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    विदेश में नौकरी करने वाले भारतीयों का PF मिलेगा वापस, सरकार ने बनाया ये प्लान; ब्रिटेन से फाइनल हुई बात

    Updated: Wed, 02 Jul 2025 11:11 PM (IST)

    भारत विदेशों में काम कर रहे उन भारतीयों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान (प्रोविडेंट फंड) वापस दिलाने की कोशिश कर रहा है जो नौकरी के बाद स्वदेश लौट आते हैं। इसके लिए ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में सामाजिक सुरक्षा समझौते (एसएसए) को शामिल किया जा रहा है।

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    एफटीए में ब्रिटेन एसएसए को शामिल करने पर राजी हो गया है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। भारत विदेश में नौकरी करने के बाद अपने सामाजिक सुरक्षा अंशदान यानि प्रोविडेंट फंड की राशि लिए बिना ही वापस लौटने वाले पेशेवर भारतीयों को उनकी यह जमा पूंजी वापस दिलाने का रास्ता बना रहा है। इस कोशिश के तहत ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक जिन देशों से भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत हो रही, उसमें सामाजिक सुरक्षा समझौते (एसएसए) को इसका अनिवार्य हिस्सा बनाने की चर्चा की जा रही है।

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    भारत-ब्रिटेन के बीच सहमति के मुकाम पर पहुंच चुके एफटीए में ब्रिटेन एसएसए को इसका हिस्सा बनाने पर राजी हो गया है। वहीं अमेरिका से चल रहे अंतरिम व्यापार समझौते में भी सामाजिक सुरक्षा प्रविधानों को शामिल कराने की कोशिश की जा रही है। श्रम मंत्रालय सूत्रों के अनुसार मुक्त व्यापार समझौते के लिए कई देशों से चल रही वार्ताओं में सामाजिक सुरक्षा को इसका हिस्सा बनाने पर भारत के जोर देने की वजह बड़ी संख्या में पेशेवर भारतीयों के विदेशों में काटे गए सामाजिक सुरक्षा अंशदान का भुगतान नहीं किया जाना है।

    प्रोविडेंट फंड नहीं मिलता वापस

    अमेरिका, ब्रिटेन से लेकर पूरी दुनिया में भारतीय पेशेवरों की कार्य कुशलता और क्षमता को देखते हुए सबसे अधिक मांग और संख्या दोनों है। हालांकि विदेश में कुछ सालों की नौकरी के बाद वे स्वदेश लौटते हैं तो भारत में सामाजिक सुरक्षा नहीं होने का हवाला देकर ये देश उनके प्रोविडेंट फंड में कटे अंशदान की राशि नहीं लौटाते। एफटीए में सामाजिक सुरक्षा से जुड़े प्रविधान शामिल करने के बाद विदेश के प्रोविडेंट फंड में भारतीयों की अटकी रकम वापस मिलने का रास्ता खुलेगा।

    इस क्रम में ब्रिटेन संभवत: पहला देश होगा, जो भारत के साथ हो रहे एफटीए के एक अंतर्निहित घटक के रूप में सामाजिक सुरक्षा समझौते को भी शामिल करेगा। विदेश में काम करने वाले पेशेवर भारतीयों के हित के लिए सामाजिक सुरक्षा को अहम बताते हुए केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने इस बारे में कहा कि उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय से अनुरोध किया है कि भविष्य में सभी एफटीए वार्ताओं में सामाजिक सुरक्षा समझौते को शामिल किया जाए।

    ब्रिटेन एसएसए पर हुआ राजी

    • सूत्रों के अनुसार एफटीए में ब्रिटेन एसएसए को शामिल करने पर राजी हो गया है। इसका फायदा नौकरी छोड़कर वापस लौटने वाले पेशवेरों को होगा। श्रम मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा निकाय ईपीएफओ को रकम वापसी के माध्यम के तौर पर अधिकृत करेगा। सामाजिक सुरक्षा समझौता दो या अधिक देशों के बीच एक पारस्परिक व्यवस्था है जो सुनिश्चित करती है कि किसी कर्मचारी को विदेश में नौकरी के दौरान उस देश में सामाजिक सुरक्षा कवरेज फंड में योगदान नहीं करना पड़ता है। लेकिन पेंशन गणना के लिए रोजगार अवधि का पूरा लाभ मिलता है।
    • जबकि नियोक्ता अपने कर्मचारियों की ओर से दोहरा सामाजिक सुरक्षा योगदान करने से बच जाते हैं। ब्रिटेन से होने वाले एफटीए में एसएसए को शामिल किए जाने के बाद भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में तैनात किए जाने वाले अपने पेशेवरों का पीएफ अंशदान तीन साल तक ईपीएफओ में ही जमा करा सकेगी। अभी जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील और स्वीडन समेत 22 देशों के साथ भारत का सामाजिक सुरक्षा समझौता है।

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