IAS G krishnaiah : कार से खींचा... पत्थरों से कूचा, 29 साल पहले कैसे की गई थी DM जी कृष्णैया की हत्या
मुजफ्फरपुर के खबरा गांव के पास भीड़ ने डीएम जी कृष्णैया की गाड़ी को घेर लिया था। ड्राइवर ने गाड़ी भगाने की कोशिश की। अचानक कृष्णैया गुस्सा हो गए और गाड़ी रोकने के लिए कहा। कार रोकते ही भीड़ ने डीएम को पकड़ लिया और उनकी हत्या कर दी।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले जी. कृष्णैया 1985 बैच के आईएएस अधिकारी थे। दलित समुदाय से आने वाले कृष्णैया ईमानदार और साफ-सुथरी छवि वाले अफसर थे। कृष्णैया को बिहार के गोपालगंज की कमान सौंपी गई थी। 5 दिसंबर 1994, यही वो तारीख थी जब आईएएस की सरेआम हत्या कर दी गई थी। ये हत्या 29 साल बाद एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह है, हत्याकांड के मुख्य आरोपी आनंद मोहन को जेल से हमेशा के लिए रिहा किया जाना। आइए जानते हैं 5 दिसंबर 1994 को ऐसा क्या हुआ कि लोगों ने मिलकर एक डीएम को ही मौत के घाट उतार दिया।
'...तो बच जाते डीएम जी कृष्णैया', ड्राइवर ने सुनाई आपबीती
जी. कृष्णैया के ड्राइवर रहे दीपक कुमार ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पूरी घटना बताई। दीपक ने बताया, ''हम हाजीपुर से एक मीटिंग में शामिल होकर लौट रहे थे। हमारा काफिला मुजफ्फरपुर के खबरा में निकल रहे जुलूस में फंस गया और वहां छोटन शुक्ला की हत्या के बाद उत्तेजित भीड़ ने सर की हत्या दी। इस भीड़ का नेतृत्व बिहार पीपुल्स पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष आनंद मोहन सिंह कर रहे थे।''
दीपक ने बताया, जुलूस में शामिल लोगों ने पहले कृष्णैया सर के बॉडीगार्ड को एंबेसडर कार से बाहर खींचा। मैंने कार को नहीं रोका और उसकी स्पीड बढ़ाने की कोशिश की। लेकिन, सर ने मुझे कार रोकने को कहा, क्योंकि वह बॉडीगार्ड को बचाना चाहते थे।'' ड्राइवर ने कहा कि अगर उन्होंने अपने बॉडीगार्ड को बचाने के लिए अपनी कार को रोकने के लिए नहीं कहा होता तो शायद वो बच जाते।
गड्ढे में बेजान पड़े थे सर, पत्थरों से कूचा गया था चेहरा
ड्राइवर दीपक ने कहा, "जैसे ही मैंने कार रोकी, भीड़ ने हम पर हमला कर दिया। उन्होंने मुझे इतनी बुरी तरह पीटा कि मुझे सुनाई देना बंद हो गया। आखिरी बार मैंने कृष्णैया सर को देखा था।" दीपक ने कहा, "मैं अपनी जान बचाने में कामयाब रहा। कुछ देर बाद, जब मैं वापस आया तो मैंने सर को गड्ढे में बेजान पड़ा देखा। हम उन्हें अस्पताल ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।"
आनंद मोहन सिंह को हत्याकांड का दोषी ठहराया गया था
आनंद मोहन की बिहार पीपुल्स पार्टी के छोटन शुक्ला की हत्या के बाद उनके समर्थक जुलूस निकालकर शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे। इससे बेखबर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया नेशनल हाईवे से गोपालगंज लौट रहे थे। मुजफ्फरपुर के खबरा गांव के पास अचानक 5 हजार की भीड़ ने गाड़ी को घेर लिया। तब तक सुरक्षा कर्मियों की टीम भीड़ में फंस चुकी थी। भीड़ ने डीएम जी कृष्णैया की हत्या कर दी।
इस मामले में ड्राइवर दीपक कुमार की गवाही के परिणामस्वरूप आनंद मोहन सिंह को दोषी ठहराया गया। हत्याकांड के मुख्य आरोपी आनंद मोहन सिंह को अब रिहा किया जा रहा है, क्योंकि बिहार सरकार ने नियमों में बदलाव किया है। आलोचकों का कहना है कि यह उनके समुदाय के वोटर्स को लुभाने की एक कोशिश है।
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