पैरों में घुंघरू और सिर पर रंग-बिरंगी पगड़ी, भारत का एक ऐसा राज्य; जहां होली में सिर्फ पुरुष करते हैं नाच
होली का त्योहार राजस्थान के कई क्षेत्रों में अलग तरीके से मनाया जाता है। मगर राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में होली मनाने का अलग ही अंदाज दिखता है जिसकी वजह से यह क्षेत्र काफी प्रसिद्ध भी माना जाता है। राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में होली के दौरान चंग की थाप पर नाचना होता है। होली के दिन इसी चंग की थाप पर लोग नाचते और झूमते नजर आते हैं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में हर एक त्योहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। वहीं सभी त्योहारों में से होली और दिवाली मुख्य त्योहारों में से एक माना जाता है। यह दोनों ही पर्व भारत के मुख्य पर्व तो हैं लेकिन इन दोनों ही त्योहार को मनाने का तरीका भारत के हर राज्य का अपना एक अलग अंदाज होता है। उसी में से एक होली है। होली को रंगों का ऐसा त्योहार मानते हैं जो सबसे ज्यादा मज़ेदार और उत्साहपूर्ण त्योहार में से एक है। यह एक ऐसा अवसर होता है जो पूरी तरह से आनंद और उल्लास, मौज-मस्ती और खेल, संगीत और नृत्य और निश्चित रूप से ढेर सारे चमकीले रंग हम सबके जीवन में लाता है।
जैसा कि मैंने आपको बताया कि भारत में हर त्योहार को हर राज्य में अलग-अलग नाम और अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। यह अलग तरीके से मनाने का रिवाज सिर्फ राज्यों तक सीमित नहीं होता राज्यों में अलग-अलग क्षेत्र होते हैं और सभी क्षेत्रों का भी अपना एक विशेष तरीका होता है सभी त्योहार को अलग अंदाज में मनाने का और उसके साथ जुड़ी होती हैं कई मान्यताएं।
ऐसी होती है राजस्थान के मारवाड़ की होली
इसी तरह होली का त्योहार भी राजस्थान के कई क्षेत्रों में अलग तरीके से मनाया जाता है। मगर राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में होली मनाने का अलग ही अंदाज दिखता है जिसकी वजह से यह क्षेत्र काफी प्रसिद्ध भी माना जाता है। राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में होली के विविध रंग देखने को मिलते हैं। इस क्षेत्र की लोक परम्पराएं, फाल्गुन मास के गीत और चंग की थाप अपना अलग ही महत्व रखते हैं। जैसे बहुत राज्यों में ढोल हर खुशी के समय का इजहार करने के लिए होते हैं। उसी तरह राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में होली के दौरान चंग की थाप पर नाचना होता है। ग्रामीण इलाकों में होली के दिन इसी चंग की थाप पर लोग नाचते और झूमते नजर आते हैं।
चंग की थाप पर नाच को कहा जाता है गैर नृत्य
जब चंग कि थाप बजती है तो ग्रामीण अंचलों के लोग एक-दूसरे के साथ फाग गीत गाते है। चंग की थाप के साथ गीत गाते हुए कदम से कदम मिलाकर सभी एकसाथ नृत्य करते हैं कि, ऐसा नजारा शहरों में ढोल पर नाचने वालों में नहीं देखा जाता है।
कैसे होता है गैर नृत्य
जब होली के दिन मारवाड़ क्षेत्र के पुरुष गोल घेरे में एक दूसरे के साथ नृत्य करते हैं, वह गैर नृत्य कहलाता है। वहीं जो गैर नृत्य करने वाले होते हैं उनको गैरीया कहा जाता है। इस नृत्य को करने का एक पोशाक होता है। जिसमें सफेद धोती, सिर पर लाल, गुलाबी, सफेद अंगरखी, केसरिया रंगबी रंगी की पगड़ी पहनते हैं। इसके अलावा यह नृत्य इसलिए भी विशेष होता है क्योंकि इस नृत्य में पुरुष अपने पैरों में घुंघरू बांधकर यह 'गैर' नृत्य करते हैं। यह नृत्य अपनी विशेषता इसलिए रखता है क्योंकि यह नृत्य केवल पुरुषों के द्वारा किया जाता हैं।
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