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    G RAM G: मनरेगा की कमियों और 'जी राम जी' के प्रभावी क्रियान्वयन पर संसदीय समिति ने मंथन

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 07:58 PM (IST)

    ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संबंधी संसदीय समिति ने मनरेगा की कमियों और नए 'जी राम जी' कानून के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा की। समिति ने मनरेगा से ' ...और पढ़ें

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    विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन। (पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को संप्रग शासन के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 'मनरेगा' की कमियों और अब नरेंद्र मोदी सरकार के विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) कानून 'जी राम जी' को सुचारू रूप से अपनाने के तरीकों पर मंथन किया।

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    मनरेगा के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के साथ ही इसके अनुभवों को ध्यान में रखते हुए समिति ने इस बाबत भी विमर्श किया कि नए कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अगले छह महीनों में क्या कार्रवाई की जाए।

    सूत्रों ने बताया कि समिति के अधिकांश सदस्य इस बात को लेकर चिंतित थे कि अगले छह महीनों में सरकार द्वारा 'मनरेगा' से 'जी राम जी' में कार्य नीतियों को स्थानांतरित करने के दौरान यह परिवर्तन कैसे होगा, इस अवधि के दौरान लाभार्थियों को भुगतान कैसे किया जाएगा और अतिरिक्त बजटीय सहायता की व्यवस्था कैसे की जाएगी।

    बैठक के दौरान हालांकि किसी भी सदस्य ने 'जी राम जी' अधिनियम का विरोध नहीं किया। अलबत्ता, उनमें से कई ने यह चिंता जरूर व्यक्त की कि पुराने कानून के तहत कई राज्यों में नामांकन केवल लगभग 50 प्रतिशत ही था। सदस्यों ने यह भी कहा कि विकसित भारत 'जी राम जी' कानून को लागू करने में कम से कम छह महीने लगेंगे क्योंकि नियमों के तैयार होने के बाद ही इसे लागू किया जाएगा।

    गौरतलब है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने 2005 में पारित किया था। विकसित भारत 'जी राम जी' विधेयक को हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच संसद में पारित किया गया।

    नए अधिनियम में ग्रामीण श्रमिकों के लिए 125 दिनों के कार्य दिवस का प्रविधान है। सोमवार को हुई संसदीय समिति की बैठक में नई प्रणाली और ढांचे पर भी चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, कुछ विपक्षी सदस्यों ने स्वीकार किया कि मनरेगा में कुछ कमियां हैं, जिनके लिए समिति ने पहले कुछ सिफारिशें की थीं। कुछ विपक्षी सदस्यों ने कहा कि उन्होंने पहले कार्य दिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 करने का सुझाव दिया था।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)