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    बापू के ब्रह्मचर्य पर लेख से सदमे में गांधीवादी

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    Updated: Tue, 11 Jun 2013 08:41 AM (IST)

    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य प्रयोग को लेकर एक पत्रिका में छपी कवर स्टोरी से गांधीवादी और गांधी संस्थाओं से जुड़े लोग स्तब्ध हैं। गांधीजी की हत्या के बाद उनकी अंतरंग सहयात्री मनुबेन गांधी, आभा गांधी व सुशीला नैयर संग उनकी अंतरंगता की बातें छन-छनकर पहले भी आती रही हैं लेकिन मनुबेन की डायरी से

    शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद।

    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ब्रह्मचर्य प्रयोग को लेकर एक पत्रिका में छपी कवर स्टोरी से गांधीवादी और गांधी संस्थाओं से जुड़े लोग स्तब्ध हैं। गांधीजी की हत्या के बाद उनकी अंतरंग सहयात्री मनुबेन गांधी, आभा गांधी व सुशीला नैयर संग उनकी अंतरंगता की बातें छन-छनकर पहले भी आती रही हैं लेकिन मनुबेन की डायरी से अब इनकी पुष्टि हो रही है।

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    हालांकि बापू के ब्रह्मचर्य प्रयोग की बात तो गांधीवादी स्वीकारते हैं,लेकिन इसी मुद्दे पर सरदार पटेल, गोपाल कृष्ण गोखले, देवदास गांधी की नाराजगी के विषय पर वे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। साबरमती स्थित गांधी संग्रहालय आजादी की लड़ाई का ही नहीं महात्मा गांधी की जीवन शैली व दर्शन के प्रयोगों का भी साक्षी रहा है। मनुबेन की डायरी के मुताबिक, बापू ने सत्य,अहिंसा के साथ- साथ ब्रह्मचर्य पालन की सीख देते हुए खुद इस व्रत को अपना लिया था। इस व्रत के दौरान उन्होंने अपनी सहचरी मनु, आभा, सुशीला नैयर, बीबी अम्तुस्सलाम, वीना, कंचन, लीलावती, मीरा आदि के साथ निर्वस्त्र सहशयन कर ब्रह्मचर्य संकल्प को आजमाया।

    आश्रम में रहने वाली लड़कियों में बापू संग सोने को लेकर होड़ और ईष्या मची रहती थी। उनका यह प्रयोग कइयों को रास नहीं आया। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 25 जनवरी 1947 को बापू को पत्र लिखा था, जिसमें उनके प्रयोग को भयंकर भूल बताते हुए उसे रोकने को कहा था। पटेल ने लिखा था कि ऐसे प्रयोग से उनके अनुयायियों को गहरी पीड़ा होती है। वे खुद अपमान के अग्निकुंड में जलने के समान महसूस करते हैं। ना जाने क्यूं लोगों को धर्म की बजाए अधर्म के रास्ते ले जा रहे हैं। बापू के ब्रह्मचर्य प्रयोग पर आए ताजा आलेख के बारे में गांधी आश्रम के ट्रस्टी अमृत मोदी कहते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी है, लेख पढ़ा नहीं इसलिए टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन इतना जरूर है कि गांधी जी के बारे में आधा सच ही छापा जाता है।

    बापू हमेशा ही समाज व देश के लिए प्रयोग किया करते थे। बापू के सचिव महादेव देसाई के पुत्र और गांधी कथाकार नारण भाई देसाई ने कहा, बापू ने अपनी पुस्तक मेरा जीवन, मेरे विचार में ब्रह्मचर्य व्रत पर काफी कुछ लिखा है। हालांकि बापू के प्रयोग पर सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु, गोपालकृष्ण गोखले आदि के खफा होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

    आश्रम में चल रहे थे प्रेम - प्रसंग

    मनुबेन की डायरी से स्पष्ट होता है कि गांधीजी को भी इस लेखन की जानकारी थी, पहले उन्होंने इस डायरी को ध्यानपूर्वक रखने की सलाह दी तथा बाद में अपने सचिव प्यारेलाल से इसकी भाषा व तथ्य भी सुधरवाना चाहते थे। एक बार प्रार्थना में खुद बापू ने ही मनु व आभा के साथ अपने ब्रह्मचर्य प्रयोग की जानकारी दी। इसके बाद मनुबेन ने अपनी डायरी में लिखा कि दुनिया जो कहती है कहती रहे अब उन्हें इस प्रकार की बातों व अफवाहों से कोई फर्क नहीं पड़ता वे बापू को अपनी मां समान मानती हैं। आलेख में आश्रम में रहने वाली लड़कियों में बापू के साथ सोने को लेकर मचने वाली होड़ व ईष्र्या को भी उजागर किया गया है वहीं बापू के सचिव प्यारेलाल के बारे में बताया गया है कि वे खुद मनुबेन के प्यार में पागल थे और उससे शादी भी करना चाहते थे। उनकी बहन सुशीला नैयर इसके लिए मनुबेन पर लगातार दबाव भी बनाती रही तथा शादी करने पर ही मनु को नर्स बनाने में मदद करने का भरोसा दिया। इस पर मनुबेन ने लिखा है कि जब वे अपने बडे भाई व दादा से शादी करने को तैयार हो जाएंगी तब प्यारेलाल जी से शादी कर पाएंगी, चूंकि वह उन्हें अपना बडा भाई मानती हैं।

    गांधीजी के आग्रह पर भी नवजीवन में नहीं छपे लेख

    उल्लेखनीय है कि गांधीजी ने जिस नवजीवन प्रकाशन की नींव रखी थी उसने गांधीजी के आग्रह के बावजूद उनके ब्रह्मचर्य प्रयोग पर कुछ भी लिखने से मना कर दिया था। इससे पहले सरदार पटेल ने बापू को लिखा था कि इससे दुनिया का कोई फायदा होने वाला नहीं है, बापू लाख अपने अनुयायियों से इस प्रयोग का अनुकरण नहीं करने की विनती करें लेकिन लोग तो बड़े व आदर्श लोगों को अनुकरण करते आए हैं, फिर भी बापू ना जाने क्यूं लोगों को धर्म की बजाए अधर्म के रास्ते ले जा रहे हैं।

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