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    G20 Summit: तैयार हुआ चीन की BRI का सबसे बड़ा जवाब, भारत से यूरोप तक बनेगा कॉरिडोर; UAE-फ्रांस भी होंगे शामिल

    By Jagran NewsEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Sun, 10 Sep 2023 01:11 AM (IST)

    चीन की बीआरआइ प्रोजक्ट का सबसे बड़ा जवाब तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने इसकी घोषणा की। अब भारत से पश्चिम एशिया होते हुए यूरोप तक कॉरिडोर बनेगा और रेल लाइनें बिछेंगी। एक दूसरे के ऊर्जा और संचार क्षेत्रों को जोड़ने की भी व्यवस्था होगी। यूएई सऊदी अरब ईयू फ्रांस इटली और जर्मनी साझीदार देश होंगे।

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    G20 Summit 2023 के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। दूसरे देशों में रेल, सड़क व बंदरगाह बनाकर उन पर अधिपत्य जमाने की चीन (China) की रणनीति का जवाब भारत और अमेरिका ने खोज निकाला है। जी-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) में हिस्सा लेने के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (US President Joe Biden) ने कुछ दूसरे मित्र राष्ट्रों के साथ मिल कर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर स्थापित करने की घोषणा किया है।

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    कॉरिडोर में रेल लाइनों, सड़कों और समुद्री केबलों का होगा नेटवर्क

    इस कॉरिडोर में रेल लाइनों, सड़कों और बंदरगाहों का नेटवर्क भी होगा, स्वच्छ ईंजन के निर्यात की व्यवस्था भी होगा, सुरक्षित संचार व्यवस्था के लिए समुद्री केबलों का नेटवर्क भी होगा और इस समूचे क्षेत्र को एक दूसरे से जोड़ने वाली ग्रिड व्यवस्था भी होगी।

    यह भी पढ़ें: G20 Summit: पुरानी दिल्ली की चाट, बनारसी साड़ी.. जब राष्ट्राध्यक्षों की पत्नियां भारतीय संस्कृति से हुईं रूबरू

    सभी देशों की संप्रभुता और अखंडता का रखा जाएगा ख्याल

    इस संबंध में घोषणा करते हुए पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि यह कॉरिडोर गरीब व विकासशील देशों की प्रगति तेज करेगा, लेकिन इसमें सभी देशों की संप्रभुता व अखंडता का ख्याल रखा जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने इसे ऐतिहासिक बताया है।

    पीएम मोदी और बाइडन की सह-अध्यक्षता में हुआ कार्यक्रम

    • शनिवार को दिल्ली के गहमा-गहमी भरे कूटनीतिक माहौल में पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडन की सह-अध्यक्षता में एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें वैश्विक ढांचागत व निवेश के लिए साझेदारी (पीजीआइआइ) और भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (आइएमईसी) की घोषणा की गई।
    • कार्यक्रम में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इटली की पीएम जार्जिया मेलोनी, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज और ईयू की प्रेसिडेंट उर्सुला लेयेन भी मौजूद रहीं। ये सारे देश आइएमईसी के साझेदार होंगे।

    चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में भारत और अमेरिका

    चीन ने जिस तरह से एशिया से लेकर अफ्रीका तक और यूरोप तक सड़कों व रेल नेटवर्क तैयार करने का खाका तैयार किया है, उसको लेकर कई विकासशील व गरीब देश आकर्षित हैं। चीन भारत के पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश समेत दूसरे पड़ोसी देशों को भी इस नेटवर्क से जोड़ रहा है। अब इसका सही विकल्प भारत व अमेरिका पेश करने को तैयार दिखते हैं।

    नई दिल्ली में क्यों की गई परियोजना की घोषणा?

    • नई दिल्ली में इस परियोजना की घोषणा की भी खास अहमियत है। यह बताता है कि चीन के आक्रामक रवैये के विरुद्ध भारत और अमेरिका का गठबंधन कई स्तरों पर काम कर रहा है। साथ ही इस संबंध में भारत और अमेरिका दूसरे विश्वस्त देशों को भी साथ लेकर चलने की कोशिश में हैं।
    • सऊदी अरब और यूएई के इसमें शामिल होने को खाड़ी क्षेत्र में तनाव दूर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। 
    • भारत से खाड़ी के क्षेत्र होते हुए यूरोप तक रेल नेटवर्क को स्थापित करना इस परियोजना का एक अहम हिस्सा होगा।

    पीएम मोदी ने क्या कहा?

    पीएम मोदी ने कहा कि हम आज एक ऐतिहासिक घोषणा के करीब पहुंच गए हैं। भविष्य में यह भारतीय इकोनॉमी को यूरोप और पश्चिम एशिया के देशों की इकोनॉमी से जोड़ने वाला एक अहम माध्यम बनेगा। यह पूरी दुनिया के समक्ष कनेक्टिवटी और सतत विकास का एक उदाहरण पेश करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत कनेक्टिविटी परियोजनाओं को सिर्फ अपनी सीमा तक ही सीमित नहीं रखना चाहता। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि इस परियोजना में दूसरे देशों की संप्रभुता का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

    परियोजना से कारोबार करना होगा आसान

    उधर, अमेरिका ने कहा है कि इस परियोजना के जरिये भारत, इजरायल, यूएई, जार्डन और यूरोप के बीच कारोबार आसान हो जाएगा। इससे इस पूरे क्षेत्र में शांति, स्थिरता व संपन्नता लाने में मदद मिलेगी।