Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पूरी दुनिया में आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट के लिए मशहूर थी Zarina Hashmi, गूगल मना रहा 86वां जन्मदिन

    By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sun, 16 Jul 2023 11:06 AM (IST)

    Zarina Hashmi 86th Birth Anniversary गूगल आज जरीना हाशमी (Zarina Hashmi) का 86वां जन्मदिन मना रहा है। जरीना का जन्म 16 जुलाई 1937 में उत्तर प्रदेश (UP) के अलीगढ़ में हुआ था। विभाजन से पहले जरीना अपने चार भाई-बहनों के साथ भारत (India) में ही रहती थी। लेकिन साल 1947 में देश के विभाजन (Partition) के बाद जरीना को अपने परिवार के साथ पाकिस्तान (Pakistan) के कराची में रहना पड़ा।

    Hero Image
    पूरी दुनिया में आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट के लिए मशहूर थी Zarina Hashmi, गूगल मना रहा 86वां जन्मदिन

    नई दिल्ली, एजेंसी। Zarina Hashmi 86th Birth Anniversary: आज का गूगल अगर आपने देखा होगा तो उसके डूडल में आपको एक सुंदर महिला का ग्राफिक नजर आया होगा। इसे देखने के बाद आपकी दिलचस्पी बढ़ी होगी कि आखिर ये महिला है कौन? इस महिला का नाम जरीना हाशमी है और गूगल आज इनका 86वां जन्मदिन मना रहा है। जरीना का जन्म 16 जुलाई 1937 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विभाजन से पहले भारत में रहती थी जरीना

    विभाजन से पहले जरीना अपने चार भाई-बहनों के साथ भारत में ही रहती थी। लेकिन, साल 1947 में देश के विभाजन के बाद जरीना को अपने परिवार के साथ पाकिस्तान के कराची में रहना पड़ा। महज 21 साल की उम्र में ही जरीना की शादी एक युवा राजनायिक से करा दी गई। शादी के तुरंत बाद ही उन्हें दुनिया की सैर करने का मौका मिला। बैंकॉक, पेरिस और जापान की यात्रा करने वाली जरीना ने यहीं से अपनी प्रिंटमेकिंग और मॉर्डिनिस्ट और एबस्ट्रैक्ट आर्ट प्रवृत्तियों से अवगत कराया।

    नारीवादी आंदोलन में लिया हिस्सा

    जरीना 1977 में न्यूयॉर्क में रहने के लिए चली गई। यहां वह महिला कलाकारों के समर्थन में आई और धीरे-धीरे हेरिसीज क्लेक्टिव की मेंबर बन गई। यह एक नारीवादी पत्रिका थी, जिसने राजनीति, कला और सामाजिक न्याय के बीच संबंधों की जांच की थी।

    कुछ ही समय के अंदर जरीना न्यूयॉर्क फेमिनिस्ट आर्ट इंस्टीट्युट में प्रोफेसर बन गई। प्रोफेसर बनने के बाद ही उन्होंने महिला कलाकारों को बराबर की पढ़ाई मिलने को लेकर समर्थन दिया। 1980 के दशक में ऑल इंडिया रेडियो के गैलरी में 'डायलेक्टिक्स ऑफ आइसोलेशन: एन एक्जीबिशन ऑफ थर्ड वर्ल्ड वूमेन आर्टिस्ट्स ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स' नामक एक प्रदर्शनी का सह-संचालन किया।

    इंटैग्लियो प्रिंट के लिए जानी जाने लगीं हाशमी

    हाशमी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट के लिए जानी जाने लगीं, जिनमें उन घरों और शहरों की अर्ध-अमूर्त छवियां शामिल थीं, जहां वह रहती थीं। उनके काम में अक्सर उनकी मूल उर्दू में शिलालेख और इस्लामी कला से प्रेरित ज्यामितीय तत्व शामिल होते थे।

    दुनिया भर के लोग सैन फ्रांसिस्को म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट, व्हिटनी म्यूजियम ऑफ अमेरिकन आर्ट, सोलोमन आर गुगेनहेम म्यूजियम और मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट सहित अन्य प्रतिष्ठित दीर्घाओं के स्थायी संग्रहों में हाशमी की कला पर विचार करना जारी रखते हैं।