जी राम जी बिल पर संसद में संग्राम, महात्मा गांधी का नाम हटाने पर भड़का विपक्ष; सरकार बोली- बापू हमारे दिल में
संसद में जी रामजी बिल को लेकर संग्राम छिड़ गया है। सरकार ने मनरेगा कानून के आधुनिक विकल्प के रूप में इस बिल को पेश किया है, जिसका विपक्ष ने कड़ा विरोध ...और पढ़ें

अब रोजगार कानून पर पक्ष-विपक्ष में नई लड़ाई छिड़ गई है (फोटो: पीटीआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वंदे मातरम और एसआईआर के बाद अब रोजगार कानून पर पक्ष-विपक्ष में नई लड़ाई छिड़ गई है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में मंगलवार को विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन, ग्रामीण (जी रामजी) बिल- 2025 पेश किया।
कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे 20 वर्ष पुराने मनरेगा कानून का आधुनिक विकल्प बताते हुए ग्रामीण विकास के लिए संरचनात्मक सुधार करार दिया, जबकि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इसे महात्मा गांधी का नाम हटाने, राज्यों पर बोझ बढ़ाने और रोजगार गारंटी को कमजोर करने की कोशिश बताते हुए तीखा विरोध किया।
वेल में पहुंचे विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया
गांधी की तस्वीरें लेकर वेल में पहुंचे विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। वे संसदीय समिति को बिल भेजने की मांग कर रहे थे। तर्क था कि इतना बड़ा बदलाव गहन जांच और व्यापक सहमति के बिना नहीं होना चाहिए। बिल पर विशेष चर्चा बुधवार को संभावित है। इसके पहले लोकसभा में बिल पेश करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बापू हमारे दिल में है।
सरकार उनके सिद्धांतों में विश्वास करती है और उन्हें जमीन पर उतारती भी है। नई व्यवस्था में हर ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिन के रोजगार की गारंटी मिलेगी, जो मनरेगा की सौ दिन की गारंटी से अधिक है। उन्होंने तर्क दिया कि यह कानून विकसित भारत-2047 के लक्ष्य के अनुरूप रोजगार के साथ-साथ टिकाऊ ग्रामीण अवसंरचना का निर्माण करेगा। पानी से जुड़े कार्य, गांवों की आधारभूत संरचना, रोजगार आधारित ढांचा और बाढ़-सुखाड़ की मार से निपटना इसकी प्राथमिक होगी।
हंगामे पर शिवराज ने तीखा पलटवार किया
राम के नाम पर विपक्ष की आपत्ति और हंगामे पर शिवराज ने तीखा पलटवार किया और कहा कि राम का नाम जोड़ने में क्या दिक्कत है। बापू भी रामराज्य के समर्थक थे।हालांकि विपक्ष की आपत्तियां सिर्फ बापू के नाम तक सीमित नहीं थीं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिल को मनरेगा की आत्मा पर हमला बताया और कहा कि नई व्यवस्था में केंद्र का नियंत्रण बढ़ेगा, लेकिन जिम्मेदारी घटेगी, जिससे ग्राम पंचायतों की भूमिका कमजोर होगी।
उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार ने मनरेगा के रूप में मजदूरों को कानूनी अधिकार दिया था और राज्यों को 90 प्रतिशत राशि की व्यवस्था थी। नए बिल में केंद्र 60 प्रतिशत देगा। शेष 40 प्रतिशत का बोझ राज्यों को उठाना पड़ेगा। प्रियंका ने चेताया कि इससे राज्यों की अर्थ-व्यवस्था पर असर पड़ेगा। खासकर उन राज्यों पर जो पहले से जीएसटी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं।
शशि थरूर ने सरकार पर तीखा कटाक्ष किया
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसे केवल कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि राज्यों के अधिकार आधारित कल्याण को केंद्रीय नियंत्रित चैरिटी में बदलने की साजिश बताया और कहा कि गांधी के नाम को हटाना प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि उस दर्शन से दूरी बनाना है जिसमें ग्राम स्वराज और अंतिम व्यक्ति को प्राथमिकता दी गई है।
बहस के दौरान शशि थरूर ने सरकार पर तीखा कटाक्ष किया और गांधी के रामराज्य एवं ग्राम स्वराज की अवधारणा का हवाला देते हुए कहा कि रोजगार गारंटी की आत्मा नीचे से ऊपर सशक्तीकरण में है। थरूर ने मनरेगा के वित्तीय ढांचे में बदलाव को संघीय ढांचे के खिलाफ बताया और आशंका जताई कि इससे गरीब राज्यों में भुगतान में देरी, काम के दिनों में कटौती और योजना के कमजोर पड़ने का खतरा बढ़ेगा।
सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने गांधी का नाम हटाने पर सख्त आपत्ति जताई और कहा कि देश में बापू का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा। राकांपा की सुप्रिया सुले ने केंद्र से आग्रह किया कि कानून में बदलाव लाने से उन्हें आपत्ति नहीं है, लेकिन योजना से गांधी का नाम मत हटाइए। विपक्ष के अन्य नेताओं टीआर बालू और एनके प्रेमचंद्रन ने भी गांधी के नाम को हटाने को अपमान करार दिया।

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