'देश में बिकने वाले अंडे खाने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित', एफएसएसएआई ने किया दावा
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कहा कि देश भर में बिकने वाले अंडे खाने के लिए सुरक्षित हैं। एफएसएसएआई ने अंडों को कैंसर के खतरे ...और पढ़ें
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अंडो को लेकर बड़ा दावा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश भर में बिकने वाले अंडे खाने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इन्हें खाने से कैंसर का खतरा बढ़ने वाले दावे पूरी तरह से निराधार हैं। यह दावा भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने किया है।
एफएसएसएआई के अनुसार अंडों को कैंसर के खतरे से जोड़ने का दावा का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। हालिया मीडिया रिपोर्टों और इंटरनेट मीडिया पोस्ट्स में अंडों में नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स (एओजेड) जैसे कार्सिनोजेनिक पदार्थों की मौजूदगी का दावा किया गया था, जो कैंसरकारक हैं।
एफएसएसएआई ने क्या कहा?
एफएसएसएआई के अनुसार नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स के लिए 1.0 की एक्सट्रेनियस मैक्सिमम रेसिड्यू लिमिट निर्धारित की गई है। इसके नीचे की ट्रेस मात्रा में अवशेषों का पता लगना खाद्य सुरक्षा उल्लंघन नहीं है और न ही यह किसी स्वास्थ्य जोखिम का संकेत देता है।
भारत का नियामक ढांचा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।अंडों को लेकर आम जनता के बीच फैल रहे भ्रम को दूर करते हुए एफएसएसएआई ने कहा कि “अलग-थलग प्रयोगशाला निष्कर्षों को सामान्यीकृत करके अंडों को असुरक्षित बताना वैज्ञानिक रूप से गलत है।'' उपभोक्ताओं को सिर्फ सत्यापित वैज्ञानिक साक्ष्यों और आधिकारिक सलाह पर भरोसा करना चाहिए।
एफएसएसएआई ने किया ये दावा
एफएसएसएआई ने दावा किया कि खाद्य सुरक्षा विनियमों के अनुपालन में उत्पादित और उपभोग किए जाने पर अंडे संतुलित आहार का एक सुरक्षित, पौष्टिक और अहम हिस्सा है। एफएसएसएआई ने वैज्ञानिक साक्ष्यों का हवाला देते हुए कहा कि नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स के अंश मिलने और उसके खाने से मनुष्यों में कैंसर या अन्य प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों के बीच कोई स्थापित कारण संबंध नहीं है। किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सामान्य रूप से अंडा खाने को कैंसर के बढ़ते जोखिम से नहीं जोड़ा है।

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