है। लागत कम होने से खेती लाभकारी होगी और किसान आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। उत्पादन बढ़ेगा, बाजार में आपूर्ति सुधरेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी।
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