रूस-यूक्रेन युद्ध और कर्ज को लेकर G20 के वित्त प्रमुखों ने की बैठक, मतभेदों के कारण नहीं बन सकी सहमति
G-20 Summit दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के फाइनेंशियल लीडर्स शनिवार को यूक्रेन में युद्ध को हल करने के मुद्दों को लेकर आपस में सहमति नहीं बन पाई। भारत की मेजबानी में जी20 समूह के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक प्रमुखों की बैठक आयोजित की गई।

बेंगलुरु, एजेंसी। G-20 Summit: यूक्रेन में युद्ध को हल करने के मुद्दों को लेकर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के फाइनेंशियल लीडर्स की आपस में सहमति नहीं बन पाई है। बता दें कि भारत की मेजबानी में जी20 समूह के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक प्रमुखों की बैठक आयोजित की गई।
बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और ग्रुप ऑफ सेवन (G-7) में उसके सहयोगी पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा करने की मांग में अड़े हुए हैं। इसका रूस और चीन के प्रतिनिधिमंडलों ने विरोध किया है। बता दें कि रूस जी20 का सदस्य है, लेकिन जी7 का नहीं। वह यूक्रेन पर आक्रमण को "विशेष सैन्य अभियान" बताता रहा है और इसे आक्रमण या युद्ध कहने से बचता रहा है।
भारत के पास चेयर स्टेटमेंट जारी करने का विकल्प
जी20 के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि रूस और चीन द्वारा पश्चिमी देशों के प्रस्तावों को रोकने के कारण बातचीत मुश्किल थी। सूत्र और कई अन्य अधिकारियों ने कहा कि बैठक आखिरी में छोड़कर जाना आश्चर्यजनक रहा। बैठक में मेजबान द्वारा चर्चाओं को संक्षेप में एक बयान के साथ समाप्त होने की संभावना थी। वहीं, एक अधिकारी ने कहा, भारत के पास चेयर स्टेटमेंट जारी करने का विकल्प होगा। बैठक में भारत के विदेश, वित्त और सूचना मंत्रालयों ने टिप्पणी मांगने वाले अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया।
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भारत ने "युद्ध" शब्द का उपयोग नहीं करने का दबाव बनाया
जी20 के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि भारत "युद्ध" शब्द का उपयोग नहीं करने के लिए बैठक पर दबाव डाल रहा है। भारत के पास जी20 की अध्यक्षता है और वह युद्ध पर तटस्थ रुख रखा है। भारत ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दोष देने से इनकार करते हुए कहा कि यहां राजनयिक समाधान की जरूरत है। इसके साथ ही कहा कि रूस से तेल की खरीद को तेजी से बढ़ाएगा।
रूसी सेना को तत्काल प्रभाव से यूक्रेन छोड़ देना चाहिए और युद्ध रोक देना चाहिए। यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंजूर किया गया। इसके लिए मतदान हुआ। हालांकि इस मतदान में भारत और चीन शामिल नहीं थे। जबकि इसमें जी7 देशों के अलावा, जी20 ब्लॉक में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और सऊदी अरब जैसे देशों ने हिस्सा लिया।
विकासशील देशों को दिए ऋणों में भारी कटौती का दबाव
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने संकटग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऋण पुनर्गठन पर शनिवार को वर्ल्ड बैंक, चीन, भारत, सऊदी अरब और जी7 के साथ बैठक की। हालांकि इसमें सदस्यों के बीच सहमति नहीं बनी।
भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ गोलमेज सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करने वाली आईएमएफ के प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने संवाददाताओं से कहा, "हमने अभी एक सत्र समाप्त किया है, जिसमें यह स्पष्ट था कि देशों के लाभ के लिए मतभेदों को पाटने की प्रतिबद्धता है। दुनिया के सबसे बड़े द्विपक्षीय लेनदार चीन और अन्य देशों पर संघर्षरत विकासशील देशों को दिए गए ऋणों में भारी कटौती करने का दबाव बन रहा है।
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जाम्बिया पर 6 बिलियन डॉलर का कर्ज
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने इस बैठक से पहले कहा था कि वह चीन सहित सभी द्विपक्षीय लेनदारों पर चर्चा में भाग लेने के लिए दबाव डालेंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कई देशों का चीन पर ऋण बकाया है।
जाम्बिया पर 2021 के अंत में 17 बिलियन डॉलर के कुल बाहरी ऋण का लगभग 6 बिलियन डॉलर बकाया है। वहीं, घाना पर चीन का 1.7 बिलियन डॉलर का बकाया है। चीन अफ्रीका रिसर्च इनिशिएटिव थिंक टैंक शो की गणना के अनुसार, 2022 के अंत तक श्रीलंका पर चीन का 7.4 बिलियन डॉलर बकाया है, जो कि सार्वजनिक बाहरी ऋण का लगभग पांचवां हिस्सा बकाया है।
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