GST 2.0: AC, फ्रिज और TV हुए सस्ते, लेकिन मोबाइल-लैपटॉप के दाम क्यों नहीं घटे? समझें नए टैक्स स्लैब का पूरा गणित
आज से भारत में जीएसटी 2.0 लागू हो गया है जिसमें 5% और 18% की नई दरें हैं। 12% और 28% की दरों को हटा दिया गया है। लक्जरी वस्तुओं पर 40% का टैक्स लगेगा जबकि रोजमर्रा की वस्तुएं टैक्स फ्री रहेंगी। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर टैक्स 28% से घटकर 18% होने से वे सस्ती होंगी। मोबाइल और लैपटॉप पर जीएसटी दर 18% ही रहेगी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में जीएसटी 2.0 के रूप में आज से एक नए टैक्स स्लैब की शुरुआत हो गई है। 3 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी की 2 दरें 5% और 18% लागू करने की घोषणा हुई थी। जीएसटी की लिस्ट से 12% और 28% वाली दरों को हटा दिया गया। इसकी जगह तीसरी दर के रूप में 40% का टैक्स जोड़ा गया, जो लक्जरी वस्तुओं पर लगेगा। वहीं, रोजमर्रा की कई चीजों को टैक्स फ्री कर दिया गया था।
जीएसटी की नई दरें आज से पूरे देश में लागू हो जाएंगी। इसका सबसे बड़ा असर इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर पर पड़ेगा। एयर कंडीशनर, रेफ्रीजरेटर, वॉशिंग मशीन, डिशवॉशर और बड़ी स्क्रीन वाली टीवी पर पहले 28% का टैक्स लगता था, जो अब 18% टैक्स के दायरे में आ जाएगा। ऐसे में यह सभी चीजें अब सस्ती हो जाएंगी, जिससे देश के मध्यमवर्गीय परिवार भी इन्हें आसानी से खरीद सकेंगे।
मोबाइल फोन और लैपटॉप की बात करें तो इनपर जीएसटी पहले की तरह 18% ही लगेगा। ऐसे में मोबाइल फोन और लैपटॉप सस्ता होने का इंतजार कर रहे लोगों को सीजनल ऑफर्स पर निर्भर रहना पड़ेगा।
जीएसटी का नया स्लैब
- 5% - रोजमर्रा की वस्तुएं
- 18% - घर का सामान और इलेक्ट्रॉनिक जैसे स्टैंडर्ड्स गुड्स
- 40% - लक्जरी वस्तुएं
इलेक्ट्रॉनिक और हाउसहोल्ड वस्तुओं पर असर
- एयर कंडीशनर और डीशवॉशर की कीमत 3,500-4,500 रुपये प्रति यूनिट तक कम होने का अनुमान।
- रेफ्रीजरेटर और वॉशिंग मशीन के दाम 8-9% तक कम होने का अनुमान।
- बड़ी स्क्रीन (32 इंच से ज्यादा) टीवी की कीमतों में भी भारी गिरावट की संभावना।
मोबाइल फोन और लैपटॉप
जीएसटी की दरें कम होने से मोबाइल फोन और लैपटॉप की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह चीजें पहले की तरह 18% टैक्स के दायरे में ही आएंगी। इसके पीछे की वजह है कि मोबाइल और लैपटॉप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां पहले से प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम का लाभ उठा रही हैं। वहीं, आयात शुल्क समायोजन के बाद इन्हें 18% टैक्स स्लैब में रखा गया था। अब इनपर टैक्स कम करना घाटे का सौदा साबित हो सकता था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।