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    हिमालय की पीर पंजाल चोटियों से केरल के पोर्ट तक, देश के दुर्गम इलाकों में पहुंच को आसान बना रहीं सुरंगें

    Updated: Mon, 13 Jan 2025 10:52 PM (IST)

    देश को एक और बड़ी टनल मिल गई। सोमवार को पीएम मोदी ने कश्मीर में जेड मोड़ सोनमर्ग सुरंग का शुभारंभ किया। देश में ऐसी कई टनल हैं जिनके निर्माण से रेल और सड़क यातायात सुगम हुआ है। कश्मीर में पीर पंजाल के दुर्गम पर्वतों से लेकर महाराष्ट्र के पश्चिमी घाटों के दुर्गम इलाकों तक सुरंगों ने 12 महीने यातायात की सुविधा प्रदान की है।

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    देश की 10 सबसे बड़ी सुरंगें, जिन्होंने दुर्गम इलाकों में सालभर आवागमन सुगम बनाया है। फोटो: जागरण

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कश्मीर में सोनमर्ग में जेड मोड़ सोनमर्ग सुरंग का उद्घाटन किया और इसे राष्ट्र को समर्पित किया। श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग पर जिला गांदरबल में समुद्रतल से 8,650 फीट की ऊंचाई पर 6.5 किलोमीटर लंबी जेड मोड़ सोनमर्ग सुरंग बनाई गई है। हमारे देश में ऐसी कई रेल और सड़क सुरंगें हैं, जिन्होंने हिमालय से लेकर केरल तक दुर्गम इलाकों में यातायात को सुगम बनाया है। आइए जानते हैं देश की 10 सबसे बड़ी सुरंगों के बारे में।

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    1. पीर पंजाल रेलवे टनल

    • जम्मू कश्मीर के पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित पीर पंजाल रेलवे टनल भारत की सबसे लंबी सुरंग है। इसे T-80 के नाम से भी जाना जाता है। इसकी लंबाई  11.21 किलोमीटर है। इस टनल नवंबर 2005 से बनना शुरू हुई और इसका निर्माण जून 2013 में पूरा हुआ। यह सुरंग इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। दुर्गम पर्वतीय इलाकों के बीच इसका निर्माण करना चुनौतीपूर्ण रहा।
    • पीर पंजाल टनल के बनने से ट्रेनें हर मौसम में सुगमता से चलती हैं। इससे यात्रा के समय की काफी बचत हो जाती है। पीर पंजाल टनल के निर्माण में न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) सहित कई हाई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया। इससे ट्रेन यातायात और ज्यादा सुरक्षित बन जाता है।
    • इस सुरंग ने बनिहाल और काजीगुंड के बीच यात्रा के समय को 50 मिनट कम कर दिया है। रोजाना ईंधन की खपत भी कम हुई है। इससे रोज 10 लाख रुपये की बचत हो रही है।

    2. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी टनल

    • डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रोड टनल चेनानी नाशरी सुरंग के नाम से भी जानी जाती है। यह जम्मू कश्मीर की एक अहम रोड टनल है, जिसका शुभारंभ साल 2017 में किया गया था। सुरंग में दो सुरंगें हैं, जो कि एक दूसरे के समानांतर दिशाओं में चलती हैं। पहली ट्रैफिक सुरंग करीब 13 मीटर चौड़ी है।
    • इसके पास में ही एक और टनल है जिसकी चौड़ाई 6 मीटर की है। इस सुरंग के निर्माण से 41 किलोमीटर की दूरी घटकर 9 किलोमीटर के आसपास रह गई है। इन दोनों स्थानों के बीच यात्रा का समय पहले से 2 घंटे कम हो गया है। इसकी लंबाई 9.34 किमी है। यह सुरंग यात्रियों को उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। इनमें आग की स्थिति का पता लगाना, वेंटिलेशन, इमरजेंसी निकास शामिल हैं।

    3. त्रिवेन्द्रम बंदरगाह सुरंग

    • यह एक पोर्ट टनल है, जो कि केरल के त्रिवेंद्रम में स्थित है। इस टनल को बनाने का उद्देश्य केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम पोर्ट से कनेक्टिविटी को बढ़ाना है। 9 किलोमीटर लंबी इस रोड टनल का शुभारंभ साल 2002 में किया गया। बंदरगाह से कारोबारी यातायात के रूप में अहम कड़ी के रूप में काम करती है। इस टनल के बन जाने से पोर्ट तक और वहां से सामान के आसान परिवहन मे काफी सहूलियत हो गई है।
    • त्रिवेंद्रम पोर्ट टनल आधुनिक इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस टनल के उपयोग से भारी वाहन भी सुगमता से आवागमन कर लेते हैं। सड़कों पर ट्रैफिक का अतिरिक्त भार न बढ़े, इसके लिए इस टनल को डिजाइन किया गया था। त्रिवेंद्रम टनल में लाइट, वेंटिलेशन और इमरजेंसी एक्जिट की अच्छी सुविधाएं दी गई हैं। केरल के आर्थिक विकास में इस टनल का अहम योगदान है।

    4. अटल टनल

    • हिमाचल प्रदेश में स्थित अटल टनल का नाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। इस टनल का निर्माण कार्य साल 2010 में शुरू हुआ था। इस सुरंग का निर्माण पूरा होने पर केलांग और मनाली के बीच यात्रा के समय और कम हो गया है।
    • 3000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर बनी इस सुरंग  रोहतांग दर्रे के नीचे, शानदार पीर पंजाल रेंज के पूर्वी हिस्से में बन रही अटल रोड टनल की चौड़ाई 10 मीटर के करीब है। इस सुरंग का शुभारंभ 3 अक्टूबर 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। इस सुरंग की लंबाई 8800 मीटर के करीब है।
    • विश्व की सबसे ऊंची सुरंगों में से एक यह रोड टनल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है और इस दुर्गम इलाके में भी हर मौसम में लोगों की पहुंच को और आसान बना दिया है।  विश्व स्तर पर सबसे  सुरंगों में से एक है। इस सुरंग में भी आग का पता लगाने वाली प्रणालियां, इमरजेंसी एक्जिट और उत्कृष्ट वेंटिलेशन सिस्टम की सुविधा मौजूद है।

    5. बनिहाल काजीगुंड रोड टनल

    • यह रोड टनल भी जम्मू कश्मीर में स्थित है, जिसकी लंबाई 8.5 किलोमीटर है। इस सुरंग को यातायात के लिए साल 2021 में खोला गया। यह टनल बनिहाल और काजीगुंड के बीच एक अहम लिंक है, जिससे यातायात सुगम हो गया है। साथ ही दुर्गम इलाकों में भी कनेक्टिविटी में काफी सुधार हुआ है।
    • खासतौर सर्दियों के सीजन में जब भारी बर्फबारी के कारण सड़क यातायात में व्यवधान आ जाता है। ऐसे व्यवधानों को कम करने के लिए यह सुरंग खासतौर पर डिजाइन की गई है। इस सुरंग में भी आधुनिक इंजीनियरिंग का उपयोग करते हुए सुरक्षा के मानकों और उचित प्रोटोकॉल्स का पालन किया गया है।

    6. संगलदान रेल टनल

    • संगलदान रेलवे टनल जम्मू-बारामूला लाइन के कटरा-बनिहाल खंड के बीच स्थित है, जिसकी लंबाई 7.1 किलोमीटर है। यह टनल जम्मू और कश्मीर के मिडिल हिमालय रेंज के संगलदान सिटी के उत्तर में रामबन जिले के समीप बनाई गई है। सुरंग का निर्माण 4 दिसंबर 2010 को पूरा हुआ था।
    • यह रेल टनल दुर्गम पर्वतीय इलाकों में लोगों की रेल यातायात के माध्यम से पहुंच को और आसान बनाती है। ऐसे दुर्गम पर्वतीय इलाके जहां साल भर पहुंच मुश्किल थी, इस संगलदान रेल टनल के निर्माण से अब इन इलाकों में 12 महीने कनेक्टिविटी बन गई है।

    7. रापुरु रेल टनल

    • आंध्र प्रदेश में स्थित यह सुरंग आधिकारिक रूप से 2019 में खोली गई। 6.64 किलोमीटर लंबी यह रेलवे सुरंग भी दुर्गम इलाकों में जहां रेल की सीधी कनेक्टिविटी नहीं थी, वहां पहुंच आसान हो गई है। आंध्र प्रदेश की यह अहम रेलवे सुरंग आधुनिक इंजीनियरिंग के उपयोग से निर्मित की गई है।
    • इस टनल से ओबुलावारिपल्ली और वेंकटचलम के बीच यात्रा करने में लगने वाले समय में पांच घंटे की कमी आई है। करीब साढ़े छह मीटर ऊंचाई और साढ़े 6 किमी लंबी यह सुरंग 'घोड़े के नाल' के आकार की है।
    • इसके निर्माण में 43 महीने का समय लगा और करीब 460 करोड़ रुपये की लागत आई। सुरंग के भीतर 10-10 मीटर की दूरी पर एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं, जिससे आवागमन में रोशनी के कारण और सुविधा हो गई है।

    8. करबुडे रेल टनल

    • महाराष्ट्र में स्थित यह रेल टनल कोंकण रेलवे लाइन में सबसे लंबी रेल टनल है, जिसकी लंबाई करीब 6.5 किलोमीटर है। यह सुरंग साल 1997 में बनकर पूरी हुई थी। करबुडे रेल टनल महाराष्ट्र के पश्चिमी घाटों में रेल आवागमन को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से निर्मित की गई।
    • दुर्गम भौगोलिक स्थिति में भी उपयुक्त यह सुरंग भी उन्नत इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना है। पश्चिमी घाटों पर करबुडे रेलवे सुरंग का निर्माण तब किया गया था जब प्रतिष्ठित कोंकण रेलवे ने मुंबई और मैंगलोर के तटीय शहरों को जोड़ने का फैसला किया था। उक्षी और भोके स्टेशनों के बीच यह रेल टनल स्थित है।

    9. नटुवाडी रेल टनल

    • महाराष्ट्र में स्थित यह रेल टनल 1963 में बनकर तैयार हुई थी, जिसकी लंबाई 4.8 किलोमीटर है। यह रेलवे सुरंग महाराष्ट्र के सघन रेल नेटवर्क के बीच अहम कड़ी का काम करती है। इस सुरंग ने बनने के बाद से ही ट्रेन सेवाओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
    • 1997 से जारी यह टनल कोंकण रेलवे लाइन की दूसरी सबसे लंबी सुरंग है। पश्चिमी घाट के ऊबड़-खाबड़ इलाकों के कारण कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, नटुवाड़ी रेलवे सुरंग ने महाराष्ट्र से मैंगलोर तक की यात्रा में लगने वाले समय को कम कर दिया है।

    10. टाइक टनल

    • टाइक सुरंग भी महाराष्ट्र में स्थित 4.07 किलोमीटर लंबी सुरंग है, जो  1997 में बनकर तैयार हुई। यह रेलवे सुरंग सह्याद्रि पर्वत रेंज के पहाड़ी इलाकों में बनाई गई है, जो कोंकण लाइन का हिस्सा है।
    • यह टनल लंबाई के मामले में नटुवाड़ी टनल से बड़ी है। इसे टी-39 के नाम से भी जाना जाता है, टाइक रेलवे सुरंग को हमेशा भारत की एक प्रतिष्ठित उपलब्धि के रूप में सम्मानित किया गया है।

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