Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Supreme Court: भगोड़े को असाधारण और विरले मामले में ही दी जा सकती है अग्रिम जमानत - सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि भगोड़ा घोषित किए गए अपराधी को असाधारण और विरले मामले में ही अग्रिम जमानत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ताजा फैसले में कहा कि असाधारण और विरले मामले में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट भगोड़ा घोषित अपराधी को अग्रिम जमानत देने पर विचार कर सकते हैं क्योंकि ये संवैधानिक अदालतें हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 03 Sep 2023 08:39 PM (IST)
    Hero Image
    सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला किया रद (फाइल फोटो)

    माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि भगोड़ा घोषित किए गए अपराधी को असाधारण और विरले मामले में ही अग्रिम जमानत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त को अग्रिम जमानत देने का पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला रद करते हुए कहा कि इस मामले में ऐसी कोई असाधारण या दुर्लभ स्थिति नहीं थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुप्रीम कोर्ट के ही लवेश बनाम दिल्ली राज्य और मध्य प्रदेश बनाम प्रदीप शर्मा मामले में दिए गए पूर्व फैसलों को उद्धृत करते हुए कहा है कि इनमें साफ तौर पर भगोड़े अपराधी को अग्रिम जमानत देने का विरोध किया गया है। उन फैसलों में शीर्ष अदालत ने कहा था कि भगोड़ा अपराधी अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं है।

    लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ताजा फैसले में कहा कि असाधारण और विरले मामले में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट भगोड़ा घोषित अपराधी को अग्रिम जमानत देने पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि ये संवैधानिक अदालतें हैं। यह फैसला न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और एसवीएन भट्टी की पीठ ने 29 अगस्त को हरियाणा सरकार की याचिका स्वीकार करते हुए दिया।

    हरियाणा सरकार ने की थी अग्रिम जमानत रद करने की मांग

    इस मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपीलीय याचिका दाखिल कर अभियुक्त धर्मपाल को हाई कोर्ट द्वारा दी गई अग्रिम जमानत रद करने की मांग की थी।

    धर्मपाल के खिलाफ गुरुग्राम के बादशाहपुर पुलिस थाने में 31 जुलाई, 2020 को आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 325, 341, 342 और 427 में मामला दर्ज हुआ। बाद में उस पर आइपीसी की धारा 186 और 364 भी जोड़ दी गई। इस मामले में अदालत ने अभियुक्त को भगोड़ा घोषित किया था।

    राज्य सरकार ने क्या कुछ कहा था?

    राज्य सरकार का कहना था कि अदालत से भगोड़ा अपराधी घोषित किए जा चुके अभियुक्त को हाई कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत दिए जाने का आदेश गलत है। अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं।

    साथ ही दलील दी कि इसे अग्रिम जमानत दिए जाने के आदेश के आधार पर मामले में आरोपित अन्य सह अभियुक्तों ने लाभ उठाते हुए अग्रिम जमानत पा ली है, जो कि व्यापक जनहित में नहीं है। हालांकि, अभियुक्त की ओर से हाई कोर्ट के फैसले को सही बताया गया था और जांच एजेंसियों पर बिना वजह उसे परेशान करने का आरोप लगाया गया था।

    अग्रिम जमानत देने का आदेश रद

    सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का अग्रिम जमानत देने का आदेश रद करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि अभियुक्त भगोड़ा घोषित अपराधी है। अभियुक्त को पांच फरवरी, 2021 को भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया, जबकि उसने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में आवेदन अक्टूबर 2021 में किया था। हाई कोर्ट का इस तथ्य को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। हाई कोर्ट के अग्रिम जमानत देने की तारीख पर भी अभियुक्त भगोड़ा अपराधी घोषित था।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त खुद को भगोड़ा घोषित करने के आदेश को सफलतापूर्वक समाप्त कराए बगैर अग्रिम जमानत की मांग नहीं कर सकता। अभियुक्त की अग्रिम जमानत अर्जी पर विचार नहीं किया जाना चाहिए था। लवेश कुमार और प्रदीप शर्मा के पूर्व फैसलों में ऐसे व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने का विरोध किया गया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत का आदेश रद करते हुए अभियुक्त को चार सप्ताह में समर्पण करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वह समर्पण करने के बाद नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकता है और कोर्ट इस फैसले से प्रभावित हुए बगैर उस आवेदन पर मेरिट के आधार पर विचार करेगा।